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कमल हासन को राज्य सभा भेजने में DMK का कितना फायदा है?

कमल हासन के राज्यसभा पहुंच जाने से फायदा तो मिलेगा ही, लेकिन नुकसान भी होगा. नुकसान मतलब, राजनीतिक नुकसान. हां, डीएमके को दिल्ली में तमिलनाडु की आवाज उठाने के लिए एक लोकप्रिय चेहरा जरूर मिल जाएगा, जिसकी बातें उत्तर भारत, खासकर हिन्दी पट्टी में ध्यान से सुनी जा सकती हैं.

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कमल हासन, उदयनिधि स्टालिन और एमके स्टालिन (फोटो-पीटीआई)
कमल हासन, उदयनिधि स्टालिन और एमके स्टालिन (फोटो-पीटीआई)

कमल हासन के राजनीतिक और फिल्मी कॅरियर में सीधे सीधे जमीन और आसमान का फर्क रहा है. अपनी बदौलत कमल हासन ने तमिल सिनेमा में तमाम उपलब्धियां हासिल की, लेकिन राजनीतिक रूप से वो पूरी तरह फेल रहे हैं. लिहाजा, कमल हासन की डूबती राजनीति को तिनके के सहारे की महती जरूरत थी, और अब ये खास रोल तमिलनाडु में सत्ताधारी डीएमके नेता एमके स्टालिन निभाने जा रहे हैं. 

19 जून को होने जा रहे राज्यसभा के चुनाव में कमल हासन भी उतरने जा रहे हैं. कमल हासन की पार्टी MNM का तमिलनाडु में डीएमके के साथ गठबंधन है. और, गठबंधन के तहत ही एमके स्टालिन ने राज्यसभा सीटों के कोटे से अपने हिस्से की एक सीट कमल हासन को दिया है. 

कमल हासन अपनी फिल्म 'ठग लाइफ' के प्रमोशन के दौरान कन्नड़ भाषा को लेकर दिये अपने बयान के लिए विवादों में हैं, और अपने बयान के लिए माफी मांगने से भी इनकार कर दिया है - और इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही तमिल स्टार पर हमलावर हैं. अगर प्रत्यक्ष चुनाव होता तो कमल हासन को अपने बयान के चलते फायदा या नुकसान हो सकता था, लेकिन राज्यसभा चुनाव में तो पूरा मामला ही अलग होता है. 

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देखा जाये तो कमल हासन को ऐसे ही एक मजबूत राजनीतिक सपोर्ट की सख्त जरूरत थी. ये तो साफ है कि कमल हासन को गठबंधन के कारण इतना बड़ा फायदा होने जा रहा है, लेकिन सवाल ये भी है कि क्या डीएमके को कमल हासन की वजह से भी कोई फायदा होने वाला है?

तमिल-कन्नड़ भाषा विवाद में कमल हसन निशाने पर

कमल हासन ने अपनी फिल्म 'ठग लाइफ' की रिलीज से पहले चेन्नई के एक कार्यक्रम में ये बोलकर बवाल मचा दिया कि कन्नड़ भाषा तमिल से पैदा हुई है. तमिल भाषा में ही अपनी बात शुरू करते हुए कमल हासन ने कहा, 'उइरे उरावे तामिझे...' जिसका मतलब होता है, 'मेरा जीवन और मेरा परिवार तमिल भाषा है.'

अगर इतना ही बोलते तो शायद ही किसी को आपत्ति होती, लेकिन वहां मौजूद कन्नड़ एक्टर शिवराज कुमार की तरफ इशारा करते हुए कमल हासन बोल पड़े, ये उस जगह मेरा परिवार है... इसीलिए वो यहां आए हैं... मैंने अपना भाषण जीवन, संबंध आदि तमिल बोलकर शुरू किया... आपकी भाषा (कन्नड़) तमिल से ही पैदा हुई है, इसलिए आप भी इसमें शामिल हैं.

हो सकता है कमल हासन ने बतौर कलाकार अपनी बात रखी हो, लेकिन इसे राजनीतिक बयान के रूप में लिया गया, और कमल हासन राजनीतिक विरोधी बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस नेताओं के निशाने पर भी आ गये. कांग्रेस के साथ सीधे संबंध से तो कमल हासन इनकार करते हैं, लेकिन तमिलनाडु के डीएमके गठबंधन में तो वो कांग्रेस के साथ ही हैं. 

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भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के मौके पर कमल हासन ने अपनी तरफ से साफ किया था कि कोई ये समझने की भूल न करे कि उनका झुकाव किसी पार्टी की तरफ है. बोले, अगर 70 के दशक में मुझे राजनीति की इतनी समझ होती और आपातकाल होता तो भी मैं दिल्ली की सड़कों पर उतरता. मैंने ऐसा एकजुट भारत के लिए किया था.

लेकिन कन्नड़ भाषा को लेकर कमल हासन के बयान पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की बेहद सख्त प्रतिक्रिया आई है. सिद्धारमैया ने कहा है, कन्नड़ का इतिहास बहुत पुराना है... बेचारे कमल हासन को इसकी जानकारी ही नहीं है. 

कन्नड़ भाषा पर बयान के लिए बीजेपी नेता आर अशोक ने तो कमल हासन को मानसिक रोगी तक करार दिया है. बीजेपी नेता अशोक कहते हैं, मैं सरकार से गुजारिश करूंगा कि कर्नाटक में कमल हासन की सभी फिल्मों का बहिष्कार किया जाये वरना वो मानसिक रोगी की तरह काम करते रहेंगे.

कमल हासन से डीएमके को संभावित फायदे

बताते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले डीएमके और MNM के बीच हुए समझौते के तहत कमल हासन को राज्यसभा सीट दिया जाना तय हुआ था. एमके स्टालिन ने गठबंधन धर्म निभाते हुए अपना वादा पूरा किया है, और ये तमिलनाडु के छोटे दलों के बीच अच्छा संदेश दे सकता है. 

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1. राजनीति में लोकप्रिय चेहरा होने का अलग से फायदा मिलता है. तमिलनाडु में तो फिल्मी सितारे भी सरकार चलाते रहे हैं. एमजी रामचंद्रन, एम. करुणानिधि से लेकर जयलतिता तक. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन भी फिल्मी दुनिया से जुड़े रहे हैं - गठबंधन साथी होने के नाते कमल हासन चेन्नई से दिल्ली पहुंचकर भी डीएमके और एमके स्टालिन की ही बात करेंगे. 

2. दक्षिण के नेता उत्तर भारत में खास प्रभाव नहीं छोड़ पाते, लेकिन बड़ा एक्टर होने की वजह से कमल हासन की बातें तो देश के कोने कोने तक पहु्ंचेंगी, जो एमके स्टालिन के साथ नहीं हो पाता है. हां, उदयनिधि स्टालिन के सनातन पर दिये गये बयानों की बात और है - डीएमके को एक फायदा तो होगा ही कि उत्तर भारत, खासकर हिंदी पट्टी में भी उसकी बातें सुनी जाएंगी. 

3. कमल हासन के दिल्ली आ जाने से राज्यसभा में डीएमके को एक मजबूत आवाज मिलेगी. ऐसा होने पर कमल हासन तमिलनाडु के हितों, खासकर सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों को मजबूती से उठा सकते हैं, जिसकी बदौलत डीएमके की क्षेत्रीय पहचान का दायरा बढ़ सकता है, और तेलंगाना की टीआरएस की तरह बीआरएस करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. 

4. अगले साल, 2026 में तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, कमल हासन अपने दम पर या अपनी पार्टी बनाकर भले ही कुछ खास न कर पाये हों, लेकिन डीएमके के पक्ष में चुनाव कैंपेन कर फायदा तो दिला ही सकते हैं.

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एक सच ये भी है कि हर मामले में एक्सचेंज ऑफर जैसा स्कोप भी नहीं होता. जरूरी नहीं कि डीएमके की तरह कमल हासन को भी वैसा ही फायदा मिले. क्योंकि, कमल हासन ने डीएमके की मदद से राज्यसभा जाने का फैसला करके अपनी राजनीति खत्म कर ली है - फिर तो ये सवाल भी नहीं उठने वाला है कि MNM का अस्तित्व बना रहेगा या उसका भी डीएमके में विलय हो जाएगा?

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