महाराष्ट्र में 2 दिसंबर को होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज है. 20 निकायों के चुनाव नामांकन विवादों पर स्थगित होने से फडणवीस नाराज हैं. विपक्ष वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाकर बीएमसी सुधार अभियान चला रही है, जहां 11 लाख डुप्लीकेट वोटर मिले. शिवसेना (यूबीटी) ने शिंदे बीजेपी पर विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया, जबकि शिंदे-फडणवीस गठबंधन में किसी अनबन से इनकार कर रहे हैं.
महाराष्ट्र की राजनीति में निकाय चुनाव से पहले महा विकास अघाड़ी (MVA) में दरार पड़ती दिख रही है. गठबंधन में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस (MNS) की संभावित एंट्री को लेकर कांग्रेस ने कड़ा रुख अपना लिया है, जिससे उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ गया है. महाविकास अघाड़ी में MNS साथ तो कांग्रेस को क्यों डर? देखें
महाराष्ट्र की सियासत में ठाकरे बंधुओं, उद्धव और राज ठाकरे की बढ़ती नज़दीकियों ने महाविकास अघाड़ी (MVA) में खलबली मचा दी है. एक तरफ कांग्रेस नेता भाई जगताप 'एकला चलो' की बात कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ अबू आज़मी ने भी राज ठाकरे की मौजूदगी वाले किसी भी गठबंधन से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया है.
बीजेपी विधायक राम कदम ने बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के मिलन पर तीखा हमला बोला है. राम कदम ने कहा कि, 'दोनों भाई अपना जनाधार खो चूके हैं.' उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे ने ही राज ठाकरे को शिवसेना छोड़ने पर मजबूर किया और उनके बेटे अमित ठाकरे की चुनावी हार की रणनीति भी बनाई थी.
मुंबई में बीएमसी चुनाव से पहले महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई है. उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने की अटकलों के बीच महाविकास अघाड़ी (MVA) में दरार पड़ती दिख रही है. शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कांग्रेस को सीधी चेतावनी दी है. निरुपम ने कहा है, 'जिन मनसे वालों ने मुंबई में बिहार के लोगों के खिलाफ़ लगातार हिंसा भड़काई, उनको मारा पीटा, क्या ये कांग्रेस पार्टी को मान्य हैं?'
शिवसेना नेता संजय निरुपम ने महाराष्ट्र में विपक्षी दलों और चुनाव आयोग की बैठक पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, खासकर राज ठाकरे की MNS की महाविकास अघाड़ी में संभावित एंट्री को लेकर. निरुपम ने कांग्रेस से सवाल किया कि 'उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा करने वाली MNS से हाथ मिलाने के बाद वह किस मुंह से बिहार में वोट मांगेगी.'
मुंबई से सटे ठाणे में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी का मामला सामने आया है. MNS की पदाधिकारी पर एक हिंदी भाषी महिला को पार्टी दफ्तर में बुलाकर थप्पड़ मारने का आरोप है.
बीएमसी चुनाव को लेकर शिवसेना यूबीटी और एमएनएस के बीच गठबंधन की घोषणा किसी भी समय हो सकती है. एमएनएस नेता बाला नंदगांवकर ने कहा है कि उनकी पार्टी शिवसेना यूबीटी के साथ गठबंधन की दिशा में आगे बढ़ रही है. उन्होंने यह भी बताया कि इस गठबंधन में क्या सबसे बड़ी बाधा है.
कॉमेडियन कपिल शर्मा के मशहूर 'कपिल शर्मा शो' को लेकर राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने धमकी दी है. एमएनएस नेता ने कपिल शर्मा और उनकी पूरी टीम को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि अगर आगे भी कपिल शर्मा के शो में मुंबई को बॉम्बे या बम्बई कहा गया तो एमएनएस स्टाइल में उन्हें सबक सिखाया जाएगा.
एशिया कप में 14 सितंबर को होने वाले भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को लेकर शिवसेना (यूबीटी) ने 'सिंदूर रक्षा' प्रदर्शन का ऐलान किया है. सांसद संजय राउत ने इस मैच का विरोध किया है. वहीं, MNS नेता अमेय खोफकर ने कपिल शर्मा और उनके कॉमेडी शो की पूरी टीम को धमकी दी है. देखें मुंबई मेट्रो.
उत्तर भारती विकास सेना के प्रमुख सुनील शुक्ला ने अपने साथ हुई हिंसक घटना में कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुनील ने अब सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है और बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है.
Marathi Language को लेकर Nagpur के यूनियन बैंक में MNS कार्यकर्ताओं का हंगामा
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे मराठी भाषा के मुद्दे पर साथ आ गये हैं, लेकिन संजय राउत को बाहरी दबाव की आशंका सता रही है. संजय राउत ने शक जताया है कि अभी गठबंधन नहीं हुआ है, और राजनीतिक विरोधी ऐसा होने नहीं देना चाहेंगे.
ठाकरे ब्रदर्स के साथ आने की अटकलों पर शिवसेना यूबीटी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि दोनों भाई अब एक मंच पर आए हैं, लोग चाहते है कि दोनों भाई साथ काम करें. उन्होंने कहा कि INDIA अलायंस में कोई मतभेद नहीं हैं और हमारी लड़ाई तो मराठी अस्मिता को बचाने की है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना को करीब दस फीसदी वोट मिला और 20 सीटें. जबकि राज ठाकरे की पार्टी मनसे तो खाता भी नहीं खोल पाई. यहां तक कि राज ठाकरे के बेटे भी चुनाव हार गए. BMC चुनाव से पहले मराठी-हिंदी विवाद के चलते दोनों ठाकरे बंधु एक मंच पर तो आए, लेकिन राज ठाकरे के बदलते सुर ने उद्धव को फिर से परेशानी में डाल दिया.
दुर्भाग्य है कि मुंबई में मराठी न बोल पाने वाले एक कारोबारी को थप्पड़ मारने वाले अभी तक पकड़े नहीं जा सके हैं और न ही संतोष राणे जैसे अहंकार में चूर नेताओं के खिलाफ मामला ही दर्ज हो सका है. इससे तो यही समझा जाएगा कि सरकार भी ऐसे लोगों के सामने झुक गई है, जो चाहते हैं कि हिंदी भाषी डरकर रहें या मराठी बोलना नहीं आती है तो मुंबई छोड़ दें.
मराठी विवाद के बीच अब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के तेवर नरम पड़ते नजर आ रहे हैं. उद्धव बार-बार यह सफाई दे रहे हैं कि हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं. वहीं, राज भी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. इसके पीछे क्या है?
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. मुंबई में एक फूड स्टॉल मालिक को मराठी न बोलने पर पीटे जाने के बाद यह मामला और गरमा गया. इस घटना के विरोध में व्यापारी संगठनों ने रैली निकाली, जिसके खिलाफ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने भी आज सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया. कई जगहों पर MNS कार्यकर्ताओं को प्रदर्शन की इजाजत नहीं मिली, जिसके बाद हंगामा हुआ और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया.
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर राजनीतिक तनाव बढ़ गया है. मुंबई में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेताओं की गिरफ्तारी हुई है, जिसमें संदीप देशपांडे और अविनाश यादव शामिल हैं. पुलिस पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए MNS ने मोर्चा निकालने की बात कही है. मीरा रोड में पुलिस ने MNS के मोर्चे को अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया.
महाराष्ट्र में एक मोर्चा को लेकर राजनीतिक गहमागहमी तेज हो गई है. पहले सरकार ने इस मोर्चे को इजाजत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद कुछ नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया. हालांकि, बाद में अचानक इस मोर्चे को मंजूरी दे दी गई, लेकिन उसका रूट बदलने के लिए कहा गया. इस दौरान एक विधायक और सरकार के मंत्री प्रताप सरनाइक भी वहां पहुंचे, जहां उन्हें 'गो बैक' के नारों का सामना करना पड़ा. इस पर आजतक ने उनसे की बात.
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर राजश्री मोरे मुंबई के अम्बुली पुलिस स्टेशन पहुंचीं, जहां उन्होंने एक एमएनएस कार्यकर्ता के बेटे के साथ हुए एक्सीडेंट के मामले में अपनी शिकायत दर्ज कराई. राजश्री मोरे ने बताया कि उनके एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद उन्हें धमकियां मिलनी शुरू हो गईं, जिसमें उन्होंने मराठी लोगों को अधिक मेहनत करने की बात कही थी.