मुहर्रम (Muharram), इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है. यह वर्ष के चार पवित्र महीनों में से एक है जब युद्ध की मनाही होती है. इसे रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है. मुहर्रम के दसवें दिन को आशूरा (Ashura) के नाम से जाना जाता है. मुहर्रम को शोक दिवस (Mourning Day) भी कहते हैं. इस दिन शिया मुसलमान (Shi'a Muslims) उसैन इब्न अली (Ḥusayn ibn Ali) के परिवार की त्रासदी का शोक मनाते हैं. इस साल मुहर्रम 6 जुलाई को है.
खुशी की घटनाओं से दूर रहकर शियाओं ने उसैन की शहादत का शोक मनाते हैं. इसके बजाय, शिया मुसलमान इमाम हुसैन के प्रति संवेदना व्यक्त करने और शहीदों को प्रार्थना, प्रार्थना पढ़ने और दान कार्यक्रम आयोजित करते हैं. शिया मुसलमान अशूरा पर जितना हो सके उतना कम खाते हैं. हालांकि, इसे उपवास के रूप में नहीं देखा जाता है (Muharram, Honor the Martyrs).
एलेविस दस या बारह दिन उपवास करते हैं (Alevis fast). प्रत्येक दिन शिया इस्लाम के बारह इमामों में से एक के लिए, इमामों को मनाने और शोक करने के लिए मानाया जाता है. किसी भी तरह के मनोरंजन से बचते हैं, जो उनके हुसैन के शोक के हिस्से के रूप में होता है. इसके अलावा, एक महत्वपूर्ण जियारत किताब है, जियारत अशूरा, जो उसैन के बारे में है. शिया धर्म में, इस तारीख को इस जियारत को पढ़ा जाता है (Muharram, Ziyarat Ashura)
देश में धार्मिक यात्राओं को लेकर चल रही बहस में कांवड़ यात्रा और मुहर्रम के जुलूसों पर तीखी चर्चा हुई. एक पक्ष ने कहा कि किसी भी धार्मिक यात्रा में कठिनाई या उपद्रव नहीं होना चाहिए और प्रशासन सबके लिए बराबर है. वहीं, दूसरे पक्ष ने आरोप लगाया कि 'संविधान का गला घोंट रहे है, संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं' और हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने वाली बातें की जा रही हैं.
आस्था विश्वास का एक रूप है और अनुशासन एक ऐसी प्रक्रिया जो हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है. लेकिन हाल के दिनों में आस्था के नाम पर हुड़दंग और हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं. हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान एक कार पर कांवड़ियों ने हमला कर दिया, जिसमें एक मुस्लिम परिवार को डरकर भागना पड़ा. मध्य प्रदेश के उज्जैन में मुहर्रम के जुलूस के दौरान कुछ लोगों ने जानबूझकर घोड़े को गलत दिशा में ले जाने का प्रयास किया और सुरक्षा के लिए लगाए गए पुलिस बैरिकेड को तोड़ दिया.
झारखंड के गोड्डा में भी मुहर्रम के दौरान बवाल हुआ. ताजिया ले जाते समय एक ही समुदाय के दो गुटों के बीच पथराव की घटना घटी. बताया गया कि ताजिया के दो जुलूस में शामिल लोग आमने-सामने आ गए, जिसके बाद कहासुनी शुरू हुई और मामला झड़प तक पहुंच गया. मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. देखें...
बिहार में चुनावों की आहट के बीच सियासी घमासान तेज है. इसी बीच मोहर्रम के अवसर पर बिहार के कई शहरों में हिंसा हुई. सबसे ज्यादा तनाव कटिहार में देखा गया, जहां मोहर्रम के जुलूस के दौरान एक मंदिर पर पथराव किया गया. कुछ घरों पर भी पत्थर फेंके गए. इसके बाद पूरे शहर में तनाव फैल गया और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई. समस्तीपुर, हाजीपुर और गोपालगंज में भी झड़पें और बवाल हुए हैं.
मुहर्रम पर देश के कई शहरों में बवाल की खबर सामने आई है. बिहार में मुहर्रम के दौरान सड़क पर ताजिया लेकर निकले लोगो को एक बस ने टक्कर मार दी. हादसे में कुछ लोगो को चोट आई, जिसके बाद बवाल शुरू हो गया.
मुहर्रम पर देश के कई शहरों में बवाल हुआ. बिहार के हाजीपुर, कटिहार और गोपालगंज से बवाल की खबर है. हाजीपुर के पातेपुर बालिगांव के चिकनौटा में मुहर्रम के दौरान सड़क पर ताजिया लेकर निकले लोगो को एक बस ने टक्कर मार दी. हादसे में कुछ लोगों को चोट आई. देखें '9 बज गए'.
मोहर्रम के जुलूस को लेकर देश के कई राज्यों, जिनमें मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार शामिल हैं, में हिंसा और बवाल की खबरें सामने आई हैं. कुछ जगहों पर कानून व्यवस्था भंग करने का प्रयास किया गया, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा और पथराव हुआ. इस दौरान कई लोग घायल हुए हैं, और कुछ पुलिसकर्मी भी चोटिल हुए हैं.
Muharram 2025: मुहर्रम का महीना सिर्फ इस्लामी वर्ष की शुरुआत नहीं है, बल्कि यह न्याय, बलिदान और वफादारी की उन घटनाओं को याद दिलाता है जो इतिहास के पन्नों में दर्ज है. मुहर्रम के दिन सिर्फ हजरत इमाम को याद नहीं किया जाता है. बल्कि, इस दिन हजरत इमाम हुसैन के भाई हजरत अब्बास को भी याद किया जाता है.
