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ओपिनियन: अमेरिका से सीधी लड़ाई मोल लेना फायदे का सौदा नहीं, क्या होगा ईरान का अगला कदम?

ईरानी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए बी-2 विमानों ने बहुत लंबी दूरी तय की. इन विमानों ने संयुक्त राज्य अमेरिका से 40 घंटे से अधिक की लगातार उड़ान भरी और एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग की गई. स्पष्ट नहीं है कि यह मिशन उन छह बी-2 बॉम्बर्स विमानों द्वारा किया गया था, जो अमेरिका से उड़ान भरकर प्रशांत महासागर के ऊपर से गुजरे थे और जिन्हें कमर्शियल फ्लाइट ट्रैकर द्वारा ट्रैक किया गया था, या फिर ये दूसरे बी-2 विमान थे, जो शायद अंधेरे में उड़ान भरकर अटलांटिक मार्ग से आए थे.

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अमेरिका ने अपने बी 2 बमवर्षक विमानों से 22 जून, 2025 को ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी पर बमबारी की. (Satellite Image: X/@MaxarTechnologies)
अमेरिका ने अपने बी 2 बमवर्षक विमानों से 22 जून, 2025 को ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी पर बमबारी की. (Satellite Image: X/@MaxarTechnologies)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल का अब तक का सबसे जोखिम भरा कदम उठाते हुए ईरान के नतांज, फोर्डो और इस्फहान स्थित यूरेनियम संवर्धन स्थलों पर हमला किया. ट्रंप ने कहा कि फोर्डो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया. अमेरिकी सेना के छह B-2/A स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स ने फोर्डो न्यूक्लियर साइट पर बमबारी की, जिसका मतलब हुआ कि कुल 12 GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर्स (MOP) इस अंडरग्राउंड परमाणु प्रतिष्ठान पर गिराए गए. इन GBU-57 बमों को बंकर बस्टर्स के नाम से भी जाना जाता है. 

हर बी-2 बम में दो मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर्स होते हैं. यह एकमात्र हथियार है जो जमीन से लगभग 90 मीटर नीचे बने फोर्डो यूरेनियम संवर्धन स्थल को भेद सकता है. एक MOP 14 टन का होता है और इसमें 2 टन से अधिक विस्फोटक होता है. अमेरिका ने ईरान के इस्फहान और नतांज परमाणु ठिकानों पर अरब सागर में अपनी पनडुब्बियों से 30 टॉमहॉक लैंड अटैक क्रूज मिसाइलें (TLACMs) भी दागी. टॉमहॉक मिसाइल की मारक क्षमता 1500 किलोमीटर तक है और यह अपने साथ 450 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने में सक्षम है. नतांज और इस्फहान परमाणु स्थल बहुत ज्यादा गहराई में नहीं स्थित हैं और इसलिए अमेरिका ने उन्हें पारंपरिक हथियारों से निशाना बनाया.

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ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को झटका

ईरानी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए बी-2 विमानों ने बहुत लंबी दूरी तय की. इन विमानों ने संयुक्त राज्य अमेरिका से 40 घंटे से अधिक की लगातार उड़ान भरी और एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग की गई. स्पष्ट नहीं है कि यह मिशन उन छह बी-2 बॉम्बर्स विमानों द्वारा किया गया था, जो अमेरिका से उड़ान भरकर प्रशांत महासागर के ऊपर से गुजरे थे और जिन्हें कमर्शियल फ्लाइट ट्रैकर द्वारा ट्रैक किया गया था, या फिर ये दूसरे बी-2 विमान थे, जो शायद अंधेरे में उड़ान भरकर अटलांटिक मार्ग से आए थे. यह 2017 में अफगानिस्तान में आईएसआईएस (ISIS) आतंकियों पर मैसिव ऑर्डिनेंस एयर ब्लास्ट (MOAB या मदर ऑफ ऑल बॉम्ब) हमले के बाद किसी भी देश पर अमेरिका का सबसे बड़ा हवाई हमला है. 

