उत्तर प्रदेश की सियासत में सितंबर माह का आख़िरी सप्ताह समाजवादी पार्टी के लिए नई उम्मीद लेकर आया है. योगी सरकार में एक के बाद एक सपा के कई दिग्गज नेताओं को अलग-अलग मामलों में जेल जाना पड़ा था. अदालत से अब उन्हें राहत मिलनी शुरू हो गई है, जिसके चलते कोई 23 महीने बाद तो कोई 34 महीने और कोई 39 दिन बाद जेल से रिहा हुए हैं.
पिछले दस दिनों में सपा के क़रीब आधा दर्जन बड़े नेताओं को अदालत से राहत मिली है, जिसके बाद वे जेल से बाहर आए हैं. सबसे पहले आज़म खान 23 महीने के बाद रिहा हुए, उसके बाद जुगेंद्र सिंह यादव और रामेश्वर यादव तो मंगलवार को इरफ़ान सोलंकी 34 महीने के बाद जेल से बाहर निकले हैं.
वहीं, मुख़्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी भी 39 दिन के बाद जेल से रिहा हुए हैं तो उनके बड़े भाई अब्बास अंसारी पहले ही ज़मानत पर बाहर हैं. विधानसभा चुनाव से पहले सपा नेताओं को जिस तरह से रिहाई मिल रही है, वह अखिलेश यादव और उनकी पार्टी के लिए हौसला बढ़ाने वाला माना जा रहा है. अखिलेश इसे न्याय की जीत बता रहे हैं तो भाजपा का कहना है कि ये नेता ज़मानत पर बाहर आए हैं, अदालत ने बरी नहीं किया है.
आज़म खान 23 महीने बाद जेल से रिहा
उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का असर सबसे ज़्यादा सपा के राष्ट्रीय महासचिव और दिग्गज मुस्लिम चेहरा आज़म खान पर पड़ा. योगी सरकार में आज़म के ख़िलाफ़ क़ानूनी शिकंजा कसा कि एक के बाद एक क़रीब 104 मुक़दमे उन पर दर्ज हो गए, लेकिन एक-एक कर सभी मामलों में उन्हें ज़मानत मिल गई. आज़म खान 23 सितंबर को 23 महीने के बाद जेल से बाहर निकले हैं.
26 फ़रवरी 2020 को आज़म खान पहली बार रामपुर में गिरफ़्तार हुए थे, जिसके बाद उन्हें 27 महीने बाद ज़मानत पर रिहाई मिली थी. मई 2022 में ज़मानत पर वह बाहर आए थे, लेकिन 17 महीने बाद 18 अक्टूबर 2023 को उन्हें दोबारा जेल जाना पड़ा था. अब 23 महीने बाद रिहा होकर बाहर आए हैं, उनके बाहर निकलने से सपा के हौसले बुलंद हुए हैं.
जुगेंद्र-रामेश्वर तीन साल बाद बाहर आए
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के क़रीबी माने जाने वाले पूर्व ज़िला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव और उनके बड़े भाई पूर्व विधायक रामेश्वर यादव तीन साल बाद जेल से बाहर आए हैं. एटा और कासगंज की सियासत में जुगेंद्र-रामेश्वर की सियासी तूती बोला करती थी. योगी सरकार में भी जुगेंद्र ज़िला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अपने नाम कर रखे थे.
9 मार्च 2023 को गैंगस्टर मामले में जुगेंद्र को पुलिस ने गिरफ़्तार किया था और उन्हें एटा जेल भेज दिया था, जबकि उनके भाई रामेश्वर यादव को 9 जून 2022 को आगरा से गिरफ़्तार किया गया था. जुगेंद्र पर लूट, दुष्कर्म, ज़मीन क़ब्ज़ा और गैंगस्टर जैसे क़रीब सात संगीन मुक़दमे दर्ज थे तो रामेश्वर यादव पर क़रीब 100 मुक़दमे दर्ज हैं.
रामेश्वर सिंह यादव तीन बार अलीगंज विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं. वे पहली बार 1996 में चुनाव जीते थे, फिर 2002 और 2012 में विधायक बने. जुगेंद्र सिंह यादव 2006 और 2011 में ज़िला पंचायत अध्यक्ष रहे. 2017 और 2022 में एटा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके. जुगेंद्र की पत्नी रेखा यादव ज़िला पंचायत अध्यक्ष हैं.