Muharram 2025: इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार साल का पहला महीना मुहर्रम होता है. इसे 'गम का महीना' भी माना जाता है. इसी मुहर्रम के महीने में हजरत मोहम्मद के नाती हजरत इमाम हुसैन को कर्बला की जंग (680 ईसवी) में परिवार और दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था.
Muharram 2025: 6 जुलाई रोज-ए-आशुरा, मुहर्रम का 10वां दिन आज मनाया जा रहा है. यह दिन सिर्फ हजरत इमाम हुसैन की शहादत के लिए ही सिर्फ याद नहीं किया जाता है. बल्कि, इस दिन हजरत इमाम हुसैन के सबसे छोटे बेटे हजरत अली असगर की कुर्बानी को भी याद किया जाता है, जो महज 6 महीने के थे.
बिहार के पटना में मुहर्रम का ताजिया जुलूस लालू प्रसाद यादव के आवास पर पहुंचा. ताजिया पहुंचते ही राबड़ी देवी ने श्रद्धा के साथ ताजिया के सामने हाथ जोड़े और माथा टेका. इस मौके पर लालू प्रसाद यादव भी मौजूद रहे और उनके सामने जुलूस में शामिल कलाकारों ने करतब दिखाए.
10 मुहर्रम को इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत की याद में मनाया जाता है. इस दिन अयोध्या में ताजिया इकट्ठा किए जाते हैं और फिर सरयू नदी में विसर्जन के लिए लाए जाते हैं. फिर ताजिया को सरयू नदी में विसर्जित किया जाता है क्योंकि इसे पवित्र नदी माना गया है.
बिहार के कटिहार में मुहर्रम जुलूस के दौरान भारी बवाल हुआ. जब मुहर्रम का जुलूस मंदिर के सामने से गुजर रहा था. जुलूस में शामिल कुछ असामाजिक तत्वों ने मंदिर पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. इसके बाद वहां मौजूद स्थानीय लोगों पर भी पत्थर बरसाए गए. हालात बिगड़ने पर सड़क किनारे खड़ी गाड़ियों में भी जमकर तोड़फोड़ की गई.
आज मुहर्रम है और जुलूस से पहले तमाम शहरों में प्रशासन की ओर से सुरक्षा की पुख्ता तैयारियां की गई हैं. मुहर्रम पर यूपी के संभल में भी जबरदस्त चौकसी है. मुहर्रम के जुलूस को लेकर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. देखें न्यूज बुलेटिन.
पटना में राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के आवास पर मोहर्रम के मौके पर सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का दृश्य देखने को मिला. जुलूस के आगमन पर लालू परिवार ने स्वागत किया. युवा तिरंगा फहराते हुए देशभक्ति का संदेश लेकर आए.
उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नेम प्लेट लगाने को लेकर विवाद गहरा गया है. लखीमपुर में मोहर्रम से पहले जुलूस में तलवार लहराने का वीडियो वायरल हुआ है. श्रीनगर में मुहर्रम जुलूस के दौरान ईरान के समर्थन में नारे लगे. कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाले होटल और रेस्टोरेंट को लेकर मेरठ में हिंदू संगठनों ने नेम प्लेट लगाने को कहा. मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा पहचान अभियान का जमीयत उलमा-ए-हिंद ने विरोध किया.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीसी में मुहर्रम से पहले निकलने वाले छठी के जुलूस में कई युवकों द्वारा खुली तलवारें लहराने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. बताया जाता है कि फरधान थाना क्षेत्र के अग्गरबुजुर्ग गांव में मोहर्रम से पहले गांव के युवकों ने एक जुलूस निकाला था. उसी जुलूस में गांव के ही कुछ युवकों ने पुलिस की मौजूदगी में तलवारें लहराना शुरू कर दिया.
श्रीनगर में मुहर्रम के जुलूस के दौरान ईरान और हिज्बुल्लाह के झंडे लगाए गए. प्रशासन और पुलिस ने सार्वजनिक जगहों से इन झंडों को पहले हटाया था, लेकिन जुलूस में फिर से ऐसे झंडे दिखने से विवाद बढ़ गया. ईरान के समर्थन में नारेबाजी की गई और ईरान के सर्वोच्च लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई की तस्वीरें भी हाथों में देखी गई.
यूपी में कांवड़ यात्रा और मुहर्रम से पहले जबरदस्त उबाल है. कांवड़ रूट पर हिंदू संगठनों की छापेमारी पर सियासी आर-पार है, तो मुहर्रम जुलूस पर नियम-कायदे को लेकर हलचल है. यूपी के लखीमपुर में मुहर्रम से पहले निकाले गए जुलूस में तलवारबाजी से एक्शन हुआ. देखें 'आज सुबह'.
श्रीनगर में मुहर्रम के जुलूस के दौरान ईरान और हिजबुल्लाह के झंडे लगाए गए. प्रशासन और पुलिस ने सार्वजनिक जगहों से इन झंडों को पहले हटाया था, लेकिन जुलूस में फिर से ऐसे झंडे दिखने से विवाद बढ़ गया. ईरान के समर्थन में नारेबाजी की गई और ईरान के सर्वोच्च लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई की तस्वीरें भी हाथों में थीं.
संभल में पुलिस द्वारा मुहर्रम जुलूस को लेकर जारी एक आदेश विवादों में आ गया है. पुलिस ने मुस्लिम समुदाय से बातचीत के बाद कई फैसले किए हैं. पुलिस ने स्पष्ट किया है कि मुहर्रम में बच्चे ढोल लेकर नहीं चलेंगे क्योंकि उन्हें खुशी में बजाने का पता होता है, लेकिन वे गलत रूट पर जा सकते हैं. पुलिस ने यह भी कहा है कि कोई भी आपत्तिजनक नारे नहीं लगाएगा जिससे किसी अन्य व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे.