तेज प्रताप यादव ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू होते ही देश के लिए अपनी सेवाएं ऑफर की थी. अंदाज भी वैसा ही था,अगर वो देश के काम आ सकें तो खुशी होगी. प्रधानमंत्री मोदी को संबोधित करते हुए तेज प्रताप ने बताया था कि वो प्रशिक्षित पायलट हैं, और देश की सेवा के लिए तैयार हैं.
फेसबुक पर संबंधित दस्तावेजों की तस्वीरें शेयर करते हुए तेज प्रताप यादव ने लिखा था, 'पायलट की ट्रेनिंग अगर देश के काम आ सकती है तो,मैं तेज प्रताप यादव हर समय देश की सेवा के लिए तत्पर हूं... और देश के लिए मेरी जान भी चली जाए तो अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा. अपडेट ये है कि फ्लाइट ट्रेनिंग कोर्स के इंटरव्यू में तेज प्रताप यादव सफल हो गये हैं. तेज प्रताप यादव ने साल 2023-24 में प्राइवेट पायलट लाइसेंस (PPL) और कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) कोर्स में दाखिले के लिए इंटरव्यू दिया था. खास बात ये है कि तेज प्रताप सामान्य वर्ग से चुने गये हैं.
बिहार की राजनीति से हाल फिलहाल ऐसी खबरें आ रही हैं जिनमें नेताओं का दूसरे प्रोफेशन की तरफ झुकाव देखने को मिल रहा है. बिहार से ही आने वाले बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी तो पहले से ही पायलट हैं, और राजनीति भी करते हैं.
ऐसी एक खबर बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी के प्रोफेसर बनने की भी आई है. पहले से पायलट या प्रोफेसर होने के बाद राजनीति में जाने के तो ढेरों उदाहरण हैं, लेकिन फुलटाइम राजनीति से किसी और प्रोफेशन में जाने के कम ही उदाहरण मिलते हैं. अशोक चौधरी असिस्टेंट प्रोफेसर बनने जा रहे हैं, और फिर छुट्टी लेकर राजनीति करेंगे.
तेज प्रताप यादव पायलट बनेंगे या पॉलिटिशियन ही बने रहेंगे, ये अभी साफ नहीं है. लेकिन, उनका कहना है कि बैठकों का दौर जारी है - और लगे हाथ सोशल मीडिया के जरिये ये भी बताया है कि अखिलेश यादव से वीडियो कॉल पर उनकी अच्छी बातचीत हुई है.
तेज प्रताप की बैठकों के आगे क्या है?
तेज प्रताप अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं. जो उनकी ताकत थी, छीन ली गई है. उनको परिवार से भी बेदखल कर दिया गया है, और पार्टी से भी. आरजेडी में बने पावर सेंटर के बीच तेज प्रताप अकेले पड़ गये हैं. मुसीबत की को दावत तो तेज प्रताप ने ही दी है, लेकिन परिवार में भी साथ किसी का नहीं मिला है. वो नाम तो किसी का नहीं ले रहे हैं, इतना जरूर कह रहे हैं कि जयचंदों की साजिश है.
हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट में तेज प्रताप ने लिखा था, मेरी खामोशी को मेरी कमजोरी समझने की भूल करने वालों, ये मत समझना कि मुझे तुम्हारी साजिशों का पता नहीं... शुरुआत तुमने की है अंत मैं करूंगा... झूठ और फरेब के बनाए चक्रव्यूह को तोड़ने जा रहा हूं... तैयार रहना सच सामने आने वाला है... मेरी भूमिका मेरी प्यारी जनता और माननीय सर्वोच्च न्यायालय तय करेगा... कोई दल या परिवार नहीं.
तेज प्रताप का लहजा तो यही बता रहा है कि वो घर में सभी से नाराज हैं. अपने खिलाफ हुए एक्शन के बाद तेज प्रताप ने तेजस्वी के दूसरे बेटे के जन्म पर खुशी जाहिर की थी. पिता लालू यादव के जन्मदिन पर भी बधाई और शुभकामनाएं दी थी. लेकिन ताजा पोस्ट से तो लगता है, वो सभी से नाराज हैं.
अपने लिए इंसाफ की लड़ाई के लिए जनता के बीच जाने के साथ ही, अदालत का दरवाजा खटखटाने का भी संकेत दे रहे हैं. तब तक अपनों के बीच राय मशविरा कर रहे हैं. अपने समर्थकों से भी मुलाकात कर रहे हैं. पटना में समर्थकों के साथ बैठक की एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है.
