11 नवंबर 2025 को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोट ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है. आठ से अधिक लोगों की मौत, दर्जनों घायल. यह एक संदिग्ध आतंकी हमला था, जहां मुख्य आरोपी डॉ. उमर मोहम्मद ने कार में IED भरकर खुद को उड़ा लिया. NIA और NSG की टीमें फरीदाबाद मॉड्यूल और जैश-ए-मोहम्मद के कनेक्शन की जांच में जुटी हैं, UAPA के तहत FIR दर्ज है. लेकिन इस त्रासदी से कम घातक नहीं है नेताओं और आम लोगों की प्रतिक्रिया.
लोग बिना सत्यापित खबर के शेयर कर रहे हैं. जैसे 'मोदी-शाह की साजिश' या 'इस्लामिक टेरर' का तुरंत लेबलिंग. इससे दहशत फैलती है, और जांच प्रभावित होती है. राजनीतिक आरोपों से हिंदू-मुस्लिम तनाव बढ़ सकता है. विस्फोटक तो एक बार फटे, लेकिन यह डिजिटल जहर लगातार फैल रहा है.लोगों को बांट रहा, विश्वास तोड़ रहा. इसमें सबसे गैरजिम्मेदाराना व्यवहार देश में विपक्ष के कुछ नेताओं का है.
1-विपक्ष के बड़े नामों का इस तरह बिहेवियर अक्षम्य है
विपक्ष के प्रतिक्रिया का स्वरूप लगातार निम्नतर होता जा रहा है. आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने घटना के घंटे भर के अंदर ट्वीट कर अमित शाह का इस्तीफा मांग लिया. उन्होंने लिखा कि गृह मंत्री बिहार चुनावों में व्यस्त, पीएम भूटान में जन्मदिन मना रहे यह मोदी सरकार की नाकामी है! पाकिस्तान की साजिश या घरेलू लापरवाही? यह बयान तथ्यों से परे है.
जांच शुरू होने से पहले पाकिस्तान को घसीटना, केंद्र पर व्यक्तिगत हमला करना किसी भी तरह से स्वस्थ राजनीति नहीं कही जा सकता. यह राष्ट्रवाद का नकाब ओढ़कर वोटबैंक की राजनीति है. कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने इसे 'एनडीए का ड्रामा' बता दिया. पप्पू यादव ने लिखा , बिहार चुनाव से ध्यान भटकाने के लिए लाल किला पर बम! नीतीश-बीजेपी का जंगलराज दिल्ली पहुंच गया. बिहार के नवंबर-दिसंबर चुनावों के बीच यह जातिगत और साम्प्रदायिक तनाव भड़काने वाला है.
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल (कांग्रेस) ने कहा कि खुफिया विफलता! शाह जी, इस्तीफा दो, वरना बिहार में खामियाजा भुगतना पड़ेगा. अभिषेक बनर्जी (टीएमसी) ने जोड़ा 26/11 की याद दिला दिया.केंद्र की सुरक्षा चूक. ये बयान #ResignAmitShah को ट्रेंड करा रहे हैं, लेकिन क्या इससे पीड़ितों को न्याय मिलेगा? नहीं, बस सोशल मीडिया पर मीम्स और फेक न्यूज के तूफान को बढ़ावा मिलेगा.
कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत तो हद ही कर दिया है. उनके ट्वीट की भाषा देखिए.
2-वेस्ट से सीख लेना चाहिए भारतीय नेताओं को
ऐसी घड़ी में भारतीय नेताओं को अमेरिका के 9/11 और ब्रिटेन के 7/7 के विपक्ष से सीख लेनी चाहिए, जहां एकता ने देश को मजबूत किया. 9/11 (2001) के हमलों ने अमेरिका को घायल कर दिया था. लगभग 3,000 मौतें, ट्विन टावर ध्वस्त हो चुका था. राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश (रिपब्लिकन) सत्ता में थे, लेकिन विपक्षी डेमोक्रेट्स ने तत्काल एकजुटता दिखाई. सीनेट मेजॉरिटी लीडर टॉम डैशले ने कहा, यह हमला अमेरिका पर है, हम सब एक हैं. कांग्रेस ने बायपार्टिसन सेरेमनी की, कोई राजनीतिक आरोप नहीं लगाया गया. डेमोक्रेट्स ने बुश का समर्थन किया, पैट्रियट एक्ट पास किया. प्यू रिसर्च के अनुसार, 9/11 ने अमेरिकियों को एकजुट किया, राजनीति पीछे रही. अगर भारतीय विपक्ष ऐसा करता, तो जांच बाधित न होती, समाज न बंटता.
इसी तरह, 7 जुलाई 2005 को लंदन के ट्यूब नेटवर्क पर 7/7 बॉम्बिंग्स हुए. 52 मौतें हुईँ और 700 लोग घायल हुए. प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर (लेबर) की सरकार थी, लेकिन विपक्षी कंजर्वेटिव्स ने हमला नहीं किया. कंजर्वेटिव लीडर माइकल हॉवर्ड ने संसद में कहा, यह ब्रिटेन का संकट है, हम सरकार के साथ खड़े हैं. सभी दलों ने एकजुट होकर खुफिया सुधारों पर काम किया. कोई 'सुरक्षा चूक' का शोर नहीं, बल्कि साझा शोक और कार्रवाई.इतना ही नहीं ब्रिटेन में तो मीडिया ने भी जो सतर्कता दिखाई वो काबिले तारीफ है. ट्यूब विस्फोट की विस्फोट वाली फोटो तक देखने के लिए लोग तरस गए. मरने वालों का आंकड़ा भी बहुत बाद में मिला था.
3-बिहार चुनाव से जोड़ देना
लाल किला ब्लास्ट की घटना ने न केवल दिल्ली को दहला दिया, लेकिन सोशल मीडिया और विपक्षी दलों की ओर से इसे बिहार विधानसभा चुनावों से जोड़ने की कोशिशें की गईं जो एक बहुत ही खतरनाक ट्रेंड है. जहां एक तरफ जांच एजेंसियां फरीदाबाद मॉड्यूल और संभावित जैश-ए-मोहम्मद कनेक्शन की पड़ताल कर रही हैं, वहीं सोशल मीडिया पर यह नैरेटिव उभर रहा है कि यह 'राजनीतिक डिस्ट्रैक्शन' है,बिहार चुनावों से ध्यान भटकाने के लिए.
बिहार में विधानसभा चुनावों के लिए आज मंगलवार को अंतिम चरण की वोटिंग हो रही है. एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) और महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) के बीच कांटे की टक्कर है. ब्लास्ट के ठीक बाद, विपक्षी नेता इसे 'सुरक्षा चूक' बताकर शाह पर हमलावर हो गए. संजय सिंह (आप) ने कहा कि गृह मंत्री बिहार चुनावों में व्यस्त हैं, जबकि राजधानी पर हमला हो रहा है.
सोशल मीडिया पर #BiharElectionsDistraction जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां यूजर्स दावा कर रहे हैं कि सरकार प्रदूषण विवाद और बिहार की जातिगत-विभाजन राजनीति से बचने के लिए ये सब किया गया है.
4-इस्तीफे की राजनीति
लाल किला ब्लास्ट के बाद 'इस्तीफा दो' का कोरस सोशल मीडिया पर गूंज रहा है, लेकिन यह राजनीति का पुराना हथियार है जिम्मेदारी से बचने का. विपक्षी नेता अमित शाह का इस्तीफा मांग रहे हैं, इसे 'गृह मंत्रालय की नाकामी' बता रहे हैं. लेकिन क्या यह न्याय की मांग है या चुनावी ड्रामा? 10 नवंबर की शाम का यह विस्फोट, जहां डॉ. उमर मोहम्मद ने कार में IED फोड़ा, UAPA के तहत जांच का विषय है. फिर इस्तीफे क्यों?
क्या विस्फोट के तुरंत बाद इस्तीफा मांगना जरूरी है? क्या विस्फोट के तुरंत बाद अगर गृहमंत्री रिजाइन कर दें तो अव्यवस्था नहीं फैलेगी? पर यहां विरोध करने में भी बाजी मारने की होड़ हो रही है? सबसे पहले रिजाइन की मांग करके बीजेपी विरोधियों के बीच अपनी खास इमेज बनाने के चलते कुछ भी बोलने के लिए विपक्ष तैयार है. अभिषेक बनर्जी (टीएमसी) ने कहा, शाह की जिम्मेदारी तय हो. मतलब कि शाह जिम्मेदार लेते हुए रिजाइन करें.
संजय सिंह ने जोड़ा, पीएम भूटान जन्मदिन मनाने गए, शाह बिहार में. यह 'संवेदनहीनता' का नैरेटिव सेट करता है. सोशल मीडिया पर #ResignAmitShah ट्रेंडिंग, जहां पोस्ट्स 26/11 से तुलना करती हैं. घटना के कुछ घंटों बाद, सिंह ने कहा: ऐसी घटिया हरकत पाकिस्तान ही कर सकता है. मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक का दावा किया था, अब लाल किले पर हमला हो रहा है. देश सुरक्षित नहीं. साथ ही यह भी लिखा कि पीएम भूटान जन्मदिन मनाने गए, शाह बिहार में व्यस्त.
5-नतीजे तक पहुंचने की जल्दबाजी
सोशल मीडिया युग में, लाल किला ब्लास्ट जैसी घटनाओं पर 'नतीजे' तुरंत निकालना महामारी बन गया है. घटना के 24 घंटे में ही #FakeFlag, #ModiConspiracy ट्रेंड कर चुके—बिना जांच के. यह जल्दबाजी इसलिए घातक है क्योंकि यह सच्चाई को कुचलती, समाज को बांटती है. NIA ने UAPA के तहत FIR की, लेकिन ट्विटर पर 'सरकारी साजिश' या 'पाकिस्तानी प्लॉट' के थ्रेड्स वायरल हो रहे हैं. एक पोस्ट में लिखा गया कि 350 किलो विस्फोटक पकड़े, फिर भी ब्लास्ट के लिए कौन जिम्मेदार? यूजर्स बिना फैक्ट-चेक के शेयर करते, पैनिक फैला रहे हैं.