तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी यादव को भरोसा दिलाया था, 'मेरे भाई भरोसा रखना मैं हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ हूं,' - लेकिन तेजस्वी यादव पर ऐसी बातों का कोई फर्क नहीं पड़ा है. वो तेज प्रताप के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल के एक्शन को बिल्कुल सही मान रहे हैं.
तेज प्रताप यादव ने परिवार और पार्टी से निकाल दिये जाने के बाद सोशल मीडिया पर उनके दो अलग रिएक्शन आये थे. एक माता-पिता के लिए और दूसरा छोटे भाई के लिए. छोटे भाई तेजस्वी यादव को अर्जुन कह कर संबोधित करते हुए, तेज प्रताप ने जयचंद जैसे किरदार की तरफ इशारा किया था, और जल्दी ही बेनकाब करने की बात कही थी.
लालू यादव की तरफ से तो कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पटना पहुंचते ही तेजस्वी यादव ने मीडिया के सवालों के जवाब में अपने बड़े भाई तेज प्रताप के खिलाफ हुए एक्शन को सही ठहराया, और उनकी निजी जिंदगी पर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया.
अपने रिलेशनशिप का सोशल मीडिया पर अपडेट देने के बाद से ही तेज प्रताप यादव अकेले नजर आ रहे थे. तेज प्रताप के खिलाफ लालू यादव के एक्शन लेने के फैसले को तेजस्वी यादव सही जरूर ठहरा रहे हैं, लेकिन राजनीतिक विरोधी और ऐश्वर्या राय सभी इसे नौटंकी बता रहे हैं. ऐश्वर्या राय और तेज प्रताप के बीच तलाक का मुकदमा फैमिली कोर्ट में चल रहा है.
अपने पिता और भाई ही नहीं, तेज प्रताप तो बीजेपी के कुछ नेताओं के भी निशाने पर आ गये हैं, जिनका इल्जाम है कि शादी से इतर गर्लफ्रेंड और उससे इतर भी रिश्ता, ये सब उनकी आदत बन चुकी है - लेकिन इसी बीच एक सपोर्ट आरजेडी के अंदर से ही आया है.
आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह ने उनका खुलकर बचाव किया है, और कहा है कि तेज प्रताप ने कुछ भी गलत नहीं किया है. समझना ये मुश्किल हो रहा है कि जिस तेज प्रताप ने सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह का अपमान किया, वो उनका बचाव क्यों कर रहे हैं?
आरजेडी की बात तो ठीक, बिहार की भलाई का क्या मतलब?
तेजस्वी यादव जब पटना पहुंचे तो एयरपोर्ट पर ही तेज प्रताप यादव के ‘जयचंद’ वाली पोस्ट पर उनकी प्रतिक्रिया पूछ ली गई. तेजस्वी यादव बोले, 'राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का निर्णय ही सर्वोपरि है… यह फैसला पार्टी और बिहार की भलाई को ध्यान में रखते हुए लिया गया है… मैं किसी की निजी जिंदगी पर टिप्पणी नहीं करूंगा.'
बेशक पार्टी अध्यक्ष को फैसला लेने का हक है, लिया है. तेज प्रताप ने भी उस पर कोई सवाल नहीं उठाया है. तेज प्रताप ने माता-पिता के साथ भाई को भी अपनी तरफ से भरोसा दिलाने की कोशिश की थी, लेकिन तेजस्वी का बयान तो वैसा बिल्कुल नहीं हैं.
तेजस्वी यादव समझाते हैं, बिहार की भलाई किसमें है, पार्टी की भलाई कैसे होगी, ये राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से बेहतर कोई नहीं जानता और न ही निर्णय ले सकता है.
बिल्कुल सही बात है. लेकिन पार्टी की भलाई और बिहार की भलाई अलग अलग बातें हैं. फिर तेजस्वी यादव के पार्टी की भलाई के साथ साथ बिहार की भलाई बताने का क्या मतलब हो सकता है?
तेज प्रताप ने अपने रिलेशनशिप को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है. और, ये ऐसी कोई बात तो है नहीं कि अगर उनको लालू परिवार से बेदखल नहीं किया जाता, और पार्टी से नहीं निकाला जाता तो बिहार का बहुत बड़ा नुकसान हो जाता.
तेजस्वी यादव खुद भी कह रहे हैं, हमको किसी की निजी जिंदगी पर टीका-टिप्पणी नहीं करनी है.
रिलेशनशिप से ज्यादा सवाल तो शादी पर उठ रहे हैं
ऐश्वर्या राय से तेज प्रताप ने अपने मन से शादी तो की नहीं थी, वो तो माता-पिता की मर्जी से हुई थी. सवाल इसलिए उठ रहा है कि जब तेज प्रताप पहले से रिलेशनशिप में थे, तो उनकी शादी राजनीतिक वजहों से क्यों कराई गई?
ऐश्वर्या राय भी पूछ रही हैं कि उनकी जिंदगी क्यों बर्बाद की गई?
तेजस्वी यादव को तेज प्रताप के खिलाफ हुए एक्शन में भले ही भलाई नजर आ रही हो, लेकिन आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह कह रहे हैं, 'शादी-ब्याह करना उनका निजी मसला है… कानून भी इसको गुनाह की श्रेणी नहीं मानता. ये बेगुनाह की श्रेणी है.'
रीति-रिवाजों का हवाला देते हुए आरजेडी के ही नेता कह रहे हैं, 'हम इसे पहले से सुनते आए हैं… आप चिराग पासवान को ही ले लीजिए, वह दूसरी मां से जन्मे हैं… कई लोगों की दो-दो, तीन-तीन शादियां हुई हैं. ये कोई बड़ी बात नहीं है.'