सिक्किम में हाल ही में भारी बारिश और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है. 1 जून 2025 को मंगन जिले के छातेन में भूस्खलन से एक सैन्य शिविर प्रभावित हुआ, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई. छह सुरक्षाकर्मी लापता हैं. तीस्ता नदी का जलस्तर भी बढ़ गया है. 6 सुरक्षाकर्मी लापता हैं. बचाव दल मुश्किल परिस्थितियों में उनकी तलाश कर रहे हैं.
सिक्किम में मौसम की स्थिति
सिक्किम में बार-बार बाढ़ और भूस्खलन के कई कारण हैं...
जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. इससे हिमनद झीलों का जलस्तर बढ़ रहा है, जो भारी बारिश या भूस्खलन से टूट सकती हैं.
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF): सिक्किम में 300 से अधिक हिमनद झीलें हैं, जिनमें से 10 खतरनाक हैं. भारी बारिश या हिमस्खलन से ये झीलें टूट सकती हैं, जिससे बाढ़ आती है.
अनियंत्रित निर्माण: हिमालय में अनियंत्रित निर्माण और प्रदूषण ने पहाड़ियों को कमजोर किया है, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है.
भूस्खलन और नदी अवरोध: भारी बारिश से पहाड़ियों पर मिट्टी और चट्टानें ढह सकती हैं, जो नदियों को अवरुद्ध कर सकती हैं. यह अवरोध ऊपर की ओर बाढ़ का कारण बनता है. अगर अवरोध टूटे, तो अचानक बाढ़ आ सकती है.
मौसम की चरम स्थिति: जलवायु परिवर्तन के कारण भारी बारिश और बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं.
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सिक्किम में पिछले कुछ वर्षों में कई प्राकृतिक आपदाएं आई हैं...
राहत और बचाव कार्य
सिक्किम प्रशासन, पुलिस और सीमा सड़क संगठन (BRO) फंसे पर्यटकों और लापता लोगों की तलाश में जुटे हैं. 26 राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें 2080 लोग रह रहे हैं. पश्चिम बंगाल सरकार ने रंगपो में हेल्प डेस्क खोला है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सही समय पर चेतावनी प्रणाली होती, तो नुकसान कम हो सकता था.