राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी\NCERT) भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का एक स्वायत्त संगठन है. इसकी स्थापना 27 जुलाई 1961 को भारतीय शिक्षा मंत्रालय ने की थी. यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत एक साहित्यिक, वैज्ञानिक और धर्मार्थ सोसायटी है. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में श्री अरबिंदो मार्ग पर स्थित है. डॉ. दिनेश प्रसाद सकलानी 2022 से एनसीईआरटी के निदेशक हैं.
2023 में, एनसीईआरटी ने कक्षा 3 से 12 तक के पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण मटेरियल्स को अंतिम रूप देने के लिए लेखिका और इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति, गायक शंकर महादेवन और मंजुल भार्गव सहित 19 सदस्यीय समिति का गठन किया था.
एनसीईआरटी का औपचारिक संचालन 1 सितंबर 1961 को शुरू किया गया था. इसका गठन सात सरकारी संगठनों का विलय करके किया गया था. इसमें केंद्रीय शिक्षा संस्थान, केंद्रीय पाठ्यपुस्तक अनुसंधान ब्यूरो, केंद्रीय शैक्षिक और व्यावसायिक मार्गदर्शन ब्यूरो,
माध्यमिक शिक्षा के लिए विस्तार कार्यक्रम निदेशालय, राष्ट्रीय बुनियादी शिक्षा संस्थान, राष्ट्रीय मौलिक शिक्षा केंद्र और राष्ट्रीय ऑडियो-विजुअल शिक्षा संस्थान शामिल थे.
एनसाईआरटी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से अलग है.
NCERT की किताबों में मुगल शासकों अकबर और टीपू सुल्तान के आगे 'ग्रेट' शब्द हटाए जाने के बाद राजनीति तेज हो गई है. संघ के एक नेता ने इसे इतिहास की पुस्तकों में सकारात्मक बदलाव बताया है. हालांकि विपक्ष इस निर्णय पर सवाल उठा रहा है.
एनसीईआरटी की पुस्तक में अकबर और टीपू सुल्तान जैसे महत्वपूर्ण मुगल शासकों के सामने ग्रेट शब्द हटाए जाने की घटना ने राजनीति में तीव्र बहस छेड़ दी है. आरएसएस के नेता सुनील आंबेडकर ने इस फैसले की प्रशंसा की है, जबकि विपक्षी दलों ने इस फैसले पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
भारत के स्कूलों में छोटे बच्चे भी अब AI और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग सीखेंगे. मिनिस्ट्री ऑफ़ एजुकेशन ने अनाउंस किया है कि 2026, 27 से ये नया सब्जेक्ट, क्लास थ्री से नेशनल सिलेबस में शामिल किया जाएगा.
भारत की नई पीढ़ी अब विज्ञान के साथ आयुर्वेद भी सीखेगी यानी प्रयोगशाला के सिद्धांतों के साथ प्रकृति के ज्ञान का मेल. एनसीईआरटी ने कक्षा 6 और 8 की विज्ञान की किताबों में आयुर्वेद से जुड़े अध्याय जोड़ने का फैसला किया है, ताकि बच्चे केवल विज्ञान नहीं, बल्कि शरीर, मन और पर्यावरण के संतुलन को भी समझ सकें.
अब भारत में पढ़ रहे छात्रों के लिए बड़ा फैसला लिया गया है. एनसीईआरटी (NCERT) अब अलग-अलग स्कूल बोर्डों से जारी कक्षा 10 और 12 के प्रमाणपत्रों को बराबरी का दर्जा (Equivalence) देगी.
स्कूलों की किताबों में अब अंतरिक्ष विज्ञान की झलक दिखेगी. एनसीईआरटी (NCERT) ने अपने पाठ्यक्रम में इसरो (ISRO) के मिशनों को शामिल किया है. नए अध्याय ‘India: A Rising Space Power’ के ज़रिए छात्र चंद्रयान से लेकर गगनयान तक भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों के बारे में जान पाएंगे.
किताबों में हुए बदलाव को लेकर NCERT पर पक्षपात और एजेंडा चलाने के आरोप लग रहे हैं. इस पर एनसीईआरटी ने सफाई दी है और कहा है कि उन्होंने न तो इतिहास को तोड़-मरोड़कर दिखाया है और न तो किसी के दबाव में कुछ बदलाव किया है. किताब में इतिहास को यथावत दिखाने की कोशिश की गई है.
एनसीईआरटी (NCERT) ने वर्ष 2025 में अपनी पाठ्यपुस्तकों में बड़े बदलाव किए हैं, खासकर कक्षा 7, 8 और 12 की इतिहास की किताबों में. इन बदलावों के तहत मुगल साम्राज्य, दिल्ली सल्तनत, टीपू सुल्तान, हैदर अली, और एंग्लो-मैसूर युद्ध जैसे ऐतिहासिक विषयों को हटा दिया गया है.
झारखंड सरकार ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला लिया है. इस कदम को एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है. इस प्रस्ताव पर अंतिम मंजूरी मिलने के लिए एनसीईआरटी को भेजा जाएगा.
मॉड्यूल में साफ लिखा गया है कि पाकिस्तान ने भले ही पहलगाम आतंकी हमले में अपनी भूमिका से इनकार किया हो, लेकिन ये हमला सीधे उसकी सेना और सियासी लीडरशिप के आदेश पर हुआ था. एनसीईआरटी ने इस मॉड्यूल में बताया है कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि शांति की रक्षा करने और शहीद हुए लोगों के सम्मान की कसम था.
