Justice Yashwant Varma Cash Row: 14 मार्च 2025 को दिल्ली के वीवीआईपी इलाके 30 तुगलक क्रिसेंट स्थित सरकारी आवास में आग लगी थी. इस आग को फायरब्रिगेड कर्मियों ने कुछ घंटों में ही बुझा दिया. हालांकि, घर के स्टोर रूम से आई तस्वीरें-वीडियो ने सबको चौंका दिया. कथित तौर पर वहां बड़ी मात्रा में नकदी—जली और अधजली नोट मिले.
ये सरकार आवास जस्टिस यशवंत वर्मा का था. वो उस समय दिल्ली हाईकोर्ट में बतौर जज कार्यरात थे. लेकिन जब विवाद बढ़ा तो उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया.
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड मामले में तीन जजों की समिति ने रिपोर्ट पेश की. अब उसी रिपोर्ट को ख़ारिज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यशवंत की याचिका पर 28 जुलाई यानि सोमवार को सुनवाई होनी है.
यह याचिका उस इन-हाउस जांच रिपोर्ट को चुनौती देती है जिसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ गंभीर परिस्थितिजन्य साक्ष्य पाए गए थे और उनके महाभियोग की सिफारिश तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा की गई थी.
क्या कहा जस्टिस वर्मा ने?
जस्टिस यशवंत वर्मा ने याचिका में आरोप लगाया है कि जांच प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ. उन्हें न तो निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिला और न ही गवाहों से जिरह करने की अनुमति दी गई.
यह भी पढ़ें: राज्यसभा या लोकसभा, जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की प्रक्रिया कहां शुरू होगी? रिजिजू ने खत्म किया सस्पेंस
उन्होंने आरोप लगाया कि जांच समिति ने गलत तरीके से उनके ऊपर यह जिम्मेदारी डाल दी कि वह खुद को निर्दोष साबित करें, जबकि किसी तथ्य को पहले ही सच मान लिया गया था.
महाभियोग की प्रक्रिया शुरू
इसी बीच, लोकसभा में भी जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया है, जिस पर 152 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. यह प्रस्ताव स्पीकर ओम बिड़ला को सौंपा गया है और इसमें कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, जेडीएस और सीपीएम जैसे दलों के सांसदों का समर्थन शामिल है.
राज्यसभा में भी प्रस्ताव दाखिल
राज्यसभा में भी पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को एक प्रस्ताव सौंपा गया है जिसमें जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की मांग की गई. इस प्रस्ताव पर 50 से अधिक राज्यसभा सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. यह प्रस्ताव जस्टिस वर्मा के इस्तीफे से कुछ घंटे पहले ही दाखिल हुआ था.