भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) भारत की सबसे पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी है. सीपीआई की स्थापना 26 दिसंबर 1925 को कानपुर में हुई थी. हालांकि सीपीआई अपनी स्थापना तिथि 1925 मानती है, लेकिन 1964 में सीपीआई से अलग हुई भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का मानना है कि सीपीआई की स्थापना 17 अक्टूबर 1920 को हुई थी. इस मुद्दा पर दोनों दलों के बीच तकनीकी विवाद है (Communist Party of India).
वर्तमान में इसके दो सदस्य लोकसभा में और दो सदस्य राज्यसभा में हैं. इसके अलावा, चार राज्यों में इसके 22 विधायक और बिहार में एक एमएलसी है. इसे तमिलनाडु, केरल और मणिपुर में राज्य पार्टी की वर्तमान ईसीआई स्थिति प्राप्त है.
सीपीआई ब्रिटिश उपनिवेशवाद के प्रतिरोध, जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई और भूमि सुधार में भारी रूप से शामिल थी.
सीपीआई 1996 से 1998 तक सत्तारूढ़ संयुक्त मोर्चा सरकार का हिस्सा थी और देवेगौड़ा और गुजराल मंत्रालय के तहत उसके दो मंत्री थे. वाम मोर्चे ने वीपी सिंह सरकार (1989-90) और यूपीए सरकार (2004-2009) को बाहर से समर्थन दिया था. वाम मोर्चे ने पश्चिम बंगाल में 34 वर्षों (1977-2011) और त्रिपुरा में 25 वर्षों (1993-2018) तक शासन किया.
दिसंबर 2023 तक, सीपीआई केरल में एलडीएफ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का हिस्सा रही है. केरल में सीपीआई के चार कैबिनेट मंत्री और एक उपाध्यक्ष हैं. तमिलनाडु में वह डीएमके के नेतृत्व वाले एसपीए गठबंधन के साथ सत्ता में है. तेलंगाना में, यह कांग्रेस के साथ गठबंधन में है.
सीपीआई, वाम मोर्चे के साथ, 2024 के आम चुनावों में मौजूदा बीजेपी के नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी एनडीए सरकार को हराने के लिए गठित 'इंडिया' गठबंधन का हिस्सा है.
Bihar Election Results 2025: बिहार चुनाव 2025 के नतीजों में लेफ्ट पार्टियों ज्यादा दम नहीं दिखा पाई. देखिए नतीजे.
बिहार महागठबंधन में सीटों को लेकर लड़ाई मैदान में उतर आई है. कांग्रेस, आरजेडी और लेफ्ट पार्टियों के बीच फ्रेंडली फाइट के नाम पर असल में भीतरघात खुलकर सामने आ गया है. सिर्फ आरजेडी ही नहीं, JMM भी कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहरा रही है.
महागठबंधन में कांग्रेस और आरजेडी के अलावा वामपंथी दल और मुकेश सहनी की वीआईपी शामिल है. ऐसे में आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट की संख्या से ज्यादा सियासी जमीन की लड़ाई है. इसके चलते ही कांग्रेस और आरजेडी के बीच शह-मात का खेल चल रहा है.
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीट बंटवारे पर अब भी अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. इसी बीच CPI ML ने चुनावी मैदान में बढ़त लेते हुए मंगलवार को अपने 18 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी, हालांकि बाद में इसे वापस भी ले लिया.
इतिहासकार इरफान हबीब ने भारत छोड़ो आंदोलन की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब जापानी आक्रमण का खतरा था, तब यह आंदोलन शुरू करना सही नहीं था. उन्होंने यह भी कहा कि 1940 के दशक में कम्युनिस्टों ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग को एक जैसा माना था और यह गलती थी.
कन्नूर के थालसेरी कोर्ट परिसर में सीपीआई (एम) ने एक 'सम्मान समारोह' आयोजित किया, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया. यह समारोह उन आठ आरोपियों के लिए था, जो 1994 में बीजेपी सांसद सी. सदानंदन पर जानलेवा हमले के मामले में जेल जा रहे थे.
राहुल गांधी 2019 में अमेठी से चुनाव हारे तो वायनाड ने ही उन्हें संसद पहुंचाया था. इस बार भी वो वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं, और अपने पत्ते तब तक नहीं खोले जब तक वहां मतदान खत्म नहीं हो गया - लेकिन रायबरेली पहुंचते ही वायनाड में उनके विरोधियों ने तोप का मुंह कांग्रेस और राहुल की ओर कर दिया है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेशनल सेक्रेटरी अतुल कुमार अंजान का लखनऊ में निधन हो गया. वो पिछले काफी वक्त से बीमार चल रहे थे. अतुल कुमार पिछले करीब एक महीने से लखनऊ के मेयो अस्पतालव में एडमिट थे.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने अपने घोषणापत्र में परमाणु हथियार नष्ट करने का वादा किया है. इसे लेकर बवाल खड़ा हो गया है. सीपीएम शुरू से ही परमाणु हथियारों का विरोध करती रही है. मनमोहन सरकार में भी जब अमेरिका के साथ परमाणु समझौता हो रहा था, तब लेफ्ट पार्टियों ने इसका दमदार विरोध किया था.