धुरंधर मूवी में कांधार हाईजैक की कहानी ने भारतीयों के दिल पर लगी 25 साल पुरानी चोट को फिर से हरा कर दिया है. मूवी की शुरूआत में ही एक हाईजैकर भारतीय खुफिया अधिकारी से कहता है कि पड़ोस में रहते हैं हम…*%$भर का जोर लगा लो..और बिगाड़ लो जो बिगाड़ सकते हो. यह संवाद सुनकर हर भारतीय का खून खौला होगा. भारत के खिलाफ पाकिस्तान स्पांसर्ड आतंकवाद की यह सबसे मुखर अभिव्यक्ति थी. जिसमें एक पाकिस्तानी आतंकवादी सिर्फ एक अधिकारी नहीं, पूरे भारत देश को चैलेंज करता दिख रहा है. जाहिर है आज हर भारतीय के दिल में यह जानने की उत्सुकता होगी कि भारत ने क्या उस आतंकी के चैलेंज का जवाब उन्हें दिया?
इंडियन एयरलाइंस की काठमांडु-दिल्ली फ्लाइट IC-814 का नाम जिस कांधार हाईजैक से जुड़ गया, उसे 24 दिसंबर 1999 को ही अंजाम दिया गया था. इस घटना ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को प्रभावित किया. हाईजैक में शामिल मुख्य अपहरणकर्ता पाकिस्तानी थे. आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन (HuM) के ये सदस्य बाद में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे संगठनों में बंट गए.
दिसंबर 2025 तक की उपलब्ध रिपोर्ट्स, भारतीय खुफिया एजेंसियों, मीडिया रिपोर्ट्स और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों के जरिए हम देखेंगे कि आज 26 साल बाद उन आतंकवादियों के साथ क्या हुआ.
क्या हुआ था?
24 दिसंबर 1999 को शाम 4 बजे इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 काठमांडू से दिल्ली की ओर उड़ान भरी. एक घंटे के भीतर पांच अपहरणकर्ताओं ने इस विमान पर काबू पा लिया. विमान में 176 यात्री और क्रू के 15 सदस्य सवार थे. अपहरणकर्ता विमान को अमृतसर, लाहौर, दुबई और अंत में कांधार (अफगानिस्तान) ले गए. जो उस समय तालिबान के नियंत्रण में था. अपहरणकर्ताओं की शुरुआती मांग तो काफी लंबी-चौड़ी थी, लेकिन आखिर में वे भारत की जेल में बंद तीन प्रमुख आतंकवादियों- मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर की रिहाई पर मान गए. आठ दिनों की तनावपूर्ण वार्ता के बाद भारत सरकार ने इन तीनों को रिहा कर दिया, जिसके बदले अपहरणकर्ताओं ने यात्रियों को मुक्त किया.
इस घटना में एक यात्री, रुपिन कत्याल, की हत्या कर दी गई थी. हाईजैक ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और खराब किया और JeM जैसे नए आतंकी संगठनों के उदय को जन्म दिया.
कौन थे IC-814 के हाईजैकर्स?
आईसी 814 को हाईजैक करने में पांच अपहरणकर्ताओं की मुख्य भूमिका थी, जिन्होंने अपने कोडनेम भी रखे हुए थे. इनमें सरगना था इब्राहिम अथर (चीफ), शाहिद अख्तर सईद (डॉक्टर), सनी अहमद काजी (बर्गर), जहूर मिस्त्री इब्राहिम (भोला), और शाकीर (शंकर). ये सभी पाकिस्तानी नागरिक थे. इब्राहिम बहावलपुर से, शाहिद, सनी और जाहूर कराची से, तथा शकीर सुक्कुर से. इनके अलावा, मुख्य मास्टरमाइंड्स में मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ अजहर और मोहम्मद यूसुफ अजहर (इब्राहिम अथर का भाई) शामिल थे, जो प्लानिंग और कोऑर्डिनेशन में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे. कुल मिलाकर, इन अपहरणकर्ताओं और मास्टरमाइंड्स की संख्या सात के करीब मानी गई.
फिर क्या हुआ इन अपहरणकर्ताओं का?
पांच मुख्य अपहरणकर्ताओं में से कम से कम दो मारे जा चुके हैं, और दो मास्टरमाइंड्स भी मौत के घाट उतार दिए गए हैं. कुल मिलाकर, सात में से चार मारे गए हैं. इन मौतों की कहानियां विभिन्न घटनाओं से जुड़ी हैं, जिनमें भारतीय ऑपरेशंस, आपसी लड़ाई और अन्य हमले शामिल हैं.
1- शाहिद अख्तर सई 2001 के संसद हमले में मारा गया
यह अपहरणकर्ता हाईजैक के दौरान विमान में सक्रिय भूमिका निभा रहा था. हाईजैक के बाद वह पाकिस्तान भाग गया और JeM में शामिल हो गया. 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हमले में वह एक फिदायीन आतंकी के रूप में शामिल था. संसद हमले में पांच आतंकवादी आन स्पॉट (घटना स्थल पर ही) मारे गए, और उनमें से एक शाहिद अख्तर सईद भी था. दिल्ली पुलिस और संसद सुरक्षा बलों ने उसे गोली मारकर मार गिराया. वैसे इस हमले में हमजा, हैदर, राना, राजा और मोहम्मद भी शामिल थे, लेकिन जांच में एक की पहचान IC-814 अपहरणकर्ता के रूप में हुई. यह मौत भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी सफलता थी.
