कांधार (Kandahar) अफगानिस्तान का एक ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण शहर है. यह देश के दक्षिणी भाग में स्थित है और अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता है. कांधार लंबे समय से व्यापार, संस्कृति और राजनीति का केंद्र रहा है और इसकी जड़ें प्राचीन काल से जुड़ी हुई हैं.
कांधार की स्थापना सिकंदर महान (Alexander the Great) ने चौथी सदी ईसा पूर्व में की थी और इसका नाम उन्होंने ‘अलेक्ज़ांड्रिया एरियस’ रखा था. बाद में यह शहर मौर्य साम्राज्य, कुशाण साम्राज्य, और इस्लामी साम्राज्यों के अधीन रहा. मुगल सम्राट बाबर ने भी इस क्षेत्र पर कब्जा किया था.
कांधार तालिबान आंदोलन की जन्मभूमि रहा है. 1990 के दशक में तालिबान ने यहीं से अपने शासन की शुरुआत की थी. भौगोलिक दृष्टि से इसका स्थान पाकिस्तान और ईरान के निकट है, जिससे यह सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील क्षेत्र बन जाता है. यहां पर एक बड़ा एयरबेस भी स्थित है जो अफगान और विदेशी सेनाओं के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है.
कांधार अफगान संस्कृति और पश्तून सभ्यता का प्रमुख केंद्र है. यहां की बोली जाने वाली मुख्य भाषा पश्तो है और स्थानीय पहनावा व खानपान पारंपरिक अफगानी संस्कृति को दर्शाता है. कांधार में कई ऐतिहासिक स्थल हैं जैसे अहमद शाह अब्दाली का मकबरा, जो अफगानिस्तान के संस्थापक माने जाते हैं.
कांधार की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. यहां अंगूर, अनार और सूखे मेवे बड़ी मात्रा में उगाए जाते हैं. हालांकि दशकों से जारी संघर्ष और अस्थिरता ने इसके आर्थिक विकास को प्रभावित किया है.