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योगी सरकार का मदरसों को फरमान, हिंदी में भी लिखें मदरसों का नाम

सरकार के इस आदेश के बाद देवरिया के जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने जिले के सभी मदरसों के लिए मौखिक आदेश जारी कर दिया है. उन्होंने कहा है कि जिले के सभी मदरसे अब उर्दू के साथ-साथ हिंदी में भी मदरसों का नाम लिखें.

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मदरसों को योगी सरकार का फरमान
मदरसों को योगी सरकार का फरमान

उत्तर प्रदेश सरकार ने सूबे के सभी मदरसों के लिए नया आदेश जारी किया है. आदेश के मुताबिक सभी मदरसों को हिंदी में मदरसों का नाम, खुलने और बंद होने का वक्त समेत तमाम जानकारियां लिखनी होंगी.

सरकार के मंत्री बलदेव सिंह ओलख ने बताया कि ये आदेश इसलिए दिया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जान सकें कि आखिरकार इस मदरसे का नाम क्या है. साथ ही ये भी लोग जान सकें कि यहां किस तरह की पढ़ाई होती है. मदरसों के खुलने और बंद होने का वक्त भी अब बोर्ड पर लिखना होगा.

फैसले से नाखुश मदरसा संचालक

सरकार के इस फरमान को मदरसा संचालकों ने सकारात्मक नहीं लिया है. उनका मानना है कि यह आदेश अल्पसंख्यकों को दबाने और उन पर जबरदस्ती आदेश थोपने जैसा है.

पहले भी दिए गए आदेश

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बता दें कि इससे पहले सरकार ने उत्तर प्रदेश के सभी रजिस्टर्ड मदरसों को आदेश दिया था कि 15 अगस्त के दिन वह राष्ट्र गीत गाएं. पूरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम करें और इन सब की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराएं. जिसके बाद भी मदरसा संचालकों ने काफी विरोध के स्वर उठाए थे. अब इस नए आदेश से एक बार फिर विवाद खड़ा होने का डर है.

हालांकि मंत्री बलदेव ओलक का कहना है कि यह सब वह विरोधी पार्टियां अल्पसंख्यकों के मन मे भरती हैं. जो सिर्फ वोट बैंक के लिए उनका इस्तेमाल करती हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए काम करती है और करती रहेगी.

बच्चों की बेहतरी के लिए बदलाव

बलदेव सिंह ने ये भी कहा कि ये बदलाव बच्चों की बेहतरी के लिए हैं. उन्होंने कहा कि आगे भी इस दिशा में बदलाव किए जाएंगे. जिनमें शिक्षा का पाठ्यक्रम, दूसरे विषयों को शामिल करना और शिक्षा स्तर को सुधारना शामिल होगा.

देवरिया में आदेश लागू

सरकार के इस आदेश के बाद देवरिया के जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने जिले के सभी मदरसों के लिए मौखिक आदेश जारी कर दिया है. उन्होंने कहा है कि जिले के सभी मदरसे अब उर्दू के साथ-साथ हिंदी में भी मदरसों का नाम लिखें. मदरसों के खुलने और बंद होने का समय भी हिंदी में लिखा जाए, ताकि उर्दू न जानने वाले इसे समझ सकें.

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