2-रुपिन कत्याल का हत्यारा जहूर मिस्त्री इब्राहिम
जहूर वह अपहरणकर्ता था जिसने हाईजैक के दौरान एक यात्री रुपिन कत्याल की क्रूर हत्या की थी. रुपिन अपनी पत्नी के साथ हनीमून से लौट रहे थे, जब अपहरणकर्ताओं ने उन्हें चाकू से मार डाला. हाईजैक के बाद जहूर पाकिस्तान भाग गया और ISI की सुरक्षा में फर्जी नाम जाहिद अखुंद से कराची में रह रहा था. उसने कराची के एक बेहद सुरक्षित इलाके अख्तर कॉलोनी में क्रिसेंट फर्नीचर के नाम से दुकान खोली थी.
1 मार्च 2022 को दो अज्ञात हमलावर मोटरसाइकिल पर सवार होकर अख्तर कॉलोनी पहुंचे, जहां उन्होंने उसकी दुकान में घुसकर सिर में दो गोलियां मारीं. CCTV फुटेज में हमलावर हेलमेट और मास्क पहने दिखे. पाकिस्तानी मीडिया ने इसे व्यापारी की हत्या बताया, लेकिन भारतीय इंटेलिजेंस ने पुष्टि की कि यह IC-814 का अपहरणकर्ता था. हत्या के कारण स्पष्ट नहीं हैं .कुछ में इसे आंतरिक वैमनस्य या प्रोफेशनल हिट बताया गया. कुछ ने 'unknown gunman’ वाली थ्योरी को आगे बढ़ाया. पाकिस्तान में कुछ लोगों का आरोप है कि कोई अज्ञात गनमैन भारतीय खुफिया एजेंसी के लिए हिटमैन की तरह काम करता हैं. जहूर के अंतिम संस्कार में JeM सरगना रऊफ असगर भी शामिल हुआ था.
3-अब्दुल रऊफ अजहर (मास्टरमाइंड, मसूद अजहर का भाई):
अब्दुल रऊफ हाईजैक का मुख्य प्लानर था और JeM का ऑपरेशनल चीफ. वह पुलवामा हमले (2019) और पठानकोट हमले (2016) में भी शामिल था. दावा किया गया है कि वह 7 मई 2025 को भारतीय वायुसेना की Operation Sindoor में बहावलपुर (पाकिस्तान) स्थित JeM मुख्यालय पर एयर स्ट्राइक में मारा गया. इस ऑपरेशन में भारतीय लड़ाकू विमानों ने लेजर-गाइडेड बम गिराए, जिससे 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए. DGMO (Director General of Military Operations) ने प्रेस ब्रीफिंग में पुष्टि की कि रऊफ IC-814 और अन्य हमलों का मास्टरमाइंड था. पाकिस्तान ने इसे अस्वीकार किया.
4-मोहम्मद यूसुफ अजहर (इब्राहिम अथर का भाई, मास्टरमाइंड):
यूसुफ हाईजैक में प्रमुख भूमिका निभाने वाला था और JeM का हिस्सा था. कहा गया है कि वह भी Operation Sindoor में 7 मई 2025 को बहावलपुर में मारा गया. भारतीय सेना ने उसे हाई-वैल्यू टारगेट बताया, जो IC-814, पुलवामा और अन्य घटनाओं से जुड़ा था. उसकी मौत से JeM की संरचना को बड़ा झटका लगा.
कुल मिलाकर, 7 मुख्य अपहरणकर्ताओं में से चार मारे गए हैं (शाहिद अख्तर सईद, जाहूर मिस्त्री, और मास्टरमाइंड्स में दो). इन मौतों ने भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति को मजबूत किया, लेकिन पाकिस्तान की अस्वीकृति से विवाद भी कायम हुआ.
जिंदा अपहरणकर्ता: कितने और कहां?
पांच मुख्य अपहरणकर्ताओं में से तीन के अभी जिंदा होने की संभावना है, और उनकी स्थिति अज्ञात है. वे पाकिस्तान में ISI की सुरक्षा में छिपे हुए माने जाते हैं.
1-इब्राहिम अथर ( मसूद अजहर का भाई):
इब्राहिम हाईजैक के दौरान लीडर की भूमिका में था. वह बहावलपुर से था और JeM में सक्रिय रहा. दिसंबर 2025 तक कोई मौत की पुष्टि नहीं हुई, इसलिए उसे जिंदा माना जाता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, वह पाकिस्तान में छिपा है, संभवतः पंजाब या खैबर पख्तूनख्वा में. वह JeM की गतिविधियों में शामिल हो सकता है, लेकिन लो प्रोफाइल रखता है. भारतीय एजेंसियां उसे मोस्ट वांटेड लिस्ट में रखती हैं.
2-सनी अहमद काजी :
सनी कराची से था और हाईजैक में सक्रिय भागीदार था. उसकी मौत की कोई रिपोर्ट नहीं है, इसलिए जिंदा होने की संभावना है. वह पाकिस्तान में फर्जी पहचान के साथ कहीं रह रहा है. कुछ स्रोतों में उसे खैबर पख्तूनख्वा में छिपा बताया गया है.
3-शाकीर
शकीर सुक्कुर से था और हाईजैक में सहायक भूमिका निभाई. उसकी स्थिति पूरी तरह अज्ञात है, लेकिन मौत की कोई पुष्टि नहीं. वह भी पाकिस्तान में ISI की मदद से छिपा माना जाता है. CBI की जांच में सात आरोपियों में से इसकी भी लोकेशन अज्ञात है.
कुल मिलाकर, पांच मुख्य में से तीन जिंदा हैं. इनकी जिंदगी ISI की सुरक्षा पर निर्भर है, और वे कम सक्रिय हैं. मसूद अजहर (रिहा किया गया) अभी जिंदा है, लेकिन Operation Sindoor के बाद जनता के सामने कम ही आता है.