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जापान के ट्री फ्रॉग में पाया गया ताकतवर एंटीकैंसर ड्रग, एक डोज से कैंसर खत्म

जापानी ट्री फ्रॉग की आंत में मिला बैक्टीरिया कैंसर के खिलाफ कमाल का है. चूहों पर परीक्षण में एक डोज से ट्यूमर पूरी तरह गायब हो गए, वो भी बिना साइड इफेक्ट के. यह इम्यून सिस्टम को मजबूत कर ट्यूमर पर हमला करता है. कैंसर की नई दवा की बड़ी उम्मीद लेकर आई है.

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जापान के यामांशी में एक पत्ते पर बैठा ट्री फ्रॉग. (Photo: Getty)
जापान के यामांशी में एक पत्ते पर बैठा ट्री फ्रॉग. (Photo: Getty)

वैज्ञानिकों ने एक अद्भुत खोज की है. जापानी ट्री फ्रॉग (Dryophytes japonicus) नामक मेंढक की आंत में मौजूद बैक्टीरिया कैंसर से लड़ने में बहुत प्रभावी साबित हुआ है. चूहों पर किए गए परीक्षण में एक खास बैक्टीरिया ने ट्यूमर को पूरी तरह खत्म कर दिया, वो भी बिना किसी गंभीर साइड इफेक्ट के.

कैसे हुई यह खोज?

मेंढक, छिपकली और अन्य एम्फीबियन और सरीसृप (रेप्टाइल) बहुत कम कैंसर से पीड़ित होते हैं. जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने सोचा कि इनके आंत के बैक्टीरिया को चूहों में डालकर देखें तो क्या असर होता है.

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उन्होंने मेंढक, न्यूट और छिपकली से कुल 45 अलग-अलग बैक्टीरिया चुने. इनमें से 9 ने कैंसर से लड़ने की अच्छी क्षमता दिखाई. सबसे शानदार रहा जापानी मेंढक का बैक्टीरिया Ewingella americana.

Japan Tree Frog Cancer

क्या कमाल किया इस बैक्टीरिया ने?

  • सिर्फ एक डोज देने पर चूहों के ट्यूमर पूरी तरह गायब हो गए.
  • 30 दिन बाद फिर कैंसर सेल डाले गए, तो भी अगले एक महीने में ट्यूमर नहीं बने.

यह बैक्टीरिया दो तरीकों से काम करता है...

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  • सीधे ट्यूमर पर हमला करता है.
  • शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है – टी सेल, बी सेल और न्यूट्रोफिल्स को सक्रिय करता है.
  • ट्यूमर में ऑक्सीजन कम होती है, जहां कीमोथेरेपी दवाएं कम असर करती हैं. लेकिन यह बैक्टीरिया ऐसे कम ऑक्सीजन वाले माहौल में भी अच्छा काम करता है.

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सुरक्षा और तुलना

  • चूहों में यह बैक्टीरिया जल्दी खून से साफ हो गया.
  • मौजूदा कीमो दवा डॉक्सोरूबिसिन से ज्यादा प्रभावी साबित हुआ.
  • कोई लंबे समय का नुकसान नहीं हुआ, स्वस्थ अंगों पर भी असर नहीं पड़ा.
  • वैज्ञानिकों ने कहा कि यह बैक्टीरिया क्लिनिकल ट्रायल के लिए एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है.

Japan Tree Frog Cancer

अभी शुरुआत है

यह खोज अभी सिर्फ चूहों पर हुई है. इंसानों पर काम करेगी या नहीं, इसके लिए और बहुत परीक्षण जरूरी हैं. वैज्ञानिक अब इसे अन्य प्रकार के कैंसर पर आजमाना चाहते हैं. दूसरी दवाओं के साथ मिलाकर देखना चाहते हैं और बेहतर तरीके से दवा पहुंचाने के तरीके ढूंढ रहे हैं.

सुरक्षा सबसे बड़ा सवाल है, क्योंकि Ewingella americana इंसानों में संक्रमण भी पैदा कर सकता है. इसलिए क्लिनिकल ट्रायल में बहुत सावधानी बरतनी होगी. फिलहाल ब्लैडर कैंसर के इलाज में एक बैक्टीरिया थेरेपी पहले से इस्तेमाल हो रही है. मेंढक जैसे जीव भविष्य में कैंसर की नई दवाएं दे सकते हैं.

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वैज्ञानिकों ने कहा कि प्रकृति की जैव विविधता में अभी बहुत सारी छिपी दवाएं हैं. हमें इसे बचाना होगा ताकि नई दवाएं मिलती रहें. यह शोध 'Gut Microbes' जर्नल में प्रकाशित हुआ है. यह खोज कैंसर के मरीजों के लिए एक नई उम्मीद जगाती है.

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