इन हमलों में ईरान के परमाणु ठिकानों को कितनी क्षति पहुंची है, इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है. इन हमलों के प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी- लेकिन परमाणु प्रतिष्ठानों पर इतनी मात्रा में ​विस्फोटक गिराए जाने का अर्थ यह होगा कि ईरान का न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्रोग्राम कुछ वर्षों के लिए पीछे चला जाएगा. ईरान संभवतः HEU (हाइली एनरिच्ड यूरेनियम) को रेडियोलॉजिकली डिस्पर्स्ड डिवाइस या ​​'डर्टी बम' बनाने के लिए इस्तेमाल करेगा. इन हमलों के बाद उसके पास परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी एनरिच्ड यूरेनियम का उत्पादन करने की क्षमता अब नहीं होगी. यह विकल्प अब बंद हो चुका है. 

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इजरायल को मिला अमेरिका का साथ

इस मौजूदा संघर्ष में सबसे बड़ा विजेता इजरायल है. 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा इजरायली नागरिकों के नरसंहार के बाद, इजरायल ने एक युद्ध छेड़ दिया जिसमें हमास, हिजबुल्लाह और हूती को निशाना बनाया गया. ये तीनों ही ईरान समर्थित सशस्त्र मिलिशिया संगठन हैं. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने अपने आकलन में कहा गया कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी यूरेनियम संवर्धन कर रहा है. इसके बाद 13 जून को इजरायल ने ईरान पर सीधे हवाई हमले शुरू कर दिए. इजरायल के हवाई हमलों में कई ईरानी परमाणु वैज्ञानिक और सैन्य कमांडर मारे गए, लेकिन ये हमले ईरान के न्यूक्लियर वेपन प्रोग्राम को पटरी से नहीं उतार पाए. इसके लिए इजरायल को अमेरिका के हस्तक्षेप की जरूरत थी, जो उसने 22 जून को किया.

क्या ईरान अब जवाबी कार्रवाई करेगा?  

यह अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या ईरान जवाबी कार्रवाई करेगा? अमेरिका-इजरायल के संयुक्त हमलों ने ईरान के इस्लामी शासन के लिए एक ऐसी चुनौती खड़ी कर दी है जिसका सामना उसने 45 सालों में कभी नहीं किया था- न तो इराक के साथ आठ साल तक चली खूनी जंग में जो 1988 में खत्म हुई और न ही 2021-22 के सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान. इजरायल और अमेरिकी युद्धक विमानों ने अपनी मर्जी से लक्ष्यों पर हमला किया है. अमेरिका ने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला किया है. ईरान का कहना है कि वह जवाबी कार्रवाई करेगा, लेकिन ऐसे हमलों के लिए जगह बेहद सीमित है. वह पश्चिम एशिया और उसके आसपास के आठ स्थायी अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर कुछ बैलिस्टिक मिसाइलें दाग सकता है.

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ईरान अगर अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला करता है तो सेंट्रल कमांड के युद्ध क्षेत्र में तैनात अमेरिकी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (Carrier Strike Group) और फाइटर जेट्स तत्काल जवाबी हमले शुरू कर देंगे. ईरान होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने के प्रयास में एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइलें दाग सकता है, जिसके माध्यम से दुनिया का एक चौथाई तेल और दुनिया का 20% LNG गुजरता है. लेकिन यह कदम भी अमेरिका की जवाबी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा. ईरान ने 2006 के आसपास फोर्डो यूरेनियम एनरिचमेंट साइट का निर्माण शुरू किया था, जो अमेरिका द्वारा इराक पर आक्रमण करने और सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटाने के कुछ वर्षों बाद हुआ था. 

अमेरिका ने 9/11 आतंकी हमले के बाद जब अफगानिस्तान में तालिबान शासन और इराक की सत्ता से सद्दाम हुसैन को उखाड़ फेंका, तो ईरान को लगा कि अब अगली बारी उसकी है. ईरान पर अमेरिका के हमले की अटकलें तब तेजी से खत्म हो गईं जब अमेरिका इराक और अफगानिस्तान में दोहरे मोर्चे पर युद्ध में व्यस्त हो गया. अमेरिका और इजरायल जब 2025 में ईरान पर निशाना साध रहे हैं, तब अयातुल्ला अली खामेनेई के सामने विकल्प बहुत कम रह जाएंगे. अमेरिका और इजरायल पर ईरान प्रतीकात्मक हमले कर सकता है, शांति वार्ता पर वापस आ सकता है और अपनी बिखरी हुई सैन्य क्षमताओं के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर सकता है.

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