एनसीईआरटी के एक मॉड्यूल में देश के बंटवारे को लेकर नए दावे किए गए हैं. इस मॉड्यूल के अनुसार, देश के विभाजन के लिए तीन तत्व जिम्मेदार थे. इसमें कहा गया है कि विभाजन का ख्वाब जिन्ना ने देखा था, कांग्रेस ने इसे स्वीकार किया और माउंटबेटन ने बंटवारा किया. इस मॉड्यूल में कांग्रेस पार्टी का स्पष्ट जिक्र है, जिससे अब सियासत तेज हो गई है.
एनसीईआरटी के मॉड्यूल में देश के बंटवारे पर एक अध्याय को लेकर सियासी विवाद गहरा गया है. बीजेपी का कहना है कि जिन्ना और राहुल, इनकी सोच एक जैसी है. ये दोनों एक-दूसरे का पर्याय बन चुके हैं. वहीं, बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट समीक्षा प्रक्रिया पर सियासी तकरार जारी है. देखें शंखनाद.
एनसीईआरटी के एक मॉड्यूल में देश के बंटवारे को लेकर नए दावे किए गए हैं. इस मॉड्यूल के अनुसार, देश के विभाजन के लिए तीन तत्व जिम्मेदार थे. इसमें कहा गया है कि विभाजन का ख्वाब जिन्ना ने देखा था, कांग्रेस ने इसे स्वीकार किया और माउंटबेटन ने बंटवारा किया. इस मॉड्यूल में कांग्रेस पार्टी का स्पष्ट जिक्र है, जिससे अब सियासत तेज हो गई है. एक पक्ष का कहना है कि "इतिहास के अगर सबसे बड़े विलेन कोई हैं तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पीढ़ियां उनको माफ़ नहीं करेंगी जो उनका योगदान रहा."
एनसीईआरटी ने अपनी पाठ्यपुस्तकों में विभाजन के कटु सच को शामिल किया है. इस बदलाव पर कांग्रेस पार्टी ने आपत्ति जताई है. BJP के वक्ता ने कहा कि कांग्रेस और जिन्ना की सोच एक जैसी है. वक्ता ने बताया कि जिन्ना और कांग्रेस दोनों धर्म के आधार पर आरक्षण और शरिया कानून लागू करने की बात करते थे. भारतीय जनता पार्टी संविधान से देश चलाने में विश्वास रखती है, जबकि कांग्रेस पार्टी की सोच शरिया कानून लागू करने की है.
एनसीईआरटी के एक नए मॉड्यूल में देश के बंटवारे के लिए जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराए जाने पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस ने इस पर पलटवार करते हुए विभाजन का मुख्य दोषी आरएसएस, हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग को बताया है.
एनसीआरईटी के एक मॉड्यूल में देश के बंटवारे को लेकर एक अध्याय सामने आया है, जिसने राजनीतिक रंग ले लिया है. इस मॉड्यूल में कहा गया है कि देश के बंटवारे के लिए तीन तत्व जिम्मेदार थे. मॉड्यूल के अनुसार, देश के विभाजन का ख्वाब देखने वाले, कांग्रेस द्वारा इसे स्वीकार करना और माउंटबेटन द्वारा बंटवारा करना इसके कारण थे. इस मॉड्यूल में कांग्रेस का स्पष्ट जिक्र है, जिसके बाद सियासत तेज हो गई है.
एनसीआर टी द्वारा देश के विभाजन पर जारी किए गए मॉड्यूल को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है. कांग्रेस ने विभाजन के लिए माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि विपक्ष ने हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की साठगांठ से देश के बंटवारे का आरोप लगाया है. देखें आज की टॉप हेडलाइंस.
एनसीईआरटी ने देश के विभाजन पर एक नया मॉड्यूल जारी किया है. इस मॉड्यूल में भारत के विभाजन के लिए मोहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस और लॉर्ड माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराया गया है. इस मॉड्यूल के जारी होने के बाद देश में सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.
NCERT ने 14 अगस्त, 'Partition Horrors Remembrance Day' के लिए एक खास मॉड्यूल बनाया है. यह मॉड्यूल कक्षा 6 से 8 और सेकेंडरी स्कूल के बच्चों के लिए है. इसमें छात्रों को बताया जाएगा कि 1947 में भारत के बंटवारे के समय लोगों को कितनी मुश्किलों और दर्द का सामना करना पड़ा. साथ ही यह भी समझाया जाएगा कि हमें उस दुखद घटना से क्या सीख लेनी चाहिए.
एनसीईआरटी की कक्षा-8 के सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रमुख माइकल डैनिनो ने सफाई देते हुए कहा है कि यह नक्शा पुराने और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है, लेकिन यदि गलती मिलेगी तो किताब में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे. इसके लिए शोध कार्य जारी है.
एनसीईआरटी ने अपनी किताबों में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा के जीवन और बलिदान पर अध्याय जोड़े हैं. ये अध्याय कक्षा 7 और 8 की उर्दू और अंग्रेज़ी की किताबों में पढ़ाए जाएंगे. इसका उद्देश्य छात्रों को साहस, कर्तव्य और राष्ट्र सेवा के मूल्यों से परिचित कराना है.