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सपा का जंगलराज... योगी आदित्यनाथ ने यूपी चुनाव की तैयारी में चला बिहार वाला दांव

बिहार चुनाव के बाद बीजेपी का जोश सातवें आसमान पर है. विजय के अहंकार से बचने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह तो यही कहती है. लेकिन, गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के भाषण से साफ है कि बीजेपी आने वाले यूपी चुनाव में बिहार जैसी ही रणनीति अपना सकती है.

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योगी आदित्यनाथ का भाषण और अखिलेश यादव का अलर्ट बता रहा है कि 2027 के यूपी चुनाव में बिहार चुनाव कैंपेन की झलक दिखने वाली है. (Photo: PTI)
योगी आदित्यनाथ का भाषण और अखिलेश यादव का अलर्ट बता रहा है कि 2027 के यूपी चुनाव में बिहार चुनाव कैंपेन की झलक दिखने वाली है. (Photo: PTI)

हाल का बिहार चुनाव भी 'जंगलराज' के खास जिक्र के बगैर खत्म नहीं हुआ. और, अब लगता है उत्तर प्रदेश की बारी है. बिहार में तो 'जंगलराज' के नाम पर वोट मांगने का सिलसिला बीते बीस साल से चला आ रहा है, लेकिन यूपी में ये 2027 में देखने को मिल सकता है.     

अगले यूपी चुनाव में 'जंगलराज' के नाम पर वोट मांगने का संकेत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया है. योगी आदित्यनाथ ने 'जंगलराज' या ऐसे किसी शब्द का इस्तेमाल तो नहीं किया है, लेकिन लहजा बिल्कुल वैसा ही है. 

GIDA यानी गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण के 36वें स्थापना दिवस समारोह में पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से बीजेपी से पहले की समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की सरकारों पर हमला बोला, साफ हो गया कि अगले यूपी चुनाव की तैयारी भी बिहार चुनाव की रणनीति से ही लड़ने की है. योगी आदित्यनाथ ने कहा, 1989 से लेकर 1998 तक GIDA में औद्योगिक गतिविधियां लगभग शून्य थीं... धरना-प्रदर्शन होते थे, गोली कांड होते थे, अव्यवस्था थी... सरकार का कोई विजन नहीं था... रिजल्ट ये रहा कि GIDA तो चल नहीं पाया, गोरखपुर का खाद कारखाना भी बंद हो गया था.

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योगी आदित्यनाथ का भाषण बिल्कुल वैसा ही लग रहा था, जैसे नीतीश कुमार चुनाव दर चुनाव बिहार में लालू यादव और राबड़ी देवी के शासन के किस्से सुनाते रहते हैं. जैसे नीतीश कुमार बिहार में लालू परिवार की घेरते हैं, योगी आदित्यनाथ यूपी में अखिलेश यादव को घेर रहे हैं, और साथ में राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी की सरकारों को भी. 

बिहार चुनाव की रणनीति बीजेपी यूपी में भी आजमाएगी?

गोरखपुर में भाषण योगी आदित्यनाथ का चल रहा था, लेकिन कानों में शब्द बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ही गूंज रहे थे. निशाने पर तेजस्वी यादव की जगह अखिलेश यादव और राहुल गांधी थे. यूपी और बिहार दोनों ही राज्यों में राहुल गांधी का अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव के साथ चुनावी गठबंधन है. 

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नीतीश कुमार की स्टाइल में ही सवाल पूछ रहे थे, 'आठ साल पहले यूपी में क्या स्थिति थी? नीतीश कुमार के भाषणों में 2005 से पहले वाले बिहार का जोरशोर से जिक्र होता रहा है. ये जिक्र बस तभी नहीं हो पाता, जब नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता बन जाते हैं, और लालू यादव के साथ चले जाते हैं. हालांकि, शपथग्रहण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूकर अब कभी भी लालू यादव के साथ नहीं जाने की शपथ ले चुके हैं. मैसेज तो ऐसा ही है, बाकी क्या करना है ये तो नीतीश कुमार ही जानते होंगे. 

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यूपी की पिछली सरकारों के समय की सूबे के हालात का ध्यान दिलाते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'जाति के नाम पर लड़ाया जाता था... भाषा के नाम पर बांटा जाता था... तुष्टीकरण की नीति पर चलकर अराजकता पैदा की जाती थी... कर्फ्यू जैसा माहौल बनाया जाता था... यह सपा-कांग्रेस करती थी... गुंडागर्दी पैदा कर व्यापारी की प्रॉपर्टी पर कब्जा करते थे.'

आखिर नीतीश कुमार भी तो ऐसी ही बातों की याद दिलाकर बिहार में वोट मांगते रहे हैं. और, योगी आदित्यनाथ कहते हैं, 'गरीब की जमीन पर कब्जा करना ये लोग अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते थे... जब डबल इंजन की सरकार आई, तो आपने देखा, कब्जा करने वालों की कमर हमने सीधी कर दी... इतनी कुटाई हुई कि उसके ऊपर हम लोग अब फैक्ट्री बनवा रहे हैं... अब गुंडागर्दी बंद... माफिया गायब हो गए, दंगे बंद हो गए... उपद्रव का प्रदेश उत्तर प्रदेश, अब उत्सव का प्रदेश बन गया है.'

2017 के यूपी चुनाव में अखिलेश यादव का स्लोगन था, 'काम बोलता है'. चुनाव कैंपेन के दौरान समाजवादी पार्टी के स्लोगन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहना शुरू किया, अरे काम नहीं... आपका कारनामा बोलता है. ठीक वैसे ही जैसे 2020 के बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव को मोदी 'जंगलराज का युवराज' कह कर बुलाते थे. 

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बिहार चुनाव के अक्स यूपी में नजर तो आने लगे हैं, देखना है योगी, मोदी और बीजेपी नेता चुनाव आने तक जंगलराज के किस्से सुनाने शुरू कर देते हैं, या कोई और शब्द इस्तेमाल में आने वाला है. 

अखिलेश यादव को बिहार के चुनाव नतीजे अभी से क्यों डराने लगे?

दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय में बिहार में जीत के जश्न के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, बिहार के चुनाव में जब मैं जंगलराज की बात करता था, 'कट्टा सरकार' की बात करता था तो आरजेडी के लोग विरोध नहीं करते थे, लेकिन ये कांग्रेस वालों को बहुत चुभता था... लेकिन आज मैं फिर से कहता हूं कि अब कट्टा सरकार वापस नहीं आएगी.

एक चुनावी रैली में मोदी ने तेजस्वी यादव और राहुल गांधी को एक साथ टार्गेट करते हुए कहा था कि आरजेडी ने कनपट्टी पर कट्टा लगाकर कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद छीना है. ऐसे ही औरंगाबाद की सभा में नरेन्द्र मोदी ने कहा, राजद समर्थक कह रहे हैं कि अगर भैया (तेजस्वी यादव) की सरकार बनी तो कट्टा, दोनाली और फिरौती यही सब चलेगा. और, एक दिन जमुई में अमित शाह का कहना था, अगर तेजस्वी यादव जीते तो वो अपहरण का एक नया विभाग बनाएंगे.

ऐसे ही एक रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने RJD के प्रचार वाले गानों का जिक्र करते हुए कहा था, इनके गाने सुने आपने, गाने की लाइन है... 'आएगी भइया की सरकार-बनेंगे रंगदार...' ये इंतजार कर रहे हैं कि कब इनकी सरकार आए और रंगदारी, जंगलराज शुरू कर पाएं.

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जिस तरह से आरजेडी ने 32 भोजपुरी गायकों को कानूनी नोटिस भेजा है, साफ हो जाता है कि तेजस्वी यादव को भी समझ आ गया है कि नुकसान कितना बड़ा हुआ है. '6 ठो गोली मारब कपारे में' और 'सिक्सर की 6 गोली' जैसे गानों की लाइन से आरजेडी को बहुत नुकसान हुआ, ऐसा माना जा रहा है. आरजेडी के अनुसार, भोजपुरी के कई गायकों ने लालू यादव और तेजस्वी का नाम पार्टी से बिना कोई अनुमति के इस्तेमाल किया. 

बिहार चुनाव का सीधा असर यूपी में देखने को मिल रहा है. समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने पार्टी से जुड़े कलाकारों और अपनी टीम को साफ तौर पर बता दिया है कि बिहार में बने गानों की तरह कोई गाना यूपी ने न बनाया जाए. साफ हिदायत दी गई है कि किसी भी गाने में 'रंगबाजी', 'दबंगई', 'जाति-जाति', 'लाठी-गोली' जैसे शब्दों का कतई इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. 

अखिलेश यादव ने लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'मैं अपने कलाकारों से कहूंगा कोई ऐसा बिहार वाला गाना मत बना देना.' मीडिया से भी अखिलेश यादव ने खास अपील की है, 'आज-कल एआई का जमाना है, गाने तुरंत बना दिए जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में किसी भी गाने को मीडिया हमसे न जोड़े.'

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