जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) 13 अक्टूबर 2014 को न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 1 फरवरी 2016 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. इसके बाद, 11 अक्टूबर 2021 को उनका स्थानांतरण दिल्ली उच्च न्यायालय में हुआ.
जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में मार्च 2025 में आग लग गई थी. आग की सूचना पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम को आग बुझाने के दौरान उनके बंगले में भारी मात्रा में कैश मिला. जिसकी सूचना फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने अपने उच्च अधिकारियों को दी. इतनी मोटी रकम उनके बंगले में कहां से आई यह अभी जांच का विषय है. इस घटना के बाद उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में करने की सिफारिश की गई.
जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को हुआ था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बीकॉम (ऑनर्स) किया और 1992 में रीवा विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की. 8 अगस्त 1992 को उन्होंने अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण कराया और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की, जहां वे मुख्य रूप से सिविल, संवैधानिक, औद्योगिक विवाद, कॉर्पोरेट, कराधान और पर्यावरण से जुड़े मामलों में विशेषज्ञता रखते थे.
2006 से उन्होंने उच्च न्यायालय में विशेष वकील के रूप में कार्य किया.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही समिति में वकील करण उमेश साल्वी को सलाहकार नियुक्त किया है. यह समिति 'न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968' के तहत बनी है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है. यह प्रस्ताव 146146 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित है और भारत के राष्ट्रपति को भेजा जाएगा. न्यायमूर्ति वर्मा पर कदाचार का आरोप है, जिसमें नई दिल्ली स्थित तिलक क्रिसेंट परिसर से 15 मार्च 2025 को जली हुई नकदी की बरामदगी शामिल है.
जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. लोकसभा स्पीकर ने तीन सदस्यीय कमेटी के गठन का ऐलान किया है. यह कार्रवाई जस्टिस वर्मा के घर से जले हुए नोटों की गड़ियां मिलने के बाद शुरू हुई थी. स्पीकर ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है और ऐसे में पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजा जाएगा.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. लोकसभा में आज स्पीकर ओम बिरला ने तीन सदस्यीय कमेटी के गठन का ऐलान कर दिया. समिति में सुप्रीम कोर्ट के जज अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस मनींद्र मोहन और कर्नाटक हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट बीवी आचार्य शामिल हैं. देखें 'लंच ब्रेक'.
कैश एट होम केस में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है. इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के जज, मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और एक वरिष्ठ वकील को शामिल किया गया है, जो मामले की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जो कथित कैश बरामदगी विवाद में दायर की गई थी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी भी की.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की वोटर लिस्ट से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने के मामले में चुनाव आयोग से विस्तृत जवाब मांगा है. कोर्ट ने आयोग को 9 अगस्त तक हटाए गए मतदाताओं की पूरी जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "हम वोटरों की चोरी को रोकना और संसद में इस पर बहस चाहते हैं."
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की कैश कांड से जुड़ी इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश को रद्द करने की अपील की याचिका को खारिज कर उन्हें बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा से जांच कमेटी से जुड़े सवाल भी पूछे.
अगर जस्टिस वर्मा खुद अपने पद से इस्तीफा देते हैं तो वह महाभियोग का सामना करने से बच जाएंगे. साथ ही उन्होंने रिटायर्ड जज के तौर पर पेंशन भी मिलेगी. लेकिन जस्टिस वर्मा को अगर महाभियोग के जरिए पद से हटाया जाता है तो उन्हें पेंशन और अन्य लाभ नहीं मिल सकेंगे.
जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास में 14 मार्च की रात आग लग गई थी. इस घटना के समय जस्टिस यशवंत वर्मा घर में नहीं थे. उनके परिवार के सदस्यों ने आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड से मदद मांगी थी. दिल्ली फायर डिपार्टमेंट ने तत्काल एक टीम को जज के घर भेजा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कैश कांड में जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका खारिज की. कोर्ट ने कहा कि जांच समिति की प्रक्रिया वैध और भरोसेमंद रही है.
कैश कांड में जस्टिस वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से कानूनी झटका लगा है, उनकी याचिका खारिज कर दी गई है. इधर बिहार के बाद बंगाल पर विपक्षी दलों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया है. ममता के बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. ट्रंप के टैरिफ से बाजार बेअसर रहे हैं, हालांकि सरकार 50 फीसदी टैरिफ पर सरकार सख्त है.
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है. उन्होंने इन-हाउस जांच प्रक्रिया और CJI की भूमिका पर सवाल उठाए थे. कोर्ट ने मौजूदा प्रक्रिया का बचाव करते हुए देरी पर सवाल उठाए. टेप्स रिलीज के समय पर असहमति जताते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रक्रिया का पालन जरूरी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ उनके घर से अकूत नकदी बरामद होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा से कई सीधे सवाल पूछे. कोर्ट ने याचिका में ‘ट्रिपल एक्स’ नाम के इस्तेमाल पर सवाल उठाया और पूछा कि पहचान छिपाने की क्या दिक्कत है. कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस कमेटी को अवैध बताया जा रहा था, तो उसके सामने पेश क्यों हुए.
जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा है कि अगर उनकी याचिका को मंजूरी नहीं दी गई तो उन्हें अपूरणीय नुकसान होगा. उन्होंने अपनी याचिका में रिट याचिका XXX के नाम से दर्ज करने की मंजूरी मांगी है ताकि उनकी पहचान छिपाई जा सके.
जस्टिस यशवंत वर्मा ने कैश कांड मामले में तीन जजों की इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उन्होंने आरोप लगाया कि जांच में न उन्हें सुनवाई का मौका मिला, न ही गवाहों से सवाल पूछने की अनुमति.
सूत्रों के अनुसार, जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर अब नए तरीके से प्रक्रिया शुरू होगी. पहले यह प्रस्ताव राज्यसभा में स्वीकार कर लिया गया था, लेकिन अब सूत्रों का कहना है कि 'कानून के अनुसार इसे राज्यसभा में स्वीकार नहीं किया गया है.' इस कारण अब इस प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं रह गया है. यह प्रस्ताव विपक्ष की ओर से पेश किया गया था और इसे जगदीप धनखड़ ने स्वीकार किया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए सरकार ने लोकसभा में पक्ष-विपक्ष के 152 सांसदों के हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव स्पीकर को दिया है. विपक्ष ने मॉनसून सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में इससे संबंधित प्रस्ताव दे दिया था. अब किरेन रिजिजू ने साफ कर दिया है कि जस्टिस वर्मा को हटाने की प्रक्रिया किस सदन में शुरू होगी.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और अर्जुन राम मेघवाल ने मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की. यह बैठक मल्लिकार्जुन खड़गे के राज्यसभा स्थित कार्यालय में हुई, जिसका मुख्य विषय जस्टिस वर्मा से संबंधित है. समाजवादी पार्टी और टीएमसी ने जस्टिस वर्मा के नोटिस वाले प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. सरकार इस मामले में विपक्ष को साथ लेना चाहती है और एक संयुक्त समिति गठित करने की प्रक्रिया में है.
जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए दिए गए प्रस्ताव की जांच की जा रही है. लोकसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया है कि इस जांच में एक हफ्ते का वक्त लग सकता है. जांच पूरी होने के बाद एक समिति का गठन किया जाएगा. नियमों के अनुसार, सदन में ऐसे प्रस्ताव के बारे में घोषणा करने की आवश्यकता नहीं होती है. हालांकि, पूर्व सभापति जगदीप धनकड़ ने राज्यसभा में इस प्रस्ताव के बारे में बताया था.
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस वर्मा से जुड़े मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. यह मामला भ्रष्टाचार और महाभियोग से संबंधित है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई के लिए एक स्पेशल बेंच का गठन करेगा. चीफ जस्टिस गवई ने खुद को इस स्पेशल बेंच से अलग रखने का फैसला किया है. सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया था और कहा था कि जस्टिस वर्मा की याचिका में कई अहम संवैधानिक पहलू शामिल हैं.