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श्राद्ध करते समय इन बातों का रखें खास ख्याल...

प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक 16 दिन चलने वाले समयकाल को श्राद्ध कर्म के रुप में जाना जाता है. शास्त्रों में पूर्वजों के तर्पण के इन दिनों को बहुत ही शुभ माना गया है.

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श्राद्ध संस्कार
श्राद्ध संस्कार

विष्णु पुराण में कहा गया है कि श्रद्धा-भक्ति से किए गए श्राद्ध से पितरों के साथ ही देवगण और अन्य समस्त भूत प्राणी सभी तृप्त होते हैं. इसलिए श्राद्ध में कुछ वस्तुओं का विशेष महत्व है और कुछ का निषेध है.

आइए जानें, ऐसी ही महत्वपूर्ण बातें जिनका श्राद्ध के समय ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है....

1. महत्वपूर्ण वस्तुओं में चांदी के बर्तन, कुश, गौ, काला तिल हैं.

2. कुश और काला तिल भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न माने गए हैं और चांदी भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न मानी गई गए है.

3. महुआ और पलाश के पत्र अत्यंत पवित्र माने गए हैं.

4. गाय का दूध, गंगाजल का प्रयोग श्राद्ध के कर्मफल को कई गुना बढ़ा देता है.

5. तुलसी के प्रयोग से पितृ अत्यंत प्रसन्न होते हैं.

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6. पितरों का वर्ण रजत समान धवल और उज्ज्वल होता है इसलिए उनके कर्म में श्वेत और हल्की गंध के पुष्पों का प्रयोग ठीक माना जाता है.

6. श्राद्ध स्थान को गोबर से लीपकर शुद्ध किया जाता है. तीर्थ स्थान में श्राद्ध करना करोड़ों गुना फलदायक माना जाता है.

7. श्राद्ध में दंतधावन, ताम्बूल सेवन, तैल मर्दन, उपवास, स्त्री संभोग, औषध ग्रहण तामसिक माना जाता है.

8. पीतल और कांसी के पात्र शुद्ध माने गए हैं. लौह पात्र अशुद्ध माने गए हैं.

9. गंधों में खस, श्रीखंड, कपूर सहित सफेद चंदन पवित्र और सौम्य माने गए हैं, बाकी सभी को वर्जित बताया गया हैं.

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