अकीदतमंद दरगाहों पर चादर चढ़ाने जाते हैं और अपनी मन्नत पूरी होने की दुआ मांगते हैं. बरेली के सज्जादानशीन ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि जिन लोगों ने चादरें खरीदने के लिए रुपये इकट्ठे किए हैं, वे जरूरतमंदों को बांट दें. उन्हें दवा दिला दें. छात्रों को पुस्तकें भेंट कर दें. नए कपड़े खरीदकर दें. लोगों की सहूलियत के लिए लंगर करवा दें.
बता दें कि कुछ ही दिनों बाद उर्स शुरू होने वाला है. इसी संदर्भ में एक नई पहल की शुरुआत करते हुए दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसान रजा कादरी ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि लंबी-लंबी चादरों का जुलूस लेकर न आएं. दरगाह पर फूल चढ़ाकर अकीदत करें.
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि लंबी-लंबी चादरों के जुलूस आने से सड़कों पर भी लंबा जाम लगता है और लोगों को परेशानी होती है. चादर को गरीबों में बांट दें या उन पैसों को बेहतर कार्य में लगा दें. सज्जादानशीन मुफ्ती अहसान रजा कादरी ने लोगों से अपील की है कि चादरों की जगह फूलों की टोकरी के साथ अपनी अकीदत के साथ हाजिरी दें. चादर के पैसे से गरीबों की मदद करें.
10 सितंबर से शुरू होगा तीन दिवसीय उर्स
दरगाह आला हजरत पर तीन दिवसीय उर्स 10 सितंबर से शुरू होने वाला है. बरेली सुन्नी मसलक को मानने वाले देश-विदेश के मुसलमान इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं. हजारों लाखों की संख्या में लोग बरेली आते हैं. इस बार दरगाह कमेटी का अनुमान है कि 3 लाख से अधिक अकीदतमंद हाजिरी देने के लिए आएंगे. इस दौरान लोगों के ठहरने की व्यवस्था भी इस्लामिया इंटर कॉलेज के मैदान में की गई है.