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चिनाब का पानी रोका, झेलम का रोकने की तैयारी... बिना युद्ध ही टूट गई पाकिस्तान की कमर

भारती की हाल की कार्रवाई से लग रहा है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सिंधु जल समझौता रद्द करने से बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता था. पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन में प्रकाशित एक लेख इंडस वाटर वॉर्स में कहा गया है कि भारत न केवल IWT से बाहर निकलने की इच्छा रखी है, बल्कि इसके लिए जमीन तैयार करने का काम भी वर्षों से कर रहा है.

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चिनाब नदी पर बने बगलिहार डैम के दरवाजे अब पाकिस्तान के लिए बंद.
चिनाब नदी पर बने बगलिहार डैम के दरवाजे अब पाकिस्तान के लिए बंद.

जो लोग भारत सरकार के सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का मजाक उड़ा रहे थे, उन्हें अब शायद समझ में आ रहा होगा कि यह फैसला युद्ध से कम मारक नहीं है. संडे को खबर आई कि भारत ने चिनाब नदी पर बगलिहार बांध के माध्यम से पानी का प्रवाह रोक दिया है और झेलम नदी पर किशनगंगा बांध के जरिए भी ऐसा करने की योजना बना रहा है. भारत का यह कदम पाकिस्तान पर आर्थिक और कूटनीतिक दबाव डालने की एक साहसिक रणनीति है, लेकिन यह दोनो देशों के बीच तनाव को अभूतपूर्व स्तर तक ले जा सकता है. बिना युद्ध के पाकिस्तान को कमजोर करने की रणनीति के तहत भारत का यह प्रयास कितना कारगर होता है यह तो समय बताएगा. पर जिस तरह के भारत फैसले ले रहा है और पाकिस्तान जिस तरह उस पर प्रतिक्रिआएं दे रहा है उससे तो यही लगता है कि भारत की यह रणनीति कारगर साबित हो रही है. हालांकि, इसका असली असर दिखने में कुछ समय लग सकता है. पर इसके लिए जिस तेजी से नए बुनियादी ढांचे पर भारत ने काम शुरू किया है वो पाकिस्तान की चिंता की बात है.

1-बगलिहार बांध का गेट बंद होने से पाकिस्तान पर प्रभाव

बगलिहार बांध के गेट बंद कर चिनाब नदी का प्रवाह पाकिस्तान की ओर कम कर दिया गया है. सैटेलाइट तस्वीरों में सियालकोट के पास चिनाब का जलस्तर कम होता दिख रहा है, जिससे वहां की कृषि और स्थानीय आबादी पर गंभीर असर पड़ सकता है.
इसके साथ ही भारत किशनगंगा बांध के जरिए झेलम नदी के पानी को नियंत्रित करने की योजना बना रहा है. अभी कुछ दिन पहले ऐसी खबरें आई थीं कि भारत ने बिना सूचना के झेलम में अतिरिक्त पानी भी छोड़ा था जिससे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया. सिंधु जल संधि के तहत चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों का पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान को मिलता है, जबकि रावी, ब्यास और सतलुज भारत के पास हैं. भारत ने संधि निलंबित कर पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने का फैसला किया है, जिसे पाकिस्तान ने युद्ध की कार्रवाई करार दिया है.

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चिनाब नदी पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है, जो देश की कृषि अर्थव्यवस्था का आधार हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इन प्रांतों में कृषि पाकिस्तान की जीडीपी में 21% योगदान देती है और 45% कार्यबल पर निर्भर है. बगलिहार बांध के गेट बंद करने से चिनाब नदी का प्रवाह 90% तक कम हो गया है, जिससे सिंचाई के लिए पानी की गंभीर कमी हो सकती है. जाहिर है कि यह कमी विशेष रूप से पानी-गहन फसलों जैसे धान और कपास पर असर डालेगी, जो पाकिस्तान के प्रमुख निर्यात उत्पाद हैं. इससे फसलों का उत्पादन कम हो सकता है, जिससे आर्थिक नुकसान और ग्रामीण बेरोजगारी बढ़ने की संभावना है. इतना ही नहीं , नदी में पानी कम होने के चलते भूजल का अत्यधिक दोहन बढ़ सकता है, जिससे सिंचाई प्रणाली अस्थिर हो सकती है. पाकिस्तान चिनाब नदी के पानी का उपयोग जलविद्युत उत्पादन के लिए भी करता है, जो देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कम पानी के प्रवाह से जलविद्युत परियोजनाओं की क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे बिजली की कमी बढ़ सकती है. यह ऊर्जा संकट को और गहरा कर सकता है, खासकर जब पाकिस्तान पहले से ही ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है.  