तेज प्रताप यादव लिखते हैं, बैठकों का दौर जारी है... जनता का प्यार अगर साथ है, तो हर हालात और कठिनाइयों का सामना पूरी हिम्मत से करने की एक अलग शक्ति मिलती है.
साथ ही, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ हुई वीडियो कॉल का एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया है, और कहा है कि लगता अपनी लड़ाई में वो अकेले नहीं हैं.
क्या अखिलेश यादव से कोई मदद मिलेगी?
स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए तेज प्रताप ने X पर लिखा है, 'मेरे परिवार के सबसे प्यारे सदस्यों में से एक उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी से वीडियो कॉल पर लंबी वार्ता हुई... इस दौरान बिहार के राजनीतिक हालात पर भी चर्चा हुई... अखिलेश जी हमेशा से ही मेरे दिल के काफी करीब रहे हैं, और जब मेरा हालचाल लेने के लिए उनका अचानक से कॉल आया तो ऐसा लगा जैसे मैं अपने इस लड़ाई में अकेला नही हूं.'
तेज प्रताप ने सही कहा है. अखिलेश यादव से बात करके उनका हौसला भी बढ़ा होगा, और काफी राहत भी महसूस कर रहे होंगे. ऐसे दौर में जब कोई साथ न हो, तो एक छोटा सपोर्ट भी बहुत ताकत देता है. जिस दौर से तेज प्रताप यादव गुजर रहे हैं, अखिलेश यादव का फोन तो बहुत बड़ा सपोर्ट है.
ये भी सुनने को मिला है कि अखिलेश यादव ने तेज प्रताप से चुनाव लड़ने के बारे में भी पूछा है. तेज प्रताप का कहना है कि तय करने से पहले वो लखनऊ जाकर अखिलेश यादव से मिलेंगे - लेकिन बातचीत के बाद तेज प्रताप का ये कहना कि लड़ाई में वो अकेले नहीं हैं, भावनात्मक रूप से तो सही है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर चीजें काफी उलझी हुई हैं.
तेज प्रताप की तरफ से अखिलेश यादव के साथ बातचीत की जानकारी शेयर किये जाने के बाद सोशल मीडिया पर लोग अपनी अपनी राय जाहिर करने लगे हैं. लोग यहां तक कहने लगे हैं कि तेज प्रताप यादव समाजवादी पार्टी में जा सकते हैं. लेकिन, ये सब इतना आसान नहीं है.
तेज प्रताप यादव को कोई भी अपनी पार्टी में तभी लेगा जब कोई बड़ा फायदा मिले? ये काम बीजेपी कर सकती है. अगर आरजेडी से अलग होकर चुनाव लड़ना पड़ा तो कांग्रेस भी कर सकती है, लेकिन समाजवादी पार्टी? और वो भी बिहार में? कोई मतलब तो नहीं बनता.
ये कोई सरकारी आवास जैसा मामला नहीं है. और अखिलेश यादव से बातचीत का मुद्दा वैसा नहीं है जैसी तेज प्रताप ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की थी. 2018 की बात है. नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर एनडीए में चले गये थे. तेज प्रताप विधायक तो थे, लेकिन मंत्री पद चला गया था.
तेज प्रताप को सरकारी आवास आवंटित तो हो गया था, लेकिन कब्जा नहीं मिला था. एक दिन तेज प्रताप ने फोन मिला दिया, 'चाचा हमको मकान नहीं मिलेगा?'
नीतीश कुमार के सामने भी उलझन की स्थिति बन गई थी. दखल देने का मतलब लालू परिवार में दखल देना होगा. वैसे बाद में लालू यादव की मंजूरी मिलने के बाद तेज प्रताप यादव को अलग आवास मिल गया था. उससे पहले वो परिवार के साथ रहते थे.
अब जिस बात के लिए लालू यादव ने परिवार और पार्टी से तेज प्रताप यादव को निकाल दिया है, अगर अखिलेश यादव ने तेज प्रताप का साथ दिया तो माना जाएगा कि वो उनके स्टैंड का सपोर्ट करते हैं. मतलब, लालू यादव ने जो फैसला लिया है उसके खिलाफ हैं. जब तेज प्रताप को भाई-बहन का साथ नहीं मिल रहा है, फिर अखिलेश यादव तो रिश्तेदार हैं.