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महाराष्ट्र चुनाव की हार की खीझ से उबरे नहीं राहुल गांधी, सीईसी के खिलाफ उनके तर्क कितने दमदार?

राहुल गांधी ने वैसे तो महाराष्ट्र चुनावों में धांधली के बहुत से आरोप लगाए हैं पर उसमें सबसे खास जो आरोप लगाए हैं जिनकी सबसे अधिक चर्चा हो रही है उसका रियलिटी चेक ये है...

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनावों में बीजेपी को जिताने के लिए सीईसी पर गंभीर आरोप लगाएं हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनावों में बीजेपी को जिताने के लिए सीईसी पर गंभीर आरोप लगाएं हैं.

बिहार विधानसभा चुनावों के पहले राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की हार को केंद्रीय चुनाव आयोग (सीईसी) पर साजिश करने का आरोप लगाया गया है. दरअसल महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी की जो दुर्गति हुई उसकी उम्मीद खुद बीजेपी को भी नहीं थी. जहां भाजपा-नीत महायुति गठबंधन ने 287 में से 235 सीटें जीतीं, जबकि एमवीए केवल 49 सीटों पर सिमट गई. राहुल गांधी और महाविकास अघाड़ी गठबंधन पहले भी पीसी करके और अन्य माध्यमों से इस बाबत आरोप लगाती रही है. पर बिहार विधानसभा चुनावों के ठीक पहले एक बार फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को फिर से कठघड़े में खड़ा करने की कोशिश की है. राहुल गांधी ने एक ऑर्टिकल लिखकर महाराष्ट्र चुनावों में बड़े पैमान पर धांधली का आरोप लगाया, जिसे उन्होंने लोकतंत्र में धांधली का ब्लूप्रिंट करार दिया. राहुल गांधी के आरोपों का जवाब वैसे तो सीईसी ने खुद दिया है पर कुछ और तथ्य पढ़िए फिर देखिए कैसे आरोपों का कोई आधार है कि नही?  

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राहुल का आरोप मतदाता सूची में फर्जीवाड़ा

-राहुल का कहना है कि 2019 के विधानसभा चुनावों में पंजीकृत वोटर्स की संख्या 8.98 करोड़ थी. पांच साल बाद 2024 में लोकसभा चुनावों में यह संख्या 9.29 करोड़ हो गई. इसके बाद सिर्फ 5 महीने में नवंबर में 2024 में विधानसभा चुनाव होते हैं तो यह संख्या बढ़कर 9.70 करोड़ हो गई.यानि कि पांच साल 31 लाख की मामूली बढ़ोतरी जबकि पांच माह में 41 लाख की बढ़ोतरी.

राहुल ने दावा किया कि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच पांच महीनों में महाराष्ट्र की मतदाता सूची में 39 लाख नए मतदाता जोड़े गए, जो 2019 से 2024 (पांच साल) के बीच जोड़े गए 32 लाख मतदाताओं से अधिक हैं.

क्या राहुल इसका जवाब देंगे

महाराष्‍ट्र में 2014 के विधानसभा से 2019 के लोकसभा चुनाव के बीच 51,48,636 वोटर बढ़ गए. जो कि 2019-24 के बीच अंतर से करीब 20 लाख ज्‍यादा है. अब जरा 2009 के विधानसभा से 2014 के लोकसभा चुनाव के बीच महाराष्‍ट्र में जुड़े वोटरों की संख्‍या पर एक नजर डाल लीजिये. उसके आगे तो राहुल गांधी की आपत्ति कहीं नहीं ठहरती.

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क्‍योंकि यूपीए शासनकाल के उन पांच वर्षों के बीच महाराष्‍ट्र में 48,30,511 लाख नए वोटर जुड़े. क्‍या राहुल गांधी जवाब देंगे कि तब वो 48 लाख वोटर कहां से आए थे. यदि 2009 से 2014 के बीच के पांच साल और फिर लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बीच बढ़े वोटरों को मिला लिया जाए तो तब 75,59,998 नए वोटर जुड़े. ये संख्‍या 2019 से 2014 में चुनावों के बीच बढ़ी संख्‍या से चार लाख ज्‍यादा है. यानी, यूपीए के दौर में हुए चुनाव के दौरान ज्‍यादा मतदाता जोड़े गए.

यूपीए शासन के दौरान मतदाता सूचियों में भी क्या झोल था?

महाराष्‍ट्र में कुल मतदाताओं की संख्‍या (चुनाव आयोग के अनुसार)
9,30,61,760 -लोकसभा चुनाव-2024
9,70,25,119 -विधानसभा चुनाव-2024
2024 के लोकसभा और विधान...के बीच नए 39,63,359 वोटर जुड़े

(2019 विधानसभा से 2024 लोकसभा चुनाव के बीच 32,23,493 वोटर जुड़े)

8,86,76,946 -लोकसभा चुनाव-2019
8,98,38,267 -विधानसभा चुनाव-2019
2019 के लोकसभा और विधानसभा के बीच नए वोटर जुड़े- 11,61,321

(2014 विधानसभा से 2019 लोकसभा चुनाव के बीच 51,48,636 वोटर जुड़े)

8,07,98,823 -लोकसभा चुनाव-2014
8,35,28,310 -विधानसभा चुनाव-2014
2014 के लोकसभा और विधानसभा के बीच नए 27,29,487 वोटर जुड़े

(2009 विधानसभा से 2014 लोकसलोकसभा चुनाव के बीच 48,30,511 वोटर जुड़े)

7,29,54,058 -लोकसभा चुनाव-2009 
7,59,68,312 -विधानसभा चुनाव-2009
2009 के लोकसभा और विधानसभा के बीच 30,14,254 वोटर जुड़े 

राहुल गांधी बहुत चतुराई से 2009, 2014, 2019 के आंकड़े छुपा ले गए. जब हम तुलनात्मक तौर से देखते हैं तो पता चलता है कि ये बढ़ोतरी तो नॉर्मल है. इस तरह से किसी को भी 2024 के बारे केवल बताना पूरी सूचना छुपाना है. 

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2011 के बाद जनगणना हुई नहीं राहुल को शायद नहीं पता

राहुल का आरोप है कि महाराष्ट्र की वयस्क आबादी 9.54 करोड़ है, लेकिन मतदाता सूची में 9.7 करोड़ लोग शामिल हैं, जो असंभव है. राहुल गांधी को शायद पता ही नहीं है कि देश में 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है. जो भी जनगणना संबंधी बातें होती हैं वो केवल अनुमान पर आधारित होती है. इसलिए 20 से 30 लाख का अंतर अगर जनगणना और मतदाता सूची में होता है तो उसे न्याय की लकीर नहीं मान सकते हैं.

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