scorecardresearch
 

कई धर्मों से अयोध्या का रहा है खास नाता, ये बातें बनाती हैं और भी खास

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अयोध्या का जुड़ाव कई धर्मों से रहा है. सनातन संस्कृति के साथ- साथ यहां जैन, बौद्ध, सिख और सूफी परम्परा तक की जड़ें हैं.

Advertisement
X
Ram Mandir in Ayodhya Bhoomi Poojan: 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है
Ram Mandir in Ayodhya Bhoomi Poojan: 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है

  • 5 अगस्त को राम मंदिर भूमि पