नवदुर्गा के छठवें स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था, इसलिए इनको कात्यायनी कहा जाता है. इनकी चार भुजाओं मैं अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है. इनका वाहन सिंह है. ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी.
विवाह सम्बन्धी मामलों के लिए इनकी पूजा अचूक होती है. योग्य और मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है. ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध इनसे माना जाना चाहिए. तंत्र साधना में देवी का सम्बन्ध आज्ञा चक्र से होता है. इस बार मां कात्यायनी की पूजा 18 अप्रैल को की जाएगी
इनकी पूजा से किस तरह की मनोकामना पूरी होती है?
कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए इनकी पूजा अद्भुत मानी जाती है. मनचाहे विवाह और प्रेम विवाह के लिए भी इनकी उपासना की जाती है. वैवाहिक जीवन के लिए भी इनकी पूजा फलदायी होती है. अगर कुंडली में विवाह के योग क्षीण हों तो भी विवाह हो जाता है.
कैसे करें मां कात्यायनी की सामान्य पूजा?
गोधूली वेला के समय पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करके इनकी पूजा करनी चाहिए. इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें. इनको शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है. मां को सुगन्धित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम सम्बन्धी बाधाएं भी दूर होंगी. इसके बाद मां के समक्ष उनके मन्त्रों का जाप करें.
शीघ्र विवाह के लिए कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा?
गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करें. मां के समक्ष दीपक जलाएं और उन्हें पीले फूल अर्पित करें. इसके बाद 3 गाँठ हल्दी की भी चढ़ाएं. मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें.
मंत्र होगा
"कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।"
- हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें