तृणमूल कांग्रेस का अंदरूनी घमासान खुलकर बार बार सामने आ रहा है. और, 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले खतरनाक रूप भी अख्तियार करता जा रहा है.
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए रेप और हत्या के मामले के दौरान भी ये सब महसूस किया गया था, और अब जबकि ममता बनर्जी 25 हजार शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नौकरियां खत्म हो जाने से पैदा हुई स्थिति से जूझ रही हैं - ममता बनर्जी के करीबी और तृणमूल कांग्रेस के सीनियर नेताओं का झगड़ा तेज होने लगा है.
मेडिकल स्टूडेंट के साथ रेप और उसकी हत्या के बाद तो ये सुनने में आया ही था कि ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी की नाराजगी की बात सुनी गई थी. बताया गया था कि वो सही एक्शन न होने से ममता बनर्जी से ही नाराज हो गये थे, और कुछ खास मौकों पर उनकी गैरमौजूदगी को उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा गया था.
अब टीएमसी के मुखर नेता कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा की लड़ाई चर्चा में है, जिसके सार्वजनिक हो जाने से ममता बनर्जी बेहद नाराज बताई जा रही हैं - ममता बनर्जी ने विवाद के केंद्र बने नेताओं को शांत रहने और स्थिति के और खराब होने देने से बचने की सलाह दी है.
तृणमूल कांग्रेस में क्या है नया विवाद
तृणमूल कांग्रेस का ताजा विवाद सामने लाया है बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने. अमित मालवीय ने सोशल साइट एक्स पर एक व्हाट्सऐप ग्रुप का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए एक विस्तृत पोस्ट लिखी थी. ये स्क्रीनशॉट व्हाट्सऐप ग्रुप 'एआईटीसी एमपी 2024' के बताये जाते हैं. अमित मालवीय ने इस मामले से जुड़े कई पोस्ट किये हैं, जिसमें एक वर्सेटाइल इंटरनेशनल लेडी का जिक्र है - और उसका इशारा टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की तरफ है.
अमित मालवीय ने जो स्क्रीनशॉट शेयर किया है, उसमें टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी और कीर्ति आजाद के बीच तीखी नोंकझोंक चल रही है. दोनो एक दूसरे पर खूब कीचड़ उछाल रहे हैं. अमित मालवीय के मुताबिक ये वाकया 4 अप्रैल का है, और जगह चुनाव आयोग का मुख्यालय है. पूरे मामले के केंद्र में कल्याण बनर्जी हैं, और वो अन्य नेताओं के निशाने पर भी आ गये हैं.
ये बवाल तब हुआ जब टीएमसी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्रों को लेकर चुनाव आयोग से मुलाकात की थी और उसके बाद संसद तक मार्च भी निकाला था. आ रही खबर के मुताबिक, कल्याण बनर्जी को चुनाव आयोग को सौंपे जाने वाले ज्ञापन पर टीएमसी के सांसदों से दस्तखत करवाने का जिम्मा था, और महुआ मोइत्रा इस बात से खफा हो गईं कि दस्तखत करने वालों में उनका नाम शामिल ही नहीं था - और इसी बात को लेकर दोनो में कहासुनी हो गई. बात बढ़ती गई और मामला तूल पकड़ता गया.
कल्याण बनर्जी का दावा है कि महुआ मोइत्रा ने चुनाव आयोग कार्यालय में सुरक्षा कर्मियों से उनको गिरफ्तार करने के लिए कहा था, और झगड़े के बाद महुआ मोइत्रा को रोते हुए देखा गया, ऐसा भी कहा जा रहा है.
टीएमसी नेता सौगत रॉय का कहना है, कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा के बीच जब यह विवाद हुआ, तब मैं वहां नहीं था… मैंने महुआ मोइत्रा को रोते हुए देखा… और कल्याण बनर्जी के व्यवहार के बारे में दूसरे दलों के कई सांसदों से शिकायत करते हुए देखा था.
और विवादों के बीच ही, सौगत रॉय की मांग है कि कल्याण बनर्जी को लोकसभा में टीएमसी के चीफ व्हिप के पद से हटा दिया जाना चाहिये. वो कहते हैं, मैं इसे ममता बनर्जी के निर्णय पर छोड़ता हूं… मुझे लगता है कि कल्याण बनर्जी इस पद के लायक नहीं हैं.
कोलकाता में मीडिया से बातचीत में सौगत रॉय याद दिलाते हैं कि कैसे वक्फ विधेयक पर जेपीसी की बैठक के दौरान कल्याण बनर्जी ने बोतल तोड़कर संसदीय पैनल के अध्यक्ष पर फेंक दिया था.
टीएमसी नेताओं के झगड़े का ममता बनर्जी पर कितना असर
कल्याण बनर्जी को लेकर तो अक्सर ऐसे विवाद देखने सुनने को मिलते रहे हैं. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेडी किलर बोलने के बाद कल्याण बनर्जी ने माफी भी मांग ली थी, और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री के बाद भी वही सब हुआ था.
और महुआ मोइत्रा भी तो अपने जुझारू स्वभाव के लिए ही जानी जाती रही हैं. अब तो वो संसद से निष्कासित कर दिये जाने के बाद ममता बनर्जी के सपोर्ट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची हैं, ऐसे में भला वो कोई भी मौका क्यों चूकें.
अब सवाल ये है कि ममता बनर्जी की सियासी सेहत पर ऐसी चीजों का कितना असर हो सकता है?
ममता बनर्जी खुद को स्ट्रीट फाइटर बताती हैं, और ये चीज उनकी राजनीति में नजर भी आती है. ये तो सिर्फ कुछ नेताओं का आपसी झगड़ा है, वो तो अपने साथी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर चुनाव मैदान में उतार देने, उनकी जीत सुनिश्चित करने और सरकार बनाने पर मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए भी जानी जाती हैं - लिहाजा, ये चीजें उनको बहुत ज्यादा प्रभावित करेंगी, ऐसा नहीं लगता.
फिर भी जब सिर पर चुनाव हों, ऐसी चीजें रूटीन के काम में बाधा तो बनती ही हैं.