India Tour of West Indies: दो महीने चले इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) और उसके ठीक बाद हुए वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) फाइनल के बाद अब भारतीय टीम एक महीने के आराम पर है. टीम इंडिया को अब सीधे वेस्टइंडीज दौरे पर जाना है. यह दौरा अगले महीने यानी जुलाई के पहले हफ्ते से शुरू हो जाएगा.
भारतीय टीम वेस्टइंडीज दौरे पर 2 टेस्ट, 3 वनडे और 5 टी20 मैचों की सीरीज खेलेगी. दौरे का आगाज 12 जुलाई से होगा, जब दोनों टीमों के बीच सीरीज का पहला टेस्ट मैच खेला जाएगा. टेस्ट के बाद वनडे और फिर आखिर में टी20 सीरीज खेली जाएगी.
बता दें कि टीम इंडिया का वेस्टइंडीज दौरा हमेशा से ही अपनी एक अलग छाप छोड़ता रहा है. वैसे तो भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज का अपना पहला दौरा जनवरी 1953 में किया था. तब 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में भारतीय टीम को 0-1 से हार मिली थी.
1976 का यादगार वेस्टइंडीज दौरा
मगर 1976 में टीम इंडिया का वेस्टइंडीज दौरा काफी खौफनाक यादों वाला रहा था. भारत ने उस दौरे पर पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच में 403 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए इतिहास रच दिया था. चौथी पारी में सबसे बड़े लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा करने का यह रिकॉर्ड 27 साल तक बरकरार रहा. लेकिन इसके बाद (21-25 अप्रैल 1976) किंग्सटन में खेले गए चौथे और आखिरी टेस्ट मैच में जो वाकया हुआ, उसे यादकर आज भी डर लगता है.

जब कैरेबियाई तेज गेंदबाजों ने उगली आग
दरअसल, कैरेबियाई तेज गेंदबाजों ने उस टेस्ट मैच में ऐसी आग उगली थी की भारतीय खिलाड़ी पिच पर उतरने लायक नहीं बचे. उस दौरे पर कह सकते हैं कि 17 सदस्यीय भारतीय टीम पूरी तरह चोटिल हो गई थी. पांच खिलाड़ी तो इस कदर चोटिल हुए थे कि दूसरी पारी में बैटिंग के लिए भी नहीं उतरे और स्कोर बोर्ड पर इन पांच खिलाड़ियों के आगे 'एबसेंट हर्ट' लिखा गया. यानी पांचों बगैर उतरे ही आउट मान लिए गए.
भारत ने पहली पारी में बनाए 306 रन
दरअसल, सीरीज 1-1 से बराबरी पर थी, और किंग्स्टन के सबीना पार्क में अप्रत्याशित उछाल से विंडीज के तेज गेंदबाजों ने भारतीय टीम को जबर्दस्त निशाना बनाया. भारत को माइकल होल्डिंग और वेन डैनियल, बर्नार्ड जूलियन और वैन होल्डर से सजे तेज आक्रमण के खिलाफ पहली पारी 306/6 के स्कोर पर पारी घोषित करनी पड़ी.
तीन खिलाड़ी हुए बुरी तरह चोटिल
इस पारी में अंशुमन गायकवाड़ (81 रन) और बृजेश पटेल बुरी तरह चोटिल होकर 'रिटायर्ड हर्ट' हुए. गायकवाड़ के बाएं कान पर चोट लगी और उन्हें अस्पताल में दो रातें बितानी पड़ीं. जबकि बृजेश पटेल को मुंह में चोट लगने के बाद टांके पड़े थे. इतना ही नहीं गुंडप्पा विश्वनाथ के दाहिने हाथ की उंगली टूट गई. ये तीनों मैच में आगे खेलने लायक नहीं बचे.
306 रनों के स्कोर पर एस. वेंकटराघवन का विकेट गिरते ही कप्तान बिशन सिंह बेदी ने पहली पारी घोषित कर दी. दरअसल, विकेट पर बेदी के उतरने की बारी थी और इसके बाद आखिर में भगवत चंद्रशेखर का नंबर था. ऐसे में दोनों ने विंडीज की तेज गेंदबाजी से खुद को बचाया.
भारतीय गेंदबाज रहे बेअसर
जिस पिच पर विंडीज के गेंदबाज ने आग उगली थी, उस पिच का भारतीय पेस अटैक कोई फायदा नहीं उठा सका और वेस्टइंडीज ने अपनी पहली पारी में 391 रन बना डाले. टीम के भरोसेमंद गेंदबाजों मदनलाल और मोहिंदर अमरनाथ क्रमश: 7 और 8 ओवर ही डाल सके. दूसरी तरफ बेदी, चंद्रशेखर और राघवन की स्पिन तिकड़ी थी जिन्होंने ज्यादातर ओवर गेंदबाजी की.

97/5 के स्कोर पर भारतीय पारी हुई खत्म
भारतीय टीम अपनी दूसरी पारी में अपने तीन बल्लेबाजों के बिना उतरी. टीम किसी तरह पांच विकेट पर 97 के स्कोर पर पहुंची. मात्र 12 रनों की बढ़त हो पाई थी और यहीं भारतीय पारी का अंत हो गया. बेदी और चंद्रशेखर फील्डिंग के दौरान चोटिल हो गए थे, जिसके चलते वह बल्लेबाजी करने में भी असमर्थ थे. यानी अंशुमन गायकवाड़, बृजेश पटेल और गुंडप्पा विश्वनाथ तो पहले से ही चोटिल थे और अब बेदी-चंद्रशेखर भी बल्लेबाजी के लिए नहीं उतरे. ये पांचों 'एबसेंट हर्ट' कहे गए.
सभी 17 खिलाड़ी मैदान पर उतरे
चोट से टीम की हालत इतनी खराब थी कि दौरे पर गए सभी 17 खिलाड़ी सब्स्टीट्यूट के तौर पर कभी न कभी मैदान पर दिखे.भारत के लिए मसीबत यहीं पर इस दौरान सब्स्टीट्यूट के तौर पर मैदान पर उतरे सुरिंदर अमरनाथ को मैच के दौरान ही अपेंडिक्स ऑपरेशन के लिए अस्पताल ले जाया गया था.
वेस्टइंडीज ने उस मुकाबले को दस विकेट से जीतकर सीरीज पर 2-1 से कब्जा किया. वेस्टइंडीज के लिए क्वाइव लॉयड की कप्तानी में विश्व क्रिकेट में शीर्ष पर पहुंचने की यहीं से शुरुआत हुई थी. उसने ऑस्ट्रेलिया में पिछली सीरीज 1-5 गंवाई थी, लेकिन इसके बाद वेस्टइंडीज ने 1980 के दशक के अंत तक क्रिकेट की दुनिया पर राज किया.