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National Space Day 2025: PSLV से गगनयान तक – भारत की अंतरिक्ष सफलता

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा को गर्व के साथ प्रदर्शित किया. PSLV की शुरुआत से लेकर गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन तक, इसरो ने दुनिया को दिखाया कि भारत अंतरिक्ष में कितना सक्षम है. चंद्रयान-3 की सफलता ने नई पीढ़ी को प्रेरित किया. BAS जैसे प्रोजेक्ट भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनाएंगे.

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इसरो ने अंतरिक्ष की दुनिया में कई इतिहास रचे हैं. चंद्रयान, मंगलयान और अगला गगनयान. (File Photo: ISRO)
इसरो ने अंतरिक्ष की दुनिया में कई इतिहास रचे हैं. चंद्रयान, मंगलयान और अगला गगनयान. (File Photo: ISRO)

23 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह दिन चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर ऐतिहासिक लैंडिंग (23 अगस्त 2023) की याद में मनाया जाता है, जिसने भारत को दुनिया का पहला देश बनाया, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा.

इस साल नई दिल्ली के भारत मंडपम में दो दिन (22-23 अगस्त) तक चल रहे इस समारोह में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं को प्रदर्शित किया. PSLV से लेकर गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) तक भारत की अंतरिक्ष यात्रा गर्व का विषय है.

यह भी पढ़ें: ISRO ने दिखाया भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का मॉडल: 2028 में पहला मॉड्यूल, 2035 तक बनेगा पूरा स्टेशन

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का महत्व

23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की. यह भारत की अंतरिक्ष क्षमता का प्रतीक था, क्योंकि यह क्षेत्र पहले कभी नहीं खोजा गया था. इस उपलब्धि ने भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश बनाया.  

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2025 का समारोह खास था, क्योंकि इसरो ने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के मॉडल को पहली बार दुनिया के सामने पेश किया. इस समारोह में हजारों लोग, खासकर छात्र और युवा शामिल हुए. 

इसरो की प्रमुख उपलब्धियां

इसरो ने पिछले कुछ दशकों में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं. आइए, इनमें से कुछ को देखें...

यह भी पढ़ें: ISRO का नया कमाल... 40 मंजिला रॉकेट बनाएगा, 75 टन वजन अंतरिक्ष में ले जाएगा

1. PSLV: भारत का भरोसेमंद रॉकेट

पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) इसरो का सबसे भरोसेमंद रॉकेट है, जिसने 1993 से अब तक 50 से ज्यादा सफल मिशन पूरे किए हैं. यह सूर्य-संनादी (सन-सिंक्रोनस) और लो अर्थ ऑर्बिट में उपग्रह भेजने में माहिर है. इसकी प्रमुख उपलब्धियां...

  • चंद्रयान-1 (2008): भारत का पहला चंद्र मिशन, जिसने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज की.
  • मंगलयान (2013): भारत का पहला मंगल मिशन, जो पहली कोशिश में ही सफल रहा. यह दुनिया का सबसे सस्ता मंगल मिशन था, जिसकी लागत 450 करोड़ रुपये थी.
  • 104 उपग्रहों का लॉन्च (2017): PSLV ने एक साथ 108 उपग्रह लॉन्च करके विश्व रिकॉर्ड बनाया.

PSLV ने भारत को नेविगेशन (IRNSS), संचार (GSAT) और पृथ्वी अवलोकन (कार्टोसैट) जैसे उपग्रहों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया.

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चंद्रयान मिशन: चंद्रमा की खोज

  • चंद्रयान-1 (2008): इसने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि की.
  • चंद्रयान-2 (2019): हालांकि इसका लैंडर क्रैश हो गया, लेकिन ऑर्बिटर आज भी चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है और महत्वपूर्ण डेटा भेज रहा है.
  • चंद्रयान-3 (2023): इसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करके भारत का नाम रोशन किया. प्रज्ञान रोवर ने वहां की मिट्टी और चट्टानों का विश्लेषण किया.

मंगलयान और अन्य ग्रहीय मिशन

मंगलयान ने भारत को पहली कोशिश में मंगल पर पहुंचने वाला पहला देश बनाया. इसरो अब शुक्रयान (2025 में शुक्र ग्रह का अध्ययन) और चंद्रयान-4 (2028 में चंद्रमा से नमूने लाने) की तैयारी कर रहा है.

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गगनयान: भारत का पहला मानव मिशन

गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जो 2026 में लॉन्च होगा. इसके तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री 400 किलोमीटर ऊपर लो अर्थ ऑर्बिट में 3-7 दिन बिताएंगे. इसकी खास बातें...

  • LVM-3 रॉकेट: इसे लॉन्च करने के लिए भारत का सबसे ताकतवर रॉकेट इस्तेमाल होगा.
  • चालक दल: चार वायुसेना पायलट प्रशिक्षण ले रहे हैं.
  • स्वदेशी तकनीक: गगनयान में क्रायोजेनिक इंजन, हीट शील्ड और लाइफ सपोर्ट सिस्टम भारत में बने हैं.

इसरो ने 2024 में गगनयान मानवरहित मिशन और पैड अबॉर्ट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरे किए, जो इसकी तैयारी का हिस्सा हैं.

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भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS)

इसरो ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का मॉडल पेश किया. BAS-01 मॉड्यूल 2028 में लॉन्च होगा. 2035 तक पूरा स्टेशन तैयार होगा. इसकी खासियतें...

  • वजन: 10 टन, ऊंचाई: 450 किमी.
  • स्वदेशी तकनीक: भारत डॉकिंग सिस्टम, बर्थिंग मैकेनिज्म और ECLSS (पर्यावरण नियंत्रण और जीवन रक्षा प्रणाली).
  • उद्देश्य: माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान, अंतरिक्ष पर्यटन और अंतरग्रहीय मिशनों की तैयारी.

BAS भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की श्रेणी में लाएगा, जो अपने अंतरिक्ष स्टेशन चलाते हैं.

यह भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय वायुसेना की बड़ी तैयारी... रैम्पेज मिसाइलों के लिए मेगा ऑर्डर

2025 का समारोह: क्या था खास?

22-23 अगस्त 2025 को भारत मंडपम में हुए समारोह में...

  • BAS मॉडल: 3.8 मीटर x 8 मीटर का BAS-01 मॉडल मुख्य आकर्षण रहा. यह भारत के अंतरिक्ष स्टेशन का प्रतीक है.
  • प्रदर्शनियां: चंद्रयान, मंगलयान और गगनयान के मॉडल दिखाए गए.
  • छात्रों का उत्साह: हजारों छात्रों ने इसरो के वैज्ञानिकों से मुलाकात की और अंतरिक्ष विज्ञान को समझा.

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इसरो की भविष्य की योजनाएं

इसरो का लक्ष्य 2047 तक भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनाना है. इसके लिए कुछ प्रमुख योजनाएं हैं...

  • शुक्रयान (2025): शुक्र ग्रह की सतह और वातावरण का अध्ययन.
  • चंद्रयान-4 (2028): चंद्रमा से मिट्टी और चट्टानों के नमूने लाना.
  • BAS (2035): पांच मॉड्यूल वाला अंतरिक्ष स्टेशन.
  • मंगल पर मानव मिशन: 2035 के बाद मंगल पर मानव भेजने की योजना.
  • अंतरिक्ष पर्यटन: BAS के जरिए भारत अंतरिक्ष पर्यटन के बाजार में उतरेगा.
  • निजी क्षेत्र: Skyroot, Agnikul Cosmos और Tata Advanced Systems जैसे स्टार्टअप्स इसरो के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

चुनौतियां और अवसर

  • चुनौतियां: अंतरिक्ष मिशनों की उच्च लागत (BAS की लागत 20,000 करोड़ रुपये), स्पेस डेब्रिस (अंतरिक्ष कचरा) और तकनीकी जटिलता बड़ी चुनौतियां हैं.
  • अवसर: इसरो की सफलताएं मेक इन इंडिया को बढ़ावा दे रही हैं. HAL, BEL और निजी कंपनियां अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान दे रही हैं. यह रोजगार और नवाचार के नए अवसर लाएगा.
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