scorecardresearch
 

मदर्स डे 2024: अपनी मां से सीखिए पैसे बचाने के गुर, जीवन में नहीं होगी रुपये-पैसों की किल्लत

घर के खर्चों के बजट बनाने से लेकर भविष्य की जरूरतों के लिए पैसे बचाने के तरीके निकालने तक, ये सभी चीजें हर किसी ने अपने बचपन में अपनी मां को करते हुए देखी होंगी. वास्तव में जब बड़े हो रहे होते हैं तो हमें जो परिवार के लोगों या रिश्तेदारों से तीज-त्योहार या किसी मौके पर पैसे मिले होते हैं, उनको हमारी मां मिट्टी की गुल्लक में डालकर सेव करना सिखाती हैं. लगभग हर किसी की फाइलैंशियल जर्नी की शुरुआत यहीं से होती है. 

Advertisement
X
PC: Getty
PC: Getty

हम सभी जैसे-जैसे बड़े होते हैं, रुपये-पैसों के बारे में समझ-बूझ यानी फाइनैंशियल एजुकेशन हासिल करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पैसों की पहली समझ-बूझ आपके अंदर किसने विकसित की तो इसके जवाब में आपको अपनी मां का ख्याल जरूर आया होगा. वास्तव में सबसे प्रभावशाली शिक्षा अक्सर घर पर ही मिलती है.

जब बड़े हो रहे होते हैं तो हमें जो परिवार के लोगों या रिश्तेदारों से तीज-त्योहार या किसी मौके पर पैसे मिले होते हैं, उनको हमारी मां मिट्टी की गुल्लक में डालकर सेव करना सिखाती हैं. लगभग हर किसी की फाइलैंशियल जर्नी की शुरुआत यहीं से होती है जिसे हमें हमेशा याद रखना चाहिए. 

मां से सीखते हैं पैसे बचाने के पहले टिप्स
पैसों के बारे में सबसे पहला सबक जो हम अपनी मां से सीखते हैं वह है जरूरतों और चाहतों के बीच अंतर करना. जब भी किराने की दुकान पर अपनी मां के साथ जाते थे वो बेहद सावधानीपूर्वक दुकान से खरीदने वाली कीमतों की तुलना करती थीं और जरूरी वस्तुओं को प्राथमिकता देती थीं. वो पहले वह खरीदती थीं जिसकी उन्हें आवश्यकता होती थी और अगर कुछ पैसे बच जाते थे तो वो दूसरी चीजों पर विचार करती थीं. यह सबक एक वयस्क के रूप में हमारे साथ रहता है जिससे हमें अनावश्यक खर्चों और समझदारी भरे खर्च के बीच अंतर करने में मदद मिलती है. 

Advertisement

इसके अलावा अपने माता-पिता को एक साथ बचत करते और अपने संसाधनों को एकत्रित करते हुए देखकर हम सभी के अंदर वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में टीम वर्क का महत्व समझ आता है.

बचत करने की ताकत
भारत में लगभग हर मां अपने बच्चों को एक छोटा गुल्लक देती हैं और उन्हें जो भी अतिरिक्त पैसा मिलता है, वो उसे जमा करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. समय के साथ सिक्के जमा होते जाते थे और वह उन्हें साल के आखिर में हमारे लिए जरूरी किसी काम में लगाती थीं या फिर बड़ी गुल्लक दिलाकर उस पैसे को आगे के लिए जमा कर देती थीं. बच्चों को धन प्रबंधन के बारे में शिक्षित करना पहले दिन से ही जरूरी है. 

ऐसे में हर किसी को अपनी मां से ये शिक्षा लेते हुए आगे चलकर अपने पैसे को सही जगह पर निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए. 

फाइनैंशियल टार्गेट बनाना 
जब हम अपनी मां से किसी बड़ी चीज जैसे साइकिल या वीडियो गेम कि डिमांड करते थे जिसकी कीमत ज्यादा होती थी तो हमारी मां उसे पानी के लिए हमें लक्ष्य निर्धारित करने के बारे में सिखाती थीं. वो साथ मिलकर एक बचत योजना बनाती थीं. वो हमें बताती थीं कि हमें अपने पिता-दादा-दानी या किसी रिश्तेदार से मिलने वाली पॉकेट मनी को बचाना है और फिर वो उसमें अपने कुछ पैसों भी लगाती थीं और इस तरह अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए हमारे परिवार को कोई भारी-भरकम रकम खर्च नहीं करनी पड़ती थी. यह अनुभव हमें एक लक्ष्य देता है और भविष्य के खर्चों की योजना बनाने का तरीका बताता है. यह इस बात के महत्व को दर्शाता है कि बच्चों में छोटी उम्र से ही वित्तीय साक्षरता कैसे विकसित की जानी चाहिए.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement