अल-फलाह यूनिवर्सिटी (Al-Falah University) भारत के हरियाणा राज्य के फरीदाबाद जिले के धौज गांव में स्थित एक निजी विश्वविद्यालय है. यह लगभग 70 से 76 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है. यूनिवर्सिटी का मिनिमम उद्देश्य था, अल्पसंख्यक व कमजोर पृष्ठभूमि वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा देना. यह संस्थान मूल रूप से 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में स्थापित हुआ था. बाद में, हरियाणा सरकार द्वारा पारित “Haryana Private Universities (Amendment) Act, 2014” के अंतर्गत इस कॉलेज को 2014 में विश्वविद्यालय का दर्जा मिला. इसके बाद इसे University Grants Commission (UGC) से मान्यता प्राप्त हुई.
विश्वविद्यालय को Al‑Falah Charitable Trust द्वारा संचालित किया जाता है, जो दिल्ली के ओखला में स्थित है. वर्तमान में चांसलर के रूप में जावद अहमद सिद्दिकी और उपरोक्त प्रबंधन द्वारा विश्वविद्यालय का संचालन किया जाता है.
विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अनुसार, कुलपति (Vice-Chancellor) के रूप में प्रो. (डॉ) भुपिंदर कौर आनंद (Bhupinder Kaur Anand) नियुक्त हैं.
Al-Falah University में मेडिकल साइंसेज, इंजीनियरिंग और तकनीकी, सामाजिक विज्ञान, भाषा-साहित्य आदि अनेक विभाग हैं. विशेष रूप से, मेडिकल कॉलेज 2019 में MBBS के पाठ्यक्रम के साथ शुरू हुआ.
10 नवंबर 2025 को दिल्ली लाल किला वारदात (Delhi Red Fort Blast) में कुछ डॉक्टरों के आतंकवादी मॉड्यूल से जुड़े होने के आरोप सामने आए हैं, जो इसी यूनुवर्सिटी से ताल्लुक रखते हैं.ॉ
इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय की लाइसेंसिंग और मान्यता के संबंध में भी प्रश्न उठाए गए हैं, जैसे कि वेबसाइट पर ‘NAAC’ मान्यता को लेकर विवाद.
जांच में यह बात सामने आई है कि दक्षिण दिल्ली में जमीन GPA का उपयोग करके "बेची" गई थी, जिस पर कथित तौर पर उन व्यक्तियों के हस्ताक्षर थे जिनकी कई साल पहले, कुछ मामलों में दशकों पहले, मृत्यु हो चुकी थी. इन लोगों के जीपीए पर साइन थे.
आज तक के स्टिंग ऑपरेशन में पता चला कि किस तरह खेती का सामान बेचने वाली दुकानों पर फर्टिलाइजर की बिक्री दिखाने के लिए जमीन के रिकॉर्ड में कथित हेरफेर किया जाता है, जबकि दुकानदारों को इस बात का अंदाजा भी नहीं होता कि इन्हीं फर्टिलाइजर का इस्तेमाल क्रूड कार बम बनाने में किया जा सकता है.
दिल्ली धमाके की जांच के दौरान NIA को बड़ी सफलता मिली है. एजेंसी ने डॉक्टर मॉड्यूल से जुड़े उमर नबी के करीबी शोएब को गिरफ्तार किया है. इस गिरफ्तारी के साथ मॉड्यूल में सात लोगों को पकड़ा जा चुका है, जिनमें कई डॉक्टर और अल-फलाह यूनिवर्सिटी के लोग शामिल हैं. पढ़ें, शोएब की कहानी.
अल फलाह से जुड़े डॉक्टरों के ट्रेलर मॉडल और यूनिवर्सिटी के खातों की जांच अभी भी जारी है. संक्रमण के बीच अल फलाह के पक्ष में धार्मिक आवाज़ें उठ रही हैं. जिसमें बोला गया कि दुनिया के कई हिस्सों में मुसलमान लोग ऊंचे पदों पर आ सकते हैं जैसे न्यूयॉर्क या लंदन के मेयर, लेकिन भारत में मुस्लिम वाइस चांसलर बनना बेहद कठिन है.
दिल्ली ब्लास्ट केस में अल फलाह यूनिवर्सिटी के नाम पर विवादित बयान सामने आए हैं. मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मुसलमानों की वर्तमान स्थिति को लेकर चिंता जताई, साथ ही विश्वविद्यालय से जुड़े कुछ डॉक्टरों द्वारा आतंकवादी गतिविधि में संलिप्तता पर सवाल उठाए.
अरशद मदनी के बयान को लेकर विवाद छिड़ गया है. उन्होंने कहा कि लंदन और न्यूयॉर्क में मुस्लिम मेयर हो सकते हैं, लेकिन भारत के विश्वविद्यालयों में मुस्लिम वीसी नहीं बन पाते. भाजपा ने इस बयान को गुमराह करने वाला बताया है.
अल फलाह विश्वविद्यालय को लेकर देश में राजनीतिक विवाद दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है. जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जैसे मुस्लिम लंदन और न्यूयॉर्क के मेयर बन सकते हैं, वैसे भारत में मुस्लिम विश्वविद्यालय कुलपति क्यों नहीं बन सकते. उनके इस बयान पर बीजेपी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के हालिया बयान की ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी ने कड़ी आलोचना की है. इलियासी ने आरोप लगाया कि मदनी का बयान देश का माहौल बिगाड़ने, डर फैलाने और अराजकता पैदा करने वाला है.
मौलाना मदनी ने अल फलाह यूनिवर्सिटी पर चल रही कार्रवाई को लेकर सरकार पर सवाल उठाए और आजम खान का नाम लेते हुए बयान दिया कि मुसलमान देश में उच्च पदों पर नहीं आ पाते जबकि विदेशों में वे मेयर बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि यदि कोई मुसलमान विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर बनता है तो उसे जेल जाना पड़ता है.
अल फलाह विश्वविद्यालय को लेकर राजनीतिक विवाद लगातार बढ़ रहा है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा कि अगर मुस्लिम लंदन और न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहरों के मेयर बन सकते हैं, तो भारत में मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति क्यों नहीं बन सकते. इस बयान के बाद सियासत गरमाई और बीजेपी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत अन्य नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी.
मौलाना अरशद मदनी के बयान पर जारी विवाद ने एक नई बहस को जन्म दिया है जिसमें कई कांग्रेसी नेता और मुस्लिम धर्मगुरु उनके समर्थन में खड़े हो गए हैं, वहीं बीजेपी के नेता उनके बयान पर सवाल उठा रहे हैं. आलोचकों का कहना है कि मदनी और उनके परिवार की भूमिका मुसलमानों के लिए हानिकारक रही है और उन्होंने समाज को गुमराह किया है.
अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े टेरर मॉड्यूल जांच के बीच पेरेंट्स ने बच्चों के भविष्य को लेकर यूनिवर्सिटी को लेटर दिया और आश्वासन मांगा. मैनेजमेंट ने उन्हें कॉलेज बंद न होने का भरोसा दिया.
अल- फलाह यूनिवर्सिटी के एक्रेडिटेशन के मामले को लेकर NAAC ने शो कॉज नोटिस भेजा है. इसके साथ ही वहां से एमबीबीएस कर रहे कई छात्रों के अभिभावक भी वीसी से मिलने पहुंचे हैं.
दिल्ली ब्लास्ट को लेकर एक महत्वपूर्ण खुलासा सामने आया है जिसमें यह पता चला है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में आतंकवादी गतिविधियों के लिए एक डॉक्टर मॉड्यूल तैयार किया था. इस मॉड्यूल में बम बनाने के फॉर्मूले और तकनीक को फैलाने के लिए कई वीडियो भी भेजे गए थे. डॉक्टर मुज़म्मिल को खासतौर पर 42 वीडियो भेजे गए जिनमें बम बनाने की विधियां विस्तार से समझाई गई थीं.