तीन साल बाद जुगेंद्र और रामेश्वर के जेल से बाहर आने से एटा की सियासत में सपा को नई उम्मीद जगा दी है. रिहा होते ही अखिलेश यादव ने अपने दोनों नेताओं को फ़ोन कर हालचाल पूछा और उनकी सेहत पर ध्यान रखने की बात कही. जल्द आकर मुलाक़ात करने की भी बात कही. दोनों नेताओं की रिहाई को पार्टी के लिए रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
इरफ़ान सोलंकी 34 महीने बाद हुए रिहा
कानपुर की सियासत में सपा के क़द्दावर नेता व पूर्व विधायक इरफ़ान सोलंकी मंगलवार शाम छह बजे महराजगंज की जेल से बाहर आ गए हैं. सोलंकी 34 महीने के बाद जेल से निकले तो अपनी पत्नी व विधायक नसीम सोलंकी, दोनों बेटों और सास ख़ुर्शीद बेगम को गले लगाया. इरफ़ान सोलंकी पाँच बार के विधायक हैं, सपा के क़द्दावर नेता माने जाते हैं.
2 दिसंबर को गैंगस्टर एक्ट के तहत इरफ़ान सोलंकी और उनके भाई रिज़वान सोलंकी को गिरफ़्तार किया गया था. 22 दिसंबर 2022 को उन्हें कानपुर जेल से महराजगंज ज़िला कारागार में शिफ़्ट किया गया था और तभी से जेल में थे. उन पर कुल 10 मामले दर्ज थे. इस दौरान उनकी विधायकी चली गई. हालांकि, उनकी पत्नी नसीम सोलंकी उपचुनाव में उतरकर सियासी विरासत बचाए रखने में कामयाब रहीं. अब 34 महीने बाद जेल से बाहर आए तो सोलंकी समर्थकों में नया जोश भर गया है.
उमर अंसारी 39 दिन बाद जेल से रिहा
मुख़्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी मंगलवार शाम कासगंज जेल से रिहा हो गए हैं. 4 अगस्त को फ़र्ज़ी हस्ताक्षर मामले में उमर को लखनऊ से गिरफ़्तार किया गया था और 23 अगस्त को कासगंज जेल स्थानांतरित किया गया था. इस तरह से 39 दिनों तक जेल में रहने के बाद रिहाई हुई है. उमर अंसारी भले ही सपा में नहीं हैं, लेकिन उनका पूरा परिवार सपा में है. उनके चाचा अफ़ज़ाल अंसारी सपा से सांसद हैं और चाचा का बेटा सपा से विधायक है. इसके अलावा उनके भाई भले सपा के टिकट पर विधायक न हों, लेकिन सपा के समर्थन से जीते हैं.
2027 से पहले सपा को मिली संजीवनी
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद सपा नेताओं पर क़ानूनी शिकंजा कसा, जिसके चलते एक दर्ज़न से ज़्यादा नेताओं को जेल जाना पड़ा. सपा के कई विधायकों को अपनी विधानसभा की सदस्यता तक गंवानी पड़ गई, जिसमें आज़म खान और अब्दुल्ला आज़म से लेकर इरफ़ान सोलंकी तक शामिल हैं. अब 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले ये नेता जेल से बाहर आए हैं. भले ही कोर्ट की ज़मानत पर रिहा हुए हों, लेकिन समाजवादी पार्टी में ख़ुशी की लहर दौड़ गई.
सपा कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं की रिहाई की ख़ुशी में मिठाइयां बांटकर जश्न मना रहे हैं तो अखिलेश यादव भी इसे न्याय की जीत बता रहे हैं. जेल से बाहर निकलने वाले नेताओं से अखिलेश ने मुलाक़ात का भी कार्यक्रम तय कर लिया है. 8 अक्टूबर को आज़म खान से मिलने रामपुर जा रहे हैं तो जुगेंद्र सिंह यादव और रामेश्वर सिंह यादव से फ़ोन पर बात की. इसके अलावा इरफ़ान सोलंकी से भी जल्द मिलने के लिए जाएंगे या फिर लखनऊ बुलाकर मुलाकात करेंगे.