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संसद में वंदे मातरम पर चर्चा का बंगाल कनेक्शन, बंकिम चंद्र से शुरू होती है राष्‍ट्रवाद की कहानी

वंदे मातरम के मुद्दे पर ममता बनर्जी के सपोर्ट की असली वजह पश्चिम बंगाल में अगले साल होने जा रहा विधानसभा चुनाव है. संसद में विशेष चर्चा को भी टीएमसी ने गौरवपूर्ण बताया है - वरना, ममता बनर्जी की राय तो 'जय श्रीराम' के नारे पर रिएक्शन जैसा भी हो सकता था.

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वंदे मातरम पर मोदी को ममता बनर्जी के सपोर्ट की वजह आने वाला पश्चिम बंगाल चुनाव है. (Photo: ITG)
वंदे मातरम पर मोदी को ममता बनर्जी के सपोर्ट की वजह आने वाला पश्चिम बंगाल चुनाव है. (Photo: ITG)

वंदे मातरम पर संसद में विशेष चर्चा होने जा रही है. और, ये ऐसे दौर में हो रहा है जब विपक्ष SIR पर चर्चा चाहता है. राज्यसभा बुलेटिन में 'वंदे मातरम' को भी 'जय हिंद' और दूसरे शब्दों के साथ शामिल किया गया है. ममता बनर्जी का भी इस मुद्दे पर मुखर हो जाना, वंदे मातरम के बंगाल कनेक्शन की तरफ खास इशारे कर रहा है.  

खबर है कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने वंदे मातरम पर चर्चा के लिए 10 घंटे का समय दिया है. ये चर्चा इसी हफ्ते होनी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चर्चा में हिस्सा लेंगे. नवंबर, 2025 में ही वंदे मातरम की रचना के 150 साल पूरे हुए हैं. और, अगले साल पश्चिम बंगाल में चुनाव होने हैं, जिसमें छह महीने से भी कम वक्त बचा है. 

बताते हैं कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की तरफ से 30 नवंबर को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के साथ ही लोकसभा और राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में भी वंदे मातरम पर चर्चा के प्रस्ताव पर सहमति बनी. 

वंदे मातरम का स्लोगन ममता बनर्जी की पॉलिटिकल लाइन को सूट तो नहीं करता, लेकिन फिलहाल वो भी इसके पक्ष में खड़ी नजर आ रही हैं. ममता बनर्जी का जो स्टैंड सामने आया है, उसकी खास वजह भी है. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने वंदे मातरम पर ममता बनर्जी के स्टैंड को राजनीतिक नौटंकी बताया है. 

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'वंदे मातरम' पर संसद में विशेष चर्चा

'वंदे मातरम' बंकिम चंद्र चटर्जी की रचना है. बंकिम चंद्र चटर्जी ने 1875 में इसे संस्कृतनिष्ठ बांग्ला में लिखा था, और 1950 में भारत गणराज्य के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया था. ये गीत बंकिम चंद्र चटर्जी के उपन्यास आनंदमठ का हिस्सा है, जो पहली बार 1882 में प्रकाशित हुआ था. वंदे मातरम की रचना के 150 साल पूरे होने के मौके पर केंद्र सरकार ने विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया था.

बंकिम चंद्र चटर्जी ने राष्ट्र धर्म की भावना को तरजीह देते हुए मुस्लिम शासकों के इतिहास को मानने से इनकार कर दिया था. वंदे मातरम को लेकर मुस्लिम समुदाय का विरोध अब भी जारी है, और उसी के चलते ममता बनर्जी जैसे नेता भी पीछे हट जाते हैं. पहले नीतीश कुमार भी ऐसे नेताओं में शुमार थे, लेकिन अब तो वो इस मामले में भी पलटी मार चुके हैं. एक चुनावी रैली का वीडियो भी वायरल हुआ था. 2019 के आम चुनाव के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सारे बीजेपी नेता वंदे मातरम के नारे लगा रहे हैं, नीतीश कुमार मंच पर बैठे बैठे मुस्कुरा रहे थे.

बंगदर्शन में प्रकाशित एक लेख में बंकिम चंद्र चटर्जी कहते हैं, 'मेरे विचार से अंग्रेजी की किसी किताब में बंगाल का सही इतिहास नहीं लिखा है. इन किताबों में इधर-उधर की बातों हैं, जिसमें मुस्लिम शासकों के जन्म, मृत्यु और उनकी पारिवारि‍क कलह के अलावा कुछ नहीं है... 'बंगाल का बादशाह' या 'बंगाल का सूबेदार' जैसी निरर्थक उपाधियों वाले मुस्लिम शासकों के जिक्र को बंगाल का इतिहास नहीं माना जा सकता. इनका बंगाल के इतिहास से कोई लेना-देना ही नहीं है. 

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वंदे मातरम स्लोगन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भी बयान दिया है, लेकिन कई मुस्लिम संगठनों ने उससे दूरी बना ली है. मदनी का कहना था, ‘मुर्दा कौमें सरेंडर करती हैं... अगर कहा जाएगा वंदे मातरम बोलो, तो वे बोलना शुरू कर देंगी... जिंदा कौम हालात का मुकाबला करती है.’

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने 'वंदे मातरम' पर लोकसभा में विशेष चर्चा का समर्थन किया. बाकी विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र की बीजेपी सरकार वंदे मातरम पर चर्चा की आड़ में SIR के मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि राष्ट्रगीत पर बहस संसद के लिए गौरव का विषय होना चाहिए.

ममता बनर्जी सपोर्ट में क्यों?

वंदे मातरम की रचना अगर बंगाल से जुड़ी नहीं होती, तो ममता बनर्जी का रुख वैसा ही होता जैसा 'जय श्रीराम' के नारे, अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन और महाकुंभ को लेकर समय समय पर सामने आया है. बीजेपी कार्यकर्ताओं के जय श्रीराम के नारे लगाए जाने पर तो ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया कई बार देखी जा चुकी है. 

राज्यसभा बुलेटिन में 'वंदे मातरम' पर जो सलाह दी गई है, ममता बनर्जी उसका भी विरोध कर रही हैं. सांसदों को शिष्टाचार का हवाला देते हुए राज्यसभा बुलेटिन में 'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' जैसे नारे नहीं लगाने की सलाह दी गई है, जिस पर विवाद खड़ा हो गया है. राज्यसभा बुलेटिन में 'थैंक्स' या 'थैंक यू' बोलने से भी मना किया गया है. 

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ममता बनर्जी के इस मुद्दे पर सुपर एक्टिव होने की वजह वंदे मातरम के साथ साथ जय हिंद पर भी लगी रोक है. क्योंकि, दोनों का ही बंगाल कनेक्शन है. ममता बनर्जी का स्टैंड बीजेपी को नहीं सुहा रहा है. बीजेपी नेता अमित मालवीय का कहना है, ममता बनर्जी अपने मुस्लिम वोट बैंक को नाराज करने के डर से 'वंदे मातरम' या 'भारत माता की जय' कहने की हिम्मत नहीं करतीं... अब कैमरों के सामने आक्रोश दिखा रही हैं.

राज्यसभा के बुलेटिन में सांसदों को जय हिंद और वंदे मातरम का इस्तेमाल नहीं करने की हिदायत पर ममता बनर्जी भड़क जाती हैं. कहती हैं,' क्यों नहीं बोलेंगे? जय हिंद और वंदे मातरम हमारा राष्ट्रीय गीत है... ये हमारी आजादी का नारा है... जय हिंद हमारा नेताजी का नारा है... इससे जो टकराएगा चूर चूर हो जाएगा.'

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