रूस द्वारा विकसित सुखोई SU-57 एक ट्विन-इंजन स्टेल्थ मल्टीरोल फाइटर जेट है, जिसे सुखोई कंपनी ने डिजाइन किया है. इस विमान को रूस की वायुसेना में स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से लैस पहला लड़ाकू विमान माना जाता है. एसयू-57 का निर्माण PAK FA (Prospective Aeronautical Complex of Frontline Aviation) कार्यक्रम के तहत किया गया था, जिसकी शुरुआत वर्ष 1999 में हुई थी. यह प्रोजेक्ट पुराने और महंगे MFI (Mikoyan Project 1.44/1.42) के विकल्प के रूप में लाया गया था. सुखोई कंपनी ने इस विमान का आंतरिक नाम T-50 रखा था.
एसयू-57 को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह हवाई युद्ध (aerial combat) के साथ-साथ जमीन और समुद्री लक्ष्यों पर भी हमला कर सके.
एसयू-57 का पहला प्रोटोटाइप विमान वर्ष 2010 में उड़ाया गया. लेकिन विकास के दौरान तकनीकी और ढांचागत कई समस्याएं सामने आईं. परीक्षणों के दौरान एक प्रोडक्शन विमान डिलीवरी से पहले ही दुर्घटनाग्रस्त होकर नष्ट हो गया. लंबे इंतजार और कई बार देरी के बाद आखिरकार यह विमान दिसंबर 2020 में रूस की एयरोस्पेस फोर्सेस (VKS) में शामिल किया गया.
एसयू-57 को रूस में पुराने MiG-29 और Su-27 लड़ाकू विमानों की जगह लेने के लिए लाया गया है. इसके साथ ही इसे निर्यात (Export) के लिए भी बाजार में उतारा गया है.
पुतिन-मोदी शिखर सम्मेलन में आज रक्षा सौदों पर सबकी नजरें हैं. SU-57 फाइटर जेट (84+ विमान), S-500 एयर डिफेंस सिस्टम, अतिरिक्त S-400 रेजिमेंट, ब्रह्मोस-एनजी और Su-30 अपग्रेड पर बड़े ऐलान संभावित हैं. भारत में जॉइंट प्रोडक्शन और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर जोर रहेगा. डिफेंस सेक्टर में उत्साह दिख रहा है. डिफेंस कंपनियों के शेयरों में उछाल की उम्मीद भी है.
आजतक के वर्ल्ड एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि भारत-रूस परमाणु सहयोग में बड़ी घोषणा जल्द आने वाली है. पुतिन ने कहा कि मोदी किसी के दबाव में नहीं झुकते. S-400, Su-57 जैसे सौदों पर बोले- हम सिर्फ हथियार नहीं, तकनीक और विश्वास साझा करते हैं. ब्रह्मोस, टी-90, कलाश्निकोव भारत में ही बन रहे हैं.
भारत को S-500 इसलिए चाहिए क्योंकि चीन-पाकिस्तान की हाइपरसोनिक मिसाइलों का मुकाबला करना है. S-400 इन तेज मिसाइलों को नहीं रोक सकता. S-500 एक साथ 12 बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें 600 किमी दूर मार गिरा सकता है. पुतिन की दिसंबर 2025 यात्रा में डील फाइनल हो सकती है. 100% तकनीक ट्रांसफर के साथ भारत में बनेगा.
भारत को Su-57 इसलिए चाहिए क्योंकि चीन के J-20 व पाकिस्तान के आने वाले स्टील्थ जेट्स का मुकाबला करना है. IAF में सिर्फ 31 स्क्वाड्रन बची हैं, AMCA 2035 तक आएगा. रूस 100% तकनीक ट्रांसफर और भारत में उत्पादन का ऑफर दे रहा है. पुतिन की यात्रा में डील फाइनल हो सकती है. यह तुरंत ताकत और आत्मनिर्भरता दोनों देगा.
पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत आ रहे हैं. इस दौरे में ब्रह्मोस मिसाइल के नए वर्जन पर बात पक्की है. हल्का ब्रह्मोस-NG हर फाइटर जेट पर लगेगा, रेंज 400 किमी से ज्यादा. लंबी रेंज वाली ब्रह्मोस 1000-1500 किमी तक मार करेगा. हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोजेक्ट भी शुरू होगा. ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना को और खतरनाक ब्रह्मोस चाहिए. भारत-रूस की यह डील दुश्मनों की नींद उड़ा देगी.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत आने वाले हैं. इसके लिए दिल्ली पूरी तरह किले में बदल गई है. NSG कमांडोज, SWAT टीम, दिल्ली पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्सेज और रूसी स्पेशल फोर्स मिलकर मल्टी-लेयर सुरक्षा चक्र बना रहे हैं. एंटी-ड्रोन गन्स, उड़ते ड्रोन से निगरानी, हजारों सीसीटीवी और फेस रिकग्निशन सिस्टम से हर पल नजर रखी जा रही है.
रूसी राष्ट्रपति पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत आ रहे हैं. क्रेमलिन प्रवक्ता पेस्कोव बोले किरूस-भारत संबंध बहुत गहरे और ऐतिहासिक हैं, सिर्फ व्यापार नहीं. Su-57 स्टेल्थ फाइटर जेट पर बड़ी बात होगी. रक्षा, ऊर्जा और व्यापार में नए समझौते होंगे. दोनों देश अंतरराष्ट्रीय कानून और एक-दूसरे के हितों का सम्मान करते हैं. दोस्ती और मजबूत होगी.
पुतिन के दौरे में रूस-भारत SMR डील पक्की हो सकती है. छोटे मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर (50-300 MW) फैक्ट्री में बनेंगे. एक रिएक्टर पूरा छोटा शहर रोशन कर सकता है. 2-3 साल में तैयार हो जाएगा. ये सस्ते और 100% सुरक्षित हैं. भारत में ही बनेंगे. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होगा. 2033 तक 5 रिएक्टर चालू करने की योजना है. बिजली क्रांति आने वाली है.
रूस से Su-57 की डील हो सकती है. पुतिन के दौरे में 120-140 स्टील्थ जेट भारत में बन सकते हैं. राफेल के साथ जुगलबंदी से वायुसेना की ताकत 50-60% तक बढ़ सकती है. चीन के J-20 और पाक के J-10C/J-35 पुराने पड़ जाएंगे. 300 किमी रेंज मिसाइल से दुश्मन दूर से खत्म होगा. भारत बनेगा एशिया का हवाई सुपरपावर.
भारत का रूस के Su-57 फाइटर पर नजर है. 2 स्क्वॉड्रन रूस से, 5 नासिक HAL में लाइसेंस प्रोडक्शन के तहत बनाया जाएगा. कुल 140 विमान. हाइपरसोनिक स्पीड, स्टील्थ, लंबी रेंज मिसाइलें भी इससे दाग सकते हैं. भारतीय स्वदेशी 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट AMCA के साथ तालमेल बना रहेगा.
भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में 1990 के दशक में 60 प्रतिशत विमान सोवियत डिजाइन वाले मिग-21 थे. भारतीय वायुसेना ने 1,200 से ज्यादा मिग-21 उड़ाए हैं और उनमें से 800 का निर्माण भारत में ही किया गया.