Srinagar Muharram Procession: मुहर्रम का महीना चल रहा है और इस मौके पर देशभर में जुलूस निकाले जा रहे हैं. आज (शुक्रवार) को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में बड़ा जुलूस निकाला गया. जुलूस में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. इस दौरान ईरान-इजरायल के बीच हुई लड़ाई की परछाई यहां देखने को मिली. जुलूस में लोगों ने आतंकी संगठन हिजबुल्लाह और ईरान के झंडे लहराए. इसके साथ ही ईरान के सुप्रीम लीडर अली ख़ामेनेई और इजरायली हमले में मारे गए ईरानी कमांडर्स की तस्वीरें भी लेकर सड़कों पर लेकर उतरे.
मुहर्रम की आठवीं तारीख़ पर श्रीनगर में शिया समुदाय के द्वारा पारंपरिक रास्ते से जुलूस निकाला गया. ये लगातार तीसरा साल है जब पुलिस की ओर से जुलूस निकालने की अनुमित मिली हो. जुलूस गुरु बाज़ार से शुरू हुआ और जहांगीर चौक, मौलाना आजाद रोड होते हुए डलगेट तक पहुंचा. प्रशासन की ओर से जुलूस का समय तय किया है, ताकि शहर में सामान्य जनजीवन प्रभावित न हो.
प्रशासन और पुलिस की ओर से सार्वजनिक जगहों से पहले ईरान और हिज्बुल्लाह से जुड़े झंडों को हटाया था. लेकिन, लेकिन जुलूस में फिर से ऐसे झंडे दिखने से विवाद बढ़ गया. जुलूस में शामिल लोगों ने ईरान के समर्थन में नारेबाजी भी की. इतना ही नहीं ईरान के मारे गए बड़े कमांडर्स की तस्वीरें भी जुलूस में देखी गई. ऐसा ही कुछ बडगाम में भी मुहर्रम जुलूस के दौरान देखने को मिला.
पुलिस के अनुसार, जुलूस के लिए सख्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है. साथ ही ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की गई है. यौम-ए-आशूरा यानि मुहर्रम के 10वीं तारीख़ के लिए भी सुरक्षा व्यवस्था और ट्रैफिक इंतज़ाम पूरे किए गए जाएंगे.

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बता दें कि 90 के दशक में घाटी में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने के बाद मुहर्रम के जुलूस को पारंपरिक रूट से निकालने पर रोक लगा दी थी. ऐसी आशंका थी कि इससे अलगाववादी ताकतों को मज़बूत मिलेगी और वह भीड़ का लाभ उठाएंगे. हालांकि, अब बीते तीन सालों से जुलूस निकालने की अनुमति मिल रही है. विशेष प्रावधान आर्टिकल 370 के हट जाने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास का दौर आ गया है.