scorecardresearch
 

भदोही: मुस्लिम दर्जी ने रामलीला के लिए दान की पुश्तैनी जमीन, आपसी भाईचारे की मिसाल कायम

भदोही के बड़ागांव गांव में 65 वर्षीय मुस्लिम दर्जी अब्दुल रहीम सिद्दीकी ने अपनी पुश्तैनी जमीन का तीन बिस्वा हिस्सा रामलीला आयोजन के लिए दान कर दिया. स्थायी मंच का निर्माण शुरू हो गया है, जिसमें पोशाक बदलने और सामग्री रखने की सुविधा होगी. हिंदू-मुस्लिम समुदाय ने 7 लाख रुपये का योगदान दिया. यह कदम भाईचारे और आपसी सौहार्द्र का प्रतीक है.

Advertisement
X
सिद्दीकी ने स्वेच्छा से दान की जमीन.(File Photo: ITG)
सिद्दीकी ने स्वेच्छा से दान की जमीन.(File Photo: ITG)

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के गोपीगंज क्षेत्र के बड़ागांव गांव में 65 वर्षीय मुस्लिम दर्जी अब्दुल रहीम सिद्दीकी उर्फ काल्लू ने अपनी पुश्तैनी जमीन का एक हिस्सा सालाना रामलीला आयोजन के लिए दान कर दिया है. उन्होंने करीब तीन बिस्वा जमीन आदर्श रामलीला समिति को दी, जिससे अब गांव में दशकों से बिना निश्चित स्थल के होने वाली रामलीला का स्थायी मंच तैयार हो सकेगा.

बड़ागांव गांव की आबादी लगभग 6 हजार है और यहां हिंदू-मुस्लिम मिलकर त्योहार मनाने की लंबी परंपरा रही है. सिद्दीकी ने पहले भी रामलीला में विभिन्न भूमिकाओं में हिस्सा लिया और बाद में आयोजन में प्रबंधन में मदद करते रहे. पूर्व ग्राम प्रधान राधेश्याम मिश्रा ने बताया कि रामलीला का आयोजन यहां लगभग 94 वर्षों से हो रहा है, लेकिन स्थायी स्थल की कमी हमेशा परेशानी देती रही. सिद्दीकी ने स्वेच्छा से जमीन दान कर सभी की समस्याओं का समाधान कर दिया.

यह भी पढ़ें: भदोही में गायब हुई 16 साल की लड़की, 3 लड़कों पर दर्ज हुआ किडनैपिंग का मामला

स्थायी मंच का निर्माण शुरू, सुविधाओं की व्यवस्था

सिद्दीकी ने कहा कि उन्होंने जमीन का दान पूरी तरह से स्वेच्छा से किया और सभी कानूनी औपचारिकताएं रामलीला समिति के नाम से पूरी की. उन्होंने बताया कि स्थायी मंच की कमी, पोशाक और अन्य सामग्री को रखने की जगह नहीं होने के कारण उन्हें हमेशा परेशानी रहती थी.

Advertisement

आदर्श रामलीला समिति के सचिव विनय शुक्ला ने बताया कि धार्मिक रीति-रिवाज के अनुसार भूमि पूजन के बाद निर्माण कार्य शुरू हो गया है. दान की गई जमीन पर 15 फीट बाय 30 फीट का स्थायी मंच बनाया जाएगा, जिसमें बेसमेंट में पोशाक बदलने, मेकअप और सामग्री रखने के कमरे होंगे. उन्होंने बताया कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों ने फाउंडेशन के दौरान लगभग 7 लाख रुपये का योगदान दिया.

भारत की संस्कृति और भाईचारे की मिसाल

शुक्ला ने सिद्दीकी के इस कदम को भारत की संयुक्त संस्कृति और भाईचारे का मजबूत उदाहरण बताया. उन्होंने कहा कि सिद्दीकी ने पहले ही गांववासियों के सामने दान की घोषणा कर दी थी और अब जमीन को समिति के नाम पर आधिकारिक रूप से पंजीकृत करने की शेष प्रक्रिया पूरी की जा रही है.

यह पहल गांव में आपसी भाईचारे और धार्मिक सौहार्द्र का एक प्रेरक उदाहरण बन गई है. अब बड़ागांव के लोग हर साल बिना किसी बाधा के रामलीला का आयोजन कर सकेंगे और यह परंपरा स्थायी रूप से जारी रहेगी.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement