scorecardresearch
 

समस्या या सियासत... केरल के 2040 तक मुस्लिम बहुल राज्य बनने का मुद्दा कितना गंभीर है?

SNDP नेता नटेशन के लगातार मुस्लिम विरोधी दो बयानों पर सीएम विजयन की खामोशी कहती है कि इस बार केरल की राजनीति वैसी नहीं है जैसे अब तक हुआ करती थी. नटेशन की मुस्लिम बहुल केरल को लेकर चिंता इस बार बहुत बड़ा मुद्दा बनने वाला है.

Advertisement
X
केरल में बढती मुस्लिम आबादी का मुद्दा तूल पकड़ रहा है.
केरल में बढती मुस्लिम आबादी का मुद्दा तूल पकड़ रहा है.

केरल में मुस्लिम समुदाय की तेजी से बढती आबादी को लेकर जबरदस्त हलचल मची हुई है. पर आश्चर्य की बात यह है इस बवाल में कहीं भी बीजेपी नहीं है. आम तौर पर पूरे देश में इस तरह के मुद्दों को उभरने के पीछे बीजेपी का हाथ होने का आरोप लगाया जाता रहा है, पर केरल में कुछ और ही है. दरअसल श्री नारायण धर्म परिपालना योगम (SNDP) के महासचिव वेल्लापल्ली नटेशन ने कहा कि केरल 2040 तक मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा.

इसके साथ ही उनका ये भी कहना था कि मुख्यमंत्री विजयन तीसरी बार सत्ता में आने वाले हैं. उन्होंने कहा कि, मुसलमान राज्य में अजेय ताकत बन चुके हैं. नटेशन ने आरोप लगाया कि कुछ मुस्लिम धर्मगुरु जिनमें कंथापुरम, ए. पी. अबूबक्कर मुसलियार का सरकार पर प्रभाव है.  हालात ऐसे हैं कि किसी भी सुधार को लागू करने से पहले मलप्पुरम (मुस्लिम बहुल ज़िला) की.अनुमति लेनी पड़ती है.

कांग्रेस क्यों बड़ा मुद्दा बना रही है

शनिवार को नटेशन ने कहा था कि IUML (इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग), जो उत्तर केरल में सक्रिय है, अब अगले विधानसभा चुनावों में केंद्रीय केरल की सीटों पर नज़र है. नटेशन का कहना था कि  चुनाव जीतने के बाद IUML अब मुख्यमंत्री पद पर नजर गड़ाए हुए है. नटेशन केरल की राजनीति में कोई बड़ा नाम नहीं हैं. पर जिस तरह उनकी बातों को कांग्रेस उठा रही है जाहिर है कि बहुत जल्दी ही बड़े नेता बन जाएंगे. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि नटेशन ये विभाजनकारी बयान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के इशारे पर दे रहे हैं. जाहिर है ये बिल्कुल उसी तरह है जैसे देश में आज इंडिया गठबंधन के विपक्षी दल दूसरे विपक्षियों को बीजेपी की बी टीम बोलते हैं.

Advertisement

दरअसल केरल में मुस्लिम वोट पर कब्जा किए बिना कांग्रेस और उसका गठबंधन कभी सत्ता में नहीं आ सकेंगे. जाहिर है कि कांग्रेस नटेशन के बयान को जितना बड़ा मुद्दा बनाएगी मुसलमान उतना ही उनके पक्ष में आएंगे. हालांकि कांग्रेस जितना मुस्लिम वोट के लिए लगी हुई है उतना ही विजयन हिंदू वोटों के लिए लगे हुए हैं.

नटेशन के लगातार दो बयानों पर उनकी खामोशी यही कहती है. करीब दो महीने पहले भी नटेशन ने एक ऐसा ही बयान मुस्लिम समुदाय को लेकर दिया था. जिसका मुख्यमंत्री ने यह कहकर बचाव किया था कि, नटेशन के कहने का यह मतलब नहीं था. जाहिर है कि मुख्यमंत्री विजयन हिंदू वोटों को लेकर सक्रिय हैं. अभी तक केरल में हिंदू वोट कांग्रेस को मिलता रहा है. जिस पर बीजेपी गिद्ध दृष्ठि लगाए हुए है. पर राज्य में अभी भी बीजेपी कुछ हिस्सों में ही मजबूत है. इसलिए हिंदू वोटों की मारा मारी अभी केरल में चलती रहेगी.

