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क्या बिना विचारधारा के साहित्य संभव है?

क्या बिना विचारधारा के साहित्य संभव है?

साहित्य आज तक के महामंच पर 'विचारधारा और साहित्य' सेशन में लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल, शाहिद सिद्दीक़ी और मधु किश्वर ने अपने विचार साझा किए. जहां एक तरफ मधु किश्वर ने अपनी राय देते हुए कहा कि बिना विचारधारा के साहित्य नहीं लिखा जा सकता वहीं पुरुषोत्तम अग्रवाल ने भी अपनी राय रखी.

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