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प्रियंका चतुर्वेदी की मोदी से मुलाकात और शिंदे-उद्धव का दिल्ली दौरा कितना संयोग, कितना प्रयोग?

प्रियंका चतुर्वेदी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात और एक ही वक्त पर उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे के दौरे ने महाराष्ट्र की राजनीति को दिल्ली पहुंचा दिया है - ये सब महज संयोग तो नहीं लगता, सारी गतिविधियां आपस में जुड़ी हैं, और सब कुछ खास रणनीति के तहत हो रहा है.

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बीजेपी में जाने की बात भले न हो, प्रियंका चतुर्वेदी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात यूं ही तो नहीं लगती. (Photo: PTI)
बीजेपी में जाने की बात भले न हो, प्रियंका चतुर्वेदी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात यूं ही तो नहीं लगती. (Photo: PTI)

उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों ही दिल्ली दौरे पर हैं. मकसद अलग अलग है, ये तो साफ है. लेकिन, कुछ कुछ कॉमन भी है. कुछ चीजें ऐसी हैं जो दोनों को अलग होते हुए भी एक दूसरे से कनेक्ट रखती हैं. और, वो भूतकाल ही नहीं, वर्तमान भी है. जाहिर है, भविष्य भी उसी पर टिका है. 

ये सब ऐसे वक्त हो रहा है, जब प्रियंका चतुर्वेदी अचानक सोशल साइट एक्स पर दो तस्वीरें पोस्ट करती हैं. ये तस्वीरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात की हैं, और देखते ही देखते कयासों और चर्चाओं का एक नया दौर शुरू हो जाता है. प्रियंका चतुर्वेदी राज्यसभा सांसद हैं, और उद्धव ठाकरे के हिस्से वाली शिवसेना की प्रवक्ता भी हैं. 

और, तभी मालूम होता है कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे भी सपरिवार प्रधानमंत्री मोदी से मिलते हैं. शिंदे ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की है, कुछ दिन पहले भी वो मिलने के लिए दिल्ली पहुंचे थे. उद्धव ठाकरे कांग्रेस नेता राहुल गांधी के डिनर में शामिल होने दिल्ली पहुंचे हुए हैं. ये डिनर इंडिया ब्लॉक के नेताओं के लिए आयोजित हुआ है, जहां बिहार में SIR के मुद्दे और उपराष्ट्रपति चुनाव की रणनीति पर चर्चा होने की बात की जा रही है. 

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ऐसे वक्त जब संसद का मॉनसून सत्र भी चल रहा है, प्रियंका चतुर्वेदी की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात और शिंदे-उद्धव का दिल्ली दौरा महज संयोग तो कतई नहीं लगता. महाराष्ट्र की राजनीति में हाल फिलहाल जो कुछ भी हुआ है, उसे जोड़ कर देखें तो ये सब राजनीतिक प्रयोग यानी दूरगामी रणनीति का हिस्सा ही लगता है. 
  
प्रियंका चतुर्वेदी और मोदी की मुलाकात

प्रियंका चतुर्वेदी पहले कांग्रेस में हुआ करती थीं, लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं हुईं कि 2019 में शिवसेना में चली गईं. देखा जाए, दो उद्धव ठाकरे के इंडिया गठबंधन में होने के नाते वो अब भी कांग्रेस के साथ ही हैं. तब चर्चा थी कि प्रियंका चतुर्वेदी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाना चाहती थीं, लेकिन स्मृति ईरानी के खिलाफ उनके तीखे हमले बाधा बन गये. ये तब की बात है जब स्मृति ईरानी बीजेपी में काफी ताकतवर नेता हुआ करती थीं. 

जैसे ही प्रियंका चतुर्वेदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की तस्वीर पोस्ट की, फिर से उनके बीजेपी में जाने की चर्चा शुरू हो गई. तस्वीरों के साथ प्रियंका चतुर्वेदी ने एक्स पर लिखा, संसद में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मैंने मुलाकात की... मैं भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के तमाम पहलुओं पर उनके बहुमूल्य समय और विचारों के लिए आभार प्रकट करती हूं.

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शिवसेना में आने के एक साल बाद ही उद्धव ठाकरे ने प्रियंका चतुर्वेदी को 2020 में राज्यसभा भेज दिया था, और इस तरह उनका कार्यकाल अगले साल अप्रैल में खत्म हो रहा है. उद्धव ठाकरे की शिवसेना की जो हालत है, उसमें प्रियंका चतुर्वेदी को दोबारा राज्यसभा भेजा जाना तो संभव नहीं लगता. और, प्रियंका चतुर्वेदी की मोदी से मुलाकात को लेकर इसीलिए उनके बीजेपी में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं. 

ये भी जरूरी तो नहीं कि प्रियंका चतुर्वेदी सिर्फ अपने लिए मोदी से मिलने गई हों - ऐसा भी तो हो सकता है कि वो उद्धव ठाकरे की मैसेंजर बनकर मोदी से मिलने गई हों!  

बीजेपी की जरूरत तो ठाकरे और शिंदे दोनों को ही है

बीजेपी के बदले रुख ने एकनाथ शिंदे की चिंता बढ़ा दी है. खासकर, देवेंद्र फडणवीस की तरफ से उद्धव ठाकरे को सरकार में शामिल होने का ऑफर दिये जाने के बाद से. और मामला ऑफर तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उसके बाद उद्धव ठाकरे बेटे और साथी विधायकों के साथ देवेंद्र फडणवीस से मिल भी लिये - और कुछ दिन बाद ही आदित्य ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के एक होटल में मिलने की भी खबर आई थी. 

हाल फिलहाल की बात करें तो एकनाथ शिंदे दूसरी बार दिल्ली पहुंचे हैं. और इस बार पूरे परिवार के साथ. एकनाथ शिंदे के साथ उनकी पत्नी लता शिंदे, बेटे श्रीकांत शिंदे, बहू वृशाली शिंदे और पोता रुद्रांश भी मोदी से मिल चुके हैं - और मुलाकात के किस्से सुनाते सुनाते एकनाथ शिंदे उसमें राजनीति भी जोड़ देते हैं. 

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एकनाथ शिंदे ने मीडिया को मुलाकात के किस्से सुनाते हुए बताया कि मोदी ने सबसे पहले उनके पोते रुद्रांश के बारे में पूछा. शिंदे ने मोदी को बताया कि वो घर पर खेल रहा था इसलिए साथ नहीं आ सका. लेकिन, रुद्रांश ने कुछ मांगा जरूर है. एकनाथ शिंदे ने बताया कि रुद्रांश ने बोला था कि मोदी बाबा से फाइटर प्लेन और खिलौने लेकर आना. 

और, ये बताते हुए एकनाथ शिंदे कहने लगे, ये तो अच्छी डिमांड थी... फाइटर प्लेन हमारे भी लड़ने के काम आ सकते हैं.

एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी लड़ाई की तरफ इशारा कर रहे थे. लड़ाई तो उनकी उद्धव से भी खत्म नहीं हुई है, और बीजेपी से भी अंदर ही अंदर शुरू हो गई है. चुनाव बाद बीजेपी ने शिंदे को मुख्यमंत्री भी नहीं बनाया, और अब उद्धव ठाकरे को भी साधने में जुटी है. उद्धव ठाकरे के साथ राज ठाकरे का आ जाना एकनाथ शिंदे के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है - फिर तो एकनाथ शिंदे की जरूरत ही खत्म हो जाएगी. 

बीजेपी को तो कुछ कह नहीं सकते, इसलिए उद्धव ठाकरे को ही एकनाथ शिंदे निशाना बनाते हैं,  कुछ लोग 10, जनपथ जाने के लिए दिल्ली आए, और हम बाला साहेब ठाकरे के बताए लोक कल्याण मार्ग जा रहे हैं - एकनाथ शिंदे, शायद भूल रहे हैं कि उद्धव ठाकरे की प्रतिनिधि के रूप में प्रियंका चतुर्वेदी पहले ही ये काम कर चुकी होती हैं.
 

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