केरल में मुस्लिम जनसंख्या क्या वास्तव में तेजी से बढ़ रही है

2011 जनगणना के अनुसार केरल की आबादी 3.34 करोड़ है. जिसमें हिंदू 54.73%, मुस्लिम 26.56%, और ईसाई 18.38% प्रमुख समुदाय हैं. मुस्लिम समुदाय, विशेष रूप से मालाबार क्षेत्र मलप्पुरम, कोझिकोड आदि में फैला हुआ है. कई अनुमानों के मुताबिक 2011 के बाद अब मुस्लिम आबादी 28-30% तक पहुंच चुकी है. जो धीमी लेकिन स्थिर वृद्धि दर्शाती है. यह वृद्धि मुख्य रूप से उच्च प्रजनन दर और खाड़ी देशों से आ रहे पेट्रो डॉलर की बदौलत संभव हो रहा है.

Advertisement

National Family Health Survey 2019–21 के अनुसार, केरल में कुल प्रजनन दर इस समय सभी धर्मावलंबियों से ज्यादा है. मुसलमानों में ग्रोथ रेट 2.3 , हिंदुओं में 1.7 तो ईसाइयों में 1.8 प्रतिशत है. यह दिखाता है कि मुस्लिम समुदाय में जन्म दर अधिक है, परंतु यह इतनी नहीं है कि वे अगले 15 वर्षों में बहुसंख्यक हो जाए. पर जाहिर है कि हिंदुओं को संगठित करने और उनमें उनके भविष्य में अल्पसंख्यक होने का डर पैदा करने के लिए ये काफी है. 

केरल में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति 

भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) केरल में मुस्लिम समुदाय का प्रमुख राजनीतिक प्रतिनिधि है. और यूडीएफ (कांग्रेस नेतृत्व वाला गठबंधन) का हिस्सा है. 2021 के विधानसभा चुनाव में IUML के 15 विधायक जीते, जो राज्य की 140 सीटों में से 10.7% हैं. आलोचकों का कहना है कि यह प्रतिनिधित्व जनसंख्या अनुपात (26.56%) से कम होने के बावजूद असंगत प्रभाव दर्शाता है. IUML की मांगों जैसे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और धार्मिक शिक्षा आदि को यूडीएफ का समर्थन मिलता रहा है. जिसे दूसरी पार्टियां तुष्टिकरण मानती रही हैं.

हालांकि लोकसभा चुनावों के दौरान जिस तरह से राहुल गांधी ने यहां हिंदुओं के वोट के लिए मुस्लिम मुद्दों से किनारा कर लिया था वो भी एक अलग तरह की राजनीति थी. सीएम विजयन बार बार राहुल गांधी को ललकारते रहे कि वो सीएए के मुद्दे पर राज्य में क्यों नहीं बोल रहे हैं. विजयन अपनी सभाओं में कहते थे कि राहुल ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी सीएए का जिक्र नहीं किया. ये सब विजयन कांग्रेस का मुस्लिम वोट तोड़ने की नियत से कर रहे थे. विजयन उस दौरान ये भी कहा था कि कांग्रेस के किसी भी राज्य सरकार ने सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित नहीं किया. यही नहीं राहुल गांधी अपनी रैलियों में अपने सहयोगी दल मुस्लिम लीग के झंडों से भी परहेज करते देखा गया था.

Advertisement

सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए कोचिंग सेंटर और छात्रवृत्तियां शुरू की हैं. 2010 में राज्य सरकार ने IAS और KPSC परीक्षाओं के लिए मुस्लिम छात्रों के लिए 50% आरक्षण और फीस माफी की नीति बनाई, जिसे केरल हाई कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था. हालांकि, यह नीति विवादास्पद रही और इसे तुष्टिकरण का उदाहरण माना गया.

2023 में, अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए 1000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन भी चर्चा में रहा, जिसे कुछ हिंदू संगठनों ने असमानता के रूप में देखा. जाहिर है कि राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण सभी पार्टियां कर रही हैं. पर हिंदुओं के मुखर होने के चलते अब यूडीएफ और एलडीएफ में जबरदस्त संघर्ष होने वाला है.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement