scorecardresearch
 

न AQI घट रहा, न स्मॉग... सबसे बड़ा सवाल कब तक ऐसे घुटती रहेंगी दिल्ली-NCR में सांसें

दिल्ली-एनसीआर में आज AQI 479 तक पहुंच गया, हवा 20 गुना जहरीली है. पराली का धुआं, गाड़ियों का प्रदूषण और सर्दी का तापमान इनवर्शन होने से स्मॉग फंसा हुआ है. हवा नहीं चल रही है. बारिश नहीं हो रही. 27-28 नवंबर तक राहत मुश्किल है.

Advertisement
X
दिल्ली का संविधान सदन घने स्मॉग में घिरा हुआ है. (Photos: PTI)
दिल्ली का संविधान सदन घने स्मॉग में घिरा हुआ है. (Photos: PTI)

दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों (NCR) में सर्दी का मौसम आते ही एक बार फिर जहरीली हवा ने लोगों की सांसें रोक ली हैं. सुबह-सुबह जब लोग आंखें खोलते हैं, तो बाहर धुंध का ऐसा परदा छाया रहता है कि सड़कें भी धुंधली नजर आती हैं. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर चढ़ गया है, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है.

रोहिणी, विवेक विहार जैसे इलाकों में AQI 458 तक पहुंच गया है. लोग मास्क लगाकर घर से निकल रहे हैं, लेकिन सवाल वही है – यह स्मॉग कब छंटेगा? कितने दिन और दिल्लीवासी इस जहरीली हवा में सांस लेंगे? इसकी वजहें समझते हैं और जानते हैं कि क्या हो सकता है आगे.

यह भी पढ़ें: मेडागास्कर में 300 किलो का पन्ना मिला... राष्ट्रपति भवन में छिपाया हुआ था

वर्तमान स्थिति: हवा इतनी जहरीली क्यों हो गई?

आज सुबह 9 बजे तक दिल्ली का औसत AQI 479 पर पहुंच गया था. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, 39 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से 20 पर AQI 400 से ज्यादा था. पीएम2.5 का स्तर 315 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और पीएम10 का 421 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा. 

Delhi NCR Smog Pollution

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक के मुताबिक, पीएम2.5 का सुरक्षित स्तर सिर्फ 15 माइक्रोग्राम होता है. यानी दिल्ली की हवा आज WHO के मानक से 20 गुना ज्यादा जहरीली है.  नोएडा में AQI 396, गाजियाबाद में 432, गुरुग्राम में 291 और फरीदाबाद में 239 रहा.

Advertisement

एनसीआर के ज्यादातर इलाकों में हवा 'बहुत खराब' या 'गंभीर' श्रेणी में है. लोग बाहर निकलने से डर रहे हैं. इंडिया गेट पर तो प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए. वे कह रहे हैं कि सरकार सिर्फ पानी की बौछारें मार रही है, असली समस्या का हल नहीं कर रही. 

वैज्ञानिक वजहें: स्मॉग क्यों बनता है, क्यों नहीं छंट रहा?

स्मॉग कोई साधारण धुंध नहीं है. यह धुंध और धुएं का मिश्रण होता है, जो छोटे-छोटे कणों (पार्टिकल्स) से बनता है. वैज्ञानिक रूप से दिल्ली का स्मॉग दो तरह का होता है – फोटोकैमिकल स्मॉग और विंटर स्मॉग. यहां विंटर स्मॉग की समस्या ज्यादा है. 

यह भी पढ़ें: किसी ने कोयला बैन किया, कोई पैदल चला... दिल्ली की तरह ये 5 शहर भी पॉल्यूशन से थे परेशान, फिर...

पराली जलाना (कृषि अवशेष जलाना):  पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान फसल कटाई के बाद पराली (भूसी) जलाते हैं. यह धुआं हवा में उड़कर दिल्ली पहुंच जाता है. नवंबर में यह समस्या चरम पर होती है. सैटेलाइट डेटा के मुताबिक, 2025 में पराली जलाने के मामले 45% तक प्रदूषण बढ़ा रहे हैं. जब पराली जलती है, तो इसमें कार्बन, नाइट्रोजन और अमोनिया जैसे गैस निकलते हैं. ये गैसें हवा में मिलकर छोटे कण (PM2.5) बनाते हैं, जो फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं.

Advertisement

Delhi NCR Smog Pollution
  
वाहनों का धुआं: दिल्ली में रोज 10 लाख से ज्यादा गाड़ियां चलती हैं. ये गाड़ियां पेट्रोल-डीजल जलाकर नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) छोड़ती हैं. ये गैसें सूरज की रोशनी से मिलकर ओजोन बनाती हैं, जो स्मॉग को और घना बनाता है. ट्रैफिक जाम में यह समस्या दोगुनी हो जाती है.
  