Jawad Siddiqui Mhow Property: दिल्ली ब्लास्ट मामले से जुड़ी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी के महू स्थित मकान को तोड़फोड़ की कार्रवाई फिलहाल रोक दी गई. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यह राहत दी है.
अल-फलाह यूनिवर्सिटी नैक एक्रेडिटेशन खत्म होने के बाद भी ए ग्रैड यूनिवर्सिटी होने का दावा करती थी. दिल्ली ब्लास्ट के बाद जब विश्वविद्यालय से जुड़ी जांच शुरू हुई तो पता चला कि इसकी नैक ग्रेडिंग की वैलिडिटी खत्म हो चुकी है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी ऐसा अकेला संस्थान है. अगर नहीं, तो बिना एक्रेडिटेशन के चलने वाले संस्थानों के साथ क्या होता है, क्या ऐसे संस्थानों की कोई लिस्ट होती है, जिससे इनकी पहचान की जा सके.
अल फलाह यूनिवर्सिटी से आतंकियों ने न सिर्फ दिल्ली को, बल्कि देश को भी दहलाने की बड़ी साजिश रची. लेकिन सवाल यही है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी को ही आतंकियों ने अपनी पनाहगाह क्यों बनाया? क्यों पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने डॉक्टर मॉड्यूल के लिए अल फलाह यूनिवर्सिटी को चुना? आज देश की सभी टॉप जांच एजेंसियां अल फलाह यूनिवर्सिटी का पूरा सच जानने में जुटी हैं. क्या अल फलाह यूनिवर्सिटी से आतंकियों को फंडिंग की जा रही थी? क्या अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद अहमद सिद्दीकी का टेरर मॉड्यूल से कोई कनेक्शन है?
आज सबसे पहले आपसे एक सवाल... अगर आप ऑपरेशन थिएटर, ब्लड टेस्ट, वेंटिलेटर, हार्ट अटैक, सर्जरी, मेडिकल ट्रीटमेंट, दवाई और ब्लड प्रेशर जैसे शब्द सुनेंगे या पढ़ेंगे तो क्या सोचेंगे? शायद आप यही सोचेंगे कि डॉक्टर्स या मरीज से जुड़ी बातचीत हो रही है. लेकिन अगर आपको ये बताया जाए कि ये डॉक्टर और मरीज से जुड़ी बातचीत नहीं बल्कि आतंकवादियों का शब्दकोष है, तो क्या आपको हैरानी नहीं होगी?
लालकिले के पास हुए धमाके मामले में पुलिस ने चार लोगों को और गिरफ्तार किया है, ये गिरफ्तारी श्रीनगर से हुई है, इन आरोपियों के तार भी अलफलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा खबर है कि साल 2008 में हुए दिल्ली धमाकों में भी अलफलाह यूनिवर्सिटी के एक छात्र का हाथ था, जो इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी था. कुल मिलाकर अब अलफलाह यूनिवर्सिटी को लेकर छापेमारी और कार्रवाई तेज है.
Delhi Blast से पहले बंद कमरे में 10 दिन तक क्यों रहा आतंकी उमर नबी?
दिल्ली ब्लास्ट के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी के 200 से ज्यादा डॉक्टर, लेक्चरर और स्टाफ जांच एजेंसियों के रडार पर हैं. यूनिवर्सिटी के हॉस्टल और छात्रों के कमरों की तलाशी ली जा रही है और 1000 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की जा चुकी है. इसके साथ ही एजेंसी ने GMC में डॉक्टरों के लॉकरों की जांच शुरू हो गई है, जहां पहले ही AK-47 बरामद हो चुका है.