ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणी करने वाले प्रोफेसर अली खान को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद आज उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया. प्रोफेसर पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों और खासतौर पर महिला सैन्य अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कहीं थीं.
हरियाणा पुलिस ने प्रोफेसर अली खान को गिरफ्तार करने के बाद सोनीपत कोर्ट में पेश किया था. पुलिस ने सात दिन की रिमांड की मांग की थी ताकि उनसे पूछताछ की जा सके. लेकिन अदालत ने उनकी मांग खारिज करते हुए प्रोफेसर को सीधे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
प्रोफेसर अली खान को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली
प्रोफेसर अली खान को अब जेल से रिहा कर दिया गया है और वह दिल्ली रवाना हो गए हैं. उन पर यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मीडिया ब्रीफिंग कर रहीं कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी.
अपनी पोस्ट में उन्होंने महिला सैन्य अधिकारियों की प्रस्तुति को हिपोक्रेसी बताया था और कहा था कि अगर दक्षिणपंथी उनकी सराहना कर रहे हैं तो उन्हें उन लोगों के लिए भी आवाज उठानी चाहिए जिनके घर बुलडोजर से तोड़े गए या जो भीड़ हिंसा का शिकार हुए. इस टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया आई और उनके खिलाफ सेना की गरिमा को ठेस पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया.
महिला सैन्य अधिकारियों की प्रस्तुति को हिपोक्रेसी बताया था
बता दें, प्रोफेसर महमूदाबाद को हरियाणा पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार किया था. उनके खिलाफ सोनीपत जिले के राय थाने में दो FIR दर्ज की गई थीं. एक शिकायत हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने और दूसरी एक गांव के सरपंच ने दर्ज कराई थी. FIR में आरोप लगाया गया कि उनकी पोस्ट देश की अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा है.
SC ने जांच के लिए 3 सदस्यीय SIT गठित करने का निर्देश दिया
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने 24 घंटे में IG रैंक अधिकारी की अगुवाई में तीन सदस्यीय SIT गठित करने का निर्देश दिया. इसमें एक महिला SP रैंक अधिकारी भी शामिल होंगी. कोर्ट ने प्रोफेसर को आगे कोई सोशल मीडिया पोस्ट न करने और SIT की जांच में सहयोग करने का आदेश दिया. इससे पहले मंगलवार को सोनीपत की अदालत ने प्रोफेसर महमूदाबाद को 27 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. उनकी गिरफ्तारी को लेकर कई राजनीतिक दलों और शिक्षाविदों ने विरोध जताया था.