सदियों से चली आ रही पहेली मुर्गी पहले आई या अंडा?... का जवाब वैज्ञानिकों ने आखिरकार दे दिया है. ब्रिटेन की शेफील्ड और वारविक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक पुरानी लेकिन चर्चित रिसर्च के अनुसार, मुर्गी पहले आई. इसका कारण है अंडे के छिलके में पाया जाने वाला एक खास प्रोटीन ओवोक्लीडिन-17 (OC-17), जो सिर्फ मुर्गी के शरीर में बनता है.
मुर्गी का अंडा मजबूत छिलका बनाने के लिए कैल्शियम कार्बोनेट से क्रिस्टल बनाता है. यह क्रिस्टल बनाने की प्रक्रिया को तेज करने वाला प्रोटीन OC-17 सिर्फ मुर्गी की ओवरी (अंडाशय) में पैदा होता है. बिना इस प्रोटीन के आधुनिक मुर्गी का अंडा नहीं बन सकता.
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वैज्ञानिकों ने सुपरकंप्यूटर की मदद से अध्ययन किया. OC-17 प्रोटीन कैल्शियम को तेजी से क्रिस्टल में बदलता है, जिससे 24-26 घंटे में मजबूत छिलका बन जाता है. शेफील्ड यूनिवर्सिटी के डॉ. कोलिन फ्रीमैन ने कहा कि लंबे समय से संदेह था कि अंडा पहले आया, लेकिन अब वैज्ञानिक प्रमाण है कि मुर्गी पहले आई. इसका मतलब है कि पहली असली मुर्गी ने ही पहला असली अंडा दिया, क्योंकि उसके शरीर में OC-17 प्रोटीन था.
हालांकि, विकासवाद (इवोल्यूशन) की थ्योरी से देखें तो अंडा बहुत पहले से मौजूद था. डायनासोर और अन्य पक्षी लाखों साल पहले अंडे देते थे. मुर्गी एक जंगली पक्षी (रेड जंगलफाउल) से धीरे-धीरे विकसित हुई.
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एक समय ऐसा आया जब दो लगभग-मुर्गी जैसे पक्षियों के मिलन से जेनेटिक म्यूटेशन हुआ और पहली सच्ची मुर्गी का अंडा बना. उस अंडे से निकली पहली मुर्गी. तो सामान्य अंडे की बात करें तो अंडा पहले आया, लेकिन खास मुर्गी के अंडे की बात करें तो मुर्गी पहले आई.

यह रिसर्च सिर्फ पहेली सुलझाने के लिए नहीं, बल्कि अंडे के छिलके बनाने की प्रक्रिया समझने के लिए की गई थी. OC-17 प्रोटीन की वजह से मुर्गी इतनी तेजी से मजबूत अंडे दे पाती है. इससे मजबूत सामग्री बनाने या मेडिसिन में नई खोजें हो सकती हैं.
यह सदियों पुरानी बहस को वैज्ञानिक तरीके से समझाती है. अब जब कोई पूछे मुर्गी पहले या अंडा?, तो आप कह सकते हैं – वैज्ञानिकों के अनुसार, OC-17 प्रोटीन वाली मुर्गी पहले आई.