उद्योग और कंस्ट्रक्शन: दिल्ली-एनसीआर में सैकड़ों फैक्टरियां हैं, जो कोयला जलाकर बिजली बनाती हैं. इससे सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) निकलता है. कंस्ट्रक्शन साइट्स पर धूल उड़ती है, जो PM10 बढ़ाती है. एक अध्ययन के अनुसार, कंस्ट्रक्शन से 38% PM2.5 और 56% PM10 प्रदूषण होता है.  

तापमान इनवर्शन और कम हवा: यह सबसे बड़ी वैज्ञानिक वजह है. सर्दियों में रात को जमीन ठंडी हो जाती है, लेकिन ऊपर की हवा गर्म रहती है. इसे तापमान इनवर्शन कहते हैं. इससे प्रदूषक कण जमीन के पास फंस जाते हैं, ऊपर नहीं उड़ पाते. हवा की गति भी सिर्फ 3-8 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो धुएं को साफ नहीं कर पाती. नतीजा? स्मॉग की परत बन जाती है, जो दिखने में धुंध जैसा लगता है लेकिन सांस लेना मुश्किल कर देता है.  

अन्य स्रोत: घरों में लकड़ी या गाय के गोबर से चूल्हा जलाना, लैंडफिल में आग लगना और दिवाली के पटाखे – ये सब मिलकर हवा को और जहरीला बनाते हैं. ये सभी कण मिलकर एरोसोल बनाते हैं, जो हवा में तैरते रहते हैं. वैज्ञानिक कहते हैं, PM2.5 इतना बारीक होता है कि यह खून में घुल जाता है. दिल-फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है.

Advertisement

Delhi NCR Smog Pollution

कितने दिन और चलेगा यह स्मॉग? 

भारतीय मौसम विभाग (IMD) और IITM के पूर्वानुमान के मुताबिक, राहत मिलने में अभी वक्त लगेगा. 24 से 27 नवंबर तक AQI 'गंभीर' श्रेणी में ही रहेगा. तापमान 8-9 डिग्री तक गिरेगा, जो इनवर्शन को और मजबूत करेगा. हल्की हवा या बारिश न होने से स्मॉग 28 नवंबर तक बरकरार रह सकता है.

नवंबर के आखिर तक पराली जलाने का सीजन खत्म होगा, लेकिन वाहनों और उद्योगों का प्रदूषण बना रहेगा. अगर हवा की दिशा बदली या हल्की बारिश हुई, तो AQI 300 तक गिर सकता है. लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं – बिना लंबे उपायों के यह समस्या हर साल दोहराएगी.  

सरकार क्या कर रही है? GRAP के तहत सख्त कदम

प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) स्टेज 3 लागू है. इसमें स्कूलों में ऑनलाइन क्लास, निर्माण कार्य बंद और ट्रक प्रवेश पर रोक शामिल है. CAQM ने क्लाउड सीडिंग की कोशिश की, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सूखे मौसम में यह ज्यादा असर नहीं करेगी. किसानों को पराली न जलाने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं, लेकिन अभी पूरी तरह सफल नहीं हो सका.

Delhi NCR Smog Pollution

लोगों पर असर: सांस की बीमारी से मौत का खतरा

यह स्मॉग सिर्फ आंखों में जलन या खांसी नहीं लाता. यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, अस्थमा बढ़ाता है और दिल की बीमारियां करता है. 2023 के ग्लोबल एयर रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में प्रदूषण से 30% मौतें होती हैं. दिल्ली में रोजाना 10,000 से ज्यादा लोग प्रभावित हो रहे हैं. बच्चे, बूढ़े और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा है. डॉक्टर सलाह दे रहे हैं – N95 मास्क लगाएं, घर में एयर प्यूरीफायर चलाएं, बाहर कम निकलें.  

Advertisement

समाधान की राह

यह स्मॉग सिर्फ मौसम की समस्या नहीं, बल्कि मानवीय गलतियों का नतीजा है. वैज्ञानिक सुझाव देते हैं – इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दें. फैक्टरियों में फिल्टर लगाएं. किसानों को मशीनें दें पराली न जलाने के लिए. लंबे समय में हरे-भरे पेड़ और बेहतर मौसम पूर्वानुमान से मदद मिल सकती है. लेकिन सवाल वही है – सरकार और लोग मिलकर कब कदम उठाएंगे?  

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement