scorecardresearch
 

Chanakya Niti: इन 3 हालात में गुस्सा करने से बचें, पड़ सकता है पछताना, चाणक्य ने दी है सलाह

Chanakya Niti: चाणक्य नीति में मनुष्य के व्यवहार, संबंध, शिक्षा, धन, मित्रता, शत्रु, शासन, आत्मसंयम और नैतिकता जैसे विषयों पर मार्गदर्शन मिलता है. चाणक्य नीति बताती है कि जीवन में सफलता केवल बुद्धि से नहीं, बल्कि विवेक, संयम और सही समय पर सही निर्णय लेने से मिलती है

Advertisement
X
गुस्सा मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है- आचार्य चाणक्य. (Photo: ITG)
गुस्सा मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है- आचार्य चाणक्य. (Photo: ITG)

आचार्य चाणक्य महान विद्वान, कुशल कूटनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे. उन्होंने जीवन के हर पहलू जैसे व्यवहार, संबंध, नीति और आत्मसंयम पर ज्ञान दिया है. चाणक्य नीति केवल शासन या राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बताती है कि व्यक्ति को जीवन कैसे जीना चाहिए. 

आचार्य चाणक्य के अनुसार, गुस्सा मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है.  क्रोध में लिया गया निर्णय अक्सर पछतावे का कारण बनता है. बहुत से लोग गुस्से में ऐसे कार्य कर बैठते हैं, जिनका खामियाजा उन्हें लंबे समय तक भुगतना पड़ता है. इसलिए चाणक्य नीति में कुछ ऐसी परिस्थितियां बताई गई हैं, जहां गुस्सा करना बिल्कुल भी उचित नहीं माना गया है.

बच्चों की गलती पर

अक्सर देखा जाता है कि जब बच्चे गलती करते हैं, तो माता-पिता तुरंत गुस्सा करने लगते हैं. लेकिन चाणक्य नीति के अनुसार, यह तरीका गलत है. बच्चों को गुस्से से नहीं, बल्कि प्रेम और धैर्य से समझाना चाहिए. डांट-फटकार और क्रोध बच्चों के आत्मविश्वास और सीखने की क्षमता को कमजोर कर सकता है. इतना ही नहीं, इससे माता-पिता और बच्चों के बीच का विश्वास भी टूट सकता है. शांत तरीके से समझाना ही बच्चों को सही दिशा दिखाने का सबसे अच्छा मार्ग है.

Advertisement

बड़े-बुजुर्गों के समझाने पर

यदि कोई बड़ा या बुजुर्ग आपको समझाता है, तो उस पर गुस्सा करना बुद्धिमानी नहीं है. बड़े-बुजुर्गों के पास जीवन का अनुभव होता है, जो उन्हें सही और गलत की बेहतर समझ देता है. चाणक्य नीति कहती है कि अनुभव का सम्मान करना चाहिए. उनके शब्दों में छिपी सीख को समझने का प्रयास करें. गुस्सा करने से न केवल रिश्तों में दरार आती है, बल्कि आप एक महत्वपूर्ण सीख से भी वंचित रह जाते हैं. 

विपरीत परिस्थितियों में

जब जीवन में समय आपके पक्ष में न हो, बुरा दौर चल रहा हो और हर ओर से परिस्थितियां विपरीत दिखाई दें, तब गुस्सा करना सबसे अधिक नुकसानदायक होता है. चाणक्य नीति के अनुसार, विपरीत परिस्थितियों में क्रोध करने से समस्याएं सुलझती नहीं, बल्कि और उलझ जाती हैं.  गुस्सा आपकी सोचने-समझने की शक्ति को कम कर देता है और गलत फैसलों की ओर ले जाता है.  ऐसे समय में संयम, धैर्य और शांत मन ही सबसे बड़ा सहारा होते हैं.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement