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'कांग्रेस और मुस्लिम लीग को एक जैसा मानना कम्युनिस्टों की गलती', बोले इरफान हबीब

इतिहासकार इरफान हबीब ने भारत छोड़ो आंदोलन की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब जापानी आक्रमण का खतरा था, तब यह आंदोलन शुरू करना सही नहीं था. उन्होंने यह भी कहा कि 1940 के दशक में कम्युनिस्टों ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग को एक जैसा माना था और यह गलती थी.

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इरफान हबीब ने कहा- मुस्लिम कम्युनिस्टों को मुस्लिम लीग में भेजना गलत था (Photo: ITG)
इरफान हबीब ने कहा- मुस्लिम कम्युनिस्टों को मुस्लिम लीग में भेजना गलत था (Photo: ITG)

इतिहासकार इरफान हबीब ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने की टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि 1942 में जब जापान की सेना भारत की सीमा पर थी, उस समय भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने का निर्णय सही नहीं था. इरफान हबीब ने यह भी कहा कि1940 के दशक में कम्युनिस्टों की गलती यह थी कि उन्होंने कांग्रेस और मुस्लिम लीग को एक जैसा मान लिया.

वह सोमवार को नई दिल्ली में सीताराम येचुरी मेमोरियल लेक्चर में बोल रहे थे. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उन्होंने इस लेक्चर में स्वतंत्रता आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि अतीत हमेशा वर्तमान पर छाया डालता है. इरफान हबीब ने कहा कि उस समय कांग्रेस और कम्युनिस्ट, दोनों एक-दूसरे के विरोध में थे.

उन्होंने आगे कहा कि उनके पिता के एक छात्र को उस समय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के महासचिव पी सी जोशी ने मुस्लिम लीग में भेज दिया था. उस छात्र को बाद में पाकिस्तान जाना पड़ा. इरफान हबीब ने यह भी कहा कि कांग्रेस और मुस्लिम लीग को एक स्तर पर रखना न सिर्फ गलती थी, बल्कि गंभीर गलती थी.

प्रसिद्ध इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा कि उस समय की कांग्रेस कहती थी कि उनके पास समाजवादी कार्यक्रम है. उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि सोशलिस्ट था, लेकिन जन कल्याण का कार्यक्रम था उनके पास. इरफान हबीब ने कहा कि मुस्लिम लीग में ऐसा कुछ नहीं था. ऐसे में मुस्लिम कम्युनिस्टों को मुस्लिम लीग में भेजना गलती थी.

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उन्होंने यह भी कहा कि 1941 में सोवियत संघ पर जर्मनी के हमले के बाद छिड़े दूसरे विश्वयुद्ध को सीपीआई ने फासीवाद के खिलाफ जनता का युद्ध बताया, ब्रिटेन का समर्थन किया. इरफान हबीब ने कहा कि इसकी वजह से सीपीआई ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध और मुस्लिम लीग जैसी पार्टियों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अंग्रेजों का विरोध किया, जबकि मुस्लिम लीग ने सहयोग किया. हमें 1940 के दशक में अपनी कमियों को देखना चाहिए.

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प्रसिद्ध इतिहासकार ने भारत छोड़ो आंदोलन की टाइमिंग पर सवाल उठाए और कहा कि जापानी हमले का खतरा था और ऐसी स्थिति में अंग्रेजोों से तत्काल भारत छोड़ने की मांग करना सही नहीं था. उन्होंने नेहरू के कागजातों का हवाला देते हुए कहा कि उस समय वह जापानी हमले से निपटने की तैयारी कर रहे थे. इरफान हबीब ने अंत में कहा कि समाजवाद और लोकतंत्र, दोनों अमूल्य हैं. भारत को आज केवल समाजवाद ही नहीं, बल्कि पूर्ण लोकतंत्र का विस्तार भी करना चाहिए.

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