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2-पाकिस्तानी अखबार का कहना भारत बहुत पहले से तैयारी में था

पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन में प्रकाशित इंडस वाटर वॉर्स में कहा गया है कि भारत ने न केवल IWT से बाहर निकलने का इरादा कर लिया है, बल्कि इसके लिए जमीन तैयार करने का काम भी वर्षों से कर रहा है. लेख में चिनाब नदी पर रतले हाइड्रोपावर प्लांट परियोजना का उल्लेख है, जिसे भारत ने 2013 में शुरू किया था, और पाकिस्तान ने 2017 में इसका विरोध किया था. यह परियोजना 2021 में तेजी से आगे बढ़ाई गई थी. लेख में यह भी कहा गया कि भारत ने जनवरी, 2023 और अगस्त, 2024 में पाकिस्तान को सूचना दी थी, जिसमें मौलिक परिस्थितियों में परिवर्तन का हवाला देते हुए संधि से बाहर निकलने की बात कही गई थी. लेख यह दर्शाता है कि पाकिस्तान को भारत को संधि के प्रति प्रतिबद्ध करने के लिए कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, और यह भारत की कार्रवाई को एक लंबे समय से चल रही रणनीति के रूप में देखता है 

पाकिस्तानी मीडिया और अधिकारी भारत की कार्रवाई को युद्ध की कार्रवाई करार दे रहे हैं. उदाहरण के लिए, एक लेख में पाकिस्तानी किसानों के हवाले से कहा गया है कि यदि भारत पानी रोक देता है, तो पूरा देश थार रेगिस्तान में बदल सकता है, और वे भुखमरी के शिकार हो सकते हैं .यह दर्शाता है कि पाकिस्तानी मीडिया में भारत की कार्रवाई को गंभीर आर्थिक और सामाजिक प्रभावों के साथ जोड़ा जा रहा है.  

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पाकिस्तानी अखबारों की रिपोर्टिंग से संकेत मिलता है कि भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान की कृषि, जो इंडस प्रणाली पर 80% निर्भर है, और बिजली उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.

3-भारत में जल भंडारण की तैयारियां जोरों पर

भारत हाल ही में सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद पानी के भंडारण के लिए एक व्यापक और चरणबद्ध योजना तैयार कर रहा है. तुरंत प्रभाव से पानी की भंडारण क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है. इसके लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं.  मौजूदा बांधों और जलाशयों की सफाई: गाद निकालकर (डी-सिल्टिंग) इनकी भंडारण क्षमता को बढ़ाया जा रहा है, ताकि अधिक पानी संग्रहित किया जा सके. जो परियोजनाएं पहले से चल रही हैं, उनके काम को तेज किया जा रहा है ताकि जल्दी से पानी का उपयोग शुरू हो सके.छोटे बांधों के निर्माण में भी सरकार ने रुचि दिखाई है. पश्चिमी नदियों (जैसे झेलम, चिनाब और सिंधु) पर छोटे बांध और जलविद्युत परियोजनाएं बनाने की तैयारी है. उदाहरण के तौर पर, झेलम नदी पर तुलबुल बांध परियोजना, जो पहले रुकी हुई थी, अब दोबारा शुरू की जा सकती है. बड़ी परियोजनाओं जैसे बरसर और सावलकोट पर बड़े बांध बनाए जा सकते हैं. सिंधु नदी पर पाकुल दुल और बुरसर परियोजनाओं पर काम तेज कर दिया गया है. इनके पूरा होने पर भारत अपनी जरूरतों के अनुसार पानी संग्रहित कर सकेगा और उसे राजस्थान, पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में सिंचाई के लिए भेज सकेगा. चिनाब नदी पर पाकल दुल, किरू और किश्तवाड़ जैसी परियोजनाओं को जल भंडारण बांधों में बदला जा सकता है.

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