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BJP के लिए 'खिड़की खुली' रखने की रणनीति या कुछ और? दिल्ली बिल पर वोटिंग से दूर क्यों रहे जयंत चौधरी

दिल्ली के बिल पर वोटिंग से जयंत चौधरी दूर रहे. विपक्ष के नए-नवेले गठबंधन में शामिल आरएलडी के प्रमुख का वोट न करना कई चर्चाओं को जन्म दे गया. राज्यसभा में वोटिंग से दूरी बीजेपी के साथ गठबंधन के लिए खिड़की खुली रखने की रणनीति है या इसकी कोई और वजह है? 

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जयंत चौधरी (फाइल फोटो)
जयंत चौधरी (फाइल फोटो)

दिल्ली को लेकर बिल पर राज्यसभा की परीक्षा में भी सरकार पास हो गई. एनसीटी दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल 2023 पर वोटिंग में राज्यसभा के 233 सदस्य शामिल हुए. बिल के पक्ष में 131 वोट पड़े तो वहीं विपक्ष में 102 वोट. राज्यसभा में इस बिल के पारित एक बात की चर्चा सबसे ज्यादा हुई और वह है राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी का वोटिंग के दौरान मौजूद नहीं होना.

आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी वोटिंग के दौरान राज्यसभा में मौजूद नहीं थे. विपक्ष के नए-नवेले गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल अलायंस (I.N.D.I.A.) की एकजुटता का टेस्ट माने जा रहे इस मौके पर जयंत चौधरी की गैर मौजूदगी ने तमाम कयासों, अटकलों और चर्चाओं को जन्म दे दिया. समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले ओमप्रकाश राजभर ने ये कहकर कयासों को और हवा दे दी कि कहीं कुछ चल रहा है, इतना समझिए. देखते जाइए, होता है क्या?

बेंगलुरु की विपक्षी बैठक में भी शामिल हुए थे जयंत चौधरी (फाइल फोटोः पीटीआई)
बेंगलुरु की विपक्षी बैठक में भी शामिल हुए थे जयंत चौधरी (फाइल फोटोः पीटीआई)

विपक्षी गठबंधन के लिए दिल्ली विधेयक कितना महत्वपूर्ण मुद्दा था, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस तक ने अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया था. दिल्ली के बिल पर वोटिंग के लिए जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को भी व्हिप जारी कर रखा था. पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह तक संसद पहुंच गए थे. ऐसे में जयंत आखिर दूर क्यों रहे?

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एनडीए के लिए खिड़की खुली रखने की रणनीति

जयंत चौधरी की वोटिंग से दूरी के बाद ये चर्चा तेजी से शुरू हो गई कि आरएलडी और सपा के संबंधों में वैसी गर्माहट नजर नहीं आ रही. ऐसे में दिल्ली बिल पर वोटिंग से जयंत की दूरी को कोई सपा के रिश्तों पर बर्फ जमने के कयासों पर मुहर बताने लगा तो कोई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ जाने के लिए खिड़की खुली रखने की रणनीति.

कहा तो ये भी जाने लगा कि बीजेपी ने हाल ही में गठित अपनी नई टीम में किसी जाट चेहरे को इसीलिए जगह नहीं दी जिससे जयंत चौधरी को पॉजिटिव सिग्नल भेजा जा सके. आरएलडी प्रवक्ता भूपेंदर चौधरी ने Aajtak.in से बात करते हुए इन तमाम कयासों और अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि हम पूरी ताकत से I.N.D.I.A. गठबंधन के साथ हैं.

जयंत चौधरी और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
जयंत चौधरी और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

जयंत चौधरी की वोटिंग से दूरी को लेकर आरएलडी प्रवक्ता ने कहा कि उनके परिवार में मेडिकल इमरजेंसी थी. उनकी (जयंत चौधरी की) पत्नी की मेजर सर्जरी थी और वे हॉस्पिटल में थे. मुझे नहीं लगता कि कोई भी व्यक्ति ऐसी स्थिति में संसद पहुंचकर वोटिंग में शामिल होता. भूपेंदर चौधरी ने आरएलडी और बीजेपी के गठबंधन की अटकलों को भी अफवाह बताया.

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सपा-आरएलडी गठबंधन में ऑल इज वेल?

पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें आती रही हैं कि सपा और आरएलडी के बीच सबकुछ ठीक नहीं. दोनों पार्टियों के रिश्ते में गर्माहट का भी अभाव नजर आया है. सीटों के मसले पर भी दोनों दलों में पेच फंसने की खबरें आती रही हैं. ऐसे में क्या दोनों दलों के बीच क्या सबकुछ ठीक है? आरएलडी प्रवक्ता भूपेंदर चौधरी ने गठबंधन में ऑल इज वेल का दावा किया और कहा कि हमारा गठबंधन मजबूत है.

उन्होंने कहा कि गठबंधन में कहीं भी किसी भी तरह की कोई भी समस्या नहीं है. जहां तक सीट बंटवारे की बात है तो इसे लेकर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है. गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों के शीर्ष नेता बैठकर सीट बंटवारे पर बात करेंगे लेकिन अभी वह समय नहीं आया है. आरएलडी प्रवक्ता ने ओमप्रकाश राजभर पर हमला बोलते हुए कहा कि वे (राजभर) बिन पेंदी के लोटा हैं. कुछ दिन पहले तक वे जिसे गाली देते घूम रहे थे, आज जाकर उसकी गोदी में बैठ गए हैं.

जयंत चौधरी (फाइल फोटोः पीटीआई)
जयंत चौधरी (फाइल फोटोः पीटीआई)

बीजेपी के साथ जयंत के जाने की कितनी संभावना?

राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं. आरएलडी और बीजेपी के गठबंधन की कितनी संभावनाएं हैं? इसे लेकर जानकारों की अलग-अलग राय है. लोकसभा चुनाव से पहले छोटी-छोटी पार्टियों को साथ लाने की बीजेपी की रणनीति और पुराने सहयोगियों पर पार्टी की नजर को देख कोई कह रहा है कि आरएलडी एनडीए में शामिल हो जाए तो आश्चर्य नहीं. आरएलडी कभी एनडीए में रही है. वहीं, कुछ जानकार ये भी बता रहे हैं कि जयंत बीजेपी के साथ गठबंधन क्यों नहीं करेंगे?

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वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह ने जयंत चौधरी के राज्यसभा में वोटिंग से दूरी और एनडीए में शामिल होने की अटकलों पर कहा कि मुझे नहीं लगता कि वे बीजेपी के साथ जाएंगे. बेंगलुरु की विपक्षी बैठक से पहले भी इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन जयंत इसमें शामिल हुए. नए कृषि कानूनों को लेकर जाट समाज में बीजेपी को लेकर नाराजगी अभी भी है. आरएलडी का बेस वोटर ही जाट है, ऐसे में मुझे नहीं लगता कि जयंत बीजेपी के साथ जाने का रिस्क लेंगे.

 

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