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'बस PoK ही पेंडिंग है...' कश्मीर पर पाकिस्तान-अमेरिका के भ्रम को भारत ने एक झटके में कर दिया दूर

पाकिस्तान के साथ साथ भारत ने एक बार में ही डोनाल्ड ट्रंप को भी अपनी बात समझा दी है. ध्यान रहे, जम्मू-कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष की दखलंदाजी भारत को कतई मंजूर नहीं है - और जो काम बाकी है, वो बस PoK पर कब्जा लेना है.

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भारत ने पाकिस्तान के साथ ही अमेरिका को भी साफ और सख्त लहजे में बता दिया है कि सीजफायर से लेकर PoK तक क्या स्टैंड है.
भारत ने पाकिस्तान के साथ ही अमेरिका को भी साफ और सख्त लहजे में बता दिया है कि सीजफायर से लेकर PoK तक क्या स्टैंड है.

ऑपरेशन सिंदूर जब सेना के पराक्रम और कामयाबी की मिसाल बन रहा था, तभी सीजफायर ने एंट्री ले ली. और, बहस की दिशा बदल डाली. 

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सीजफायर पर सवाल उठने लगे. सवाल उठने की बड़ी वजह अमेरिका के दखल की दावेदारी, और पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर का मुद्दा उठाये जाने की तैयारी थी. 

पाकिस्तान भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर का क्रेडिट लेने के दावे पर उछलने लगा था - और, भारत की तरफ से रिएक्शन न आने की वजह से संदेह के बादल छाने लगे थे. 

लेकिन, एक ही दिन में, सुबह से शाम तक भारत ने एक झटके में पाकिस्तान और अमेरिका दोनो को जवाब दे दिया. साथ में, सलाहियत भी और नसीहत भी. 

जो बातें पाकिस्तान को समझाई गई हैं

पाकिस्तान और अमेरिका को बहुत सी बातें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदमपुर एयर बेस के सुबह सुबह दौरे, सेना के जवानों और अफसरों से मुलाकात और फिर भाषण से हो ही गया था - शाम तक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बची खुची अपनी तरफ से कंफ्यूजन दूर कर डाली.  
किसी का कन्फ्यूजन और किसी की गलतफहमी, तो दूर नहीं की जा सकती, लेकिन अपनी तरफ से वस्तुस्थिति सामने तो रखी ही जा सकती है. आगाह तो किया ही जा सकता है. कोई मुगालते में न रहे, ये तो बताया ही जा सकता है - भारत की तरफ से कोशिशें तो ऐसी ही हुई हैं. 

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1. प्रेस कांफ्रेंस में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बड़े ही साफ शब्दों और बेहद सख्त लहजे में कहा कि पाकिस्तान को PoK खाली करना ही होगा - क्योंकि, वहां पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा जमा रखा है.

पाकिस्तान को ये भी बता दिया कि भारत की हमेशी यही नीति रही है, और अब तक इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है.

और, ये भी ध्यान रहे कि पूरे मामले में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता बिल्कुल नहीं चलेगी. जो भी होगा, आपसी बातचीत से ही संभव है. 

असल में, सीजफायर के बाद पाकिस्तान की तरफ से कहा जाने लगा था कि वो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का मुद्दा भी उठाएगा. 

2. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ये भी साफ किया है कि सीजफायर भी द्विपक्षीय मामला ही है. भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच बातचीत हुई और हमले को रोकने पर सहमति बनी. पाकिस्तान की ओर से 10 मई को दिन में 12:37 बजे बातचीत की रिक्वेस्ट आई थी. क्योंकि, तकनीकी कारणों से वो हॉटलाइन के माध्यम से भारत से संपर्क नहीं कर पा रहे थे. बाद भारत के डीजीएमओ की उपलब्धता के आधार पर 15:35 बजे कॉल तय की गई थी.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ये भारतीय सैन्य बल की ताकत थी जिसने पाकिस्तान को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए मजबूर किया.

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भारत का स्टैंड शुरू से ही साफ था. सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. अगर पाकिस्तान हमला करता है तो भारत भी हमला करेगा. अगर पाकिस्तान शांत रहता है, तो भारत भी शांत रहेगा.

3. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के मुताबिक, भारत सिंधु जल संधि को तब तक स्थगित रखेगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपना समर्थन पूरी तरह बंद करने का विश्वास नहीं दिला देता. 

4. MEA प्रवक्ता का कहना है, टीआरएफ को UNSC में आतंकी संगठन के रूप पर सूची में दर्ज कराएंगे. हमारे पास सबूत हैं. टीआरएफ ने जिम्मेदारी ले थी. टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का ही आतंकवादी ग्रुप है.

जो मैसेज अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप के लिए है

डोनाल्ड ट्रंप ये दावा करते अभी तक नहीं थके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर अमेरिका के दखल देने से ही मुमकिन हो पाया है - और कारोबार जारी रखने की शर्त पर दोनो मुल्क माने हैं. 

ट्रंप के दावे पर भारत का रिएक्शन थोड़ी देर से आया है, और इसीलिए थोड़ा कन्फ्यूजन भी हो रहा था. विदेश मंत्रालय का कहना है, '7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को सैन्य कार्रवाई बंद करने पर सहमति बनने तक, भारत और अमेरिकी नेताओं के बीच तब के हालात पर बातचीत होती रही, लेकिन किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा.'

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डोनाल्ड ट्रंप पहले भी कश्मीर पर मध्यस्थता की पहल कर चुके हैं, लेकिन भारत के कड़े ऐतराज के बाद कहने लगे थे कि जब दोनो पक्ष राजी होंगे तब वो ऐसी कोशिश करेंगे. 

अब डोनाल्ड ट्रंप कह रहे हैं, 'मैं दोनो मुल्कों के साथ मिलकर ये देखने की कोशिश करूंगा कि क्या हजार साल बाद कश्मीर मुद्दे का कोई हल निकाला जा सकता है.'

पाकिस्तान के साथ साथ भारत ने एक बार में ही डोनाल्ड ट्रंप को भी अपना रुख साफ कर दिया है. जम्मू-कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष की दखलंदाजी कतई मंजूर नहीं है - और जो काम बाकी है, वो PoK पर कब्जा लेना है. 

और इस मुद्दे पर भी अमेरिका या किसी और से कोई बातचीत नहीं होगी. पाकिस्तान को जो भी कहना है, भारत से बातचीत कर सकता है. 

पाकिस्तान और अमेरिका दोनो को भारत की तरफ से जवाब दिया जा चुका है. डोनाल्ड ट्रंप बेशक पाकिस्तान के साथ डिनर करें, लेकिन भारत और पाकिस्तान को डाइनिंग टेबल लाने की कोशिश बिल्कुल न करें, निराश होंगे. पहले भी भारत और पाकिस्तान डाइनिंग टेबल पर साथ बैठते रहे हैं, सब कुछ ठीक रहेगा तो आगे भी बैठ सकते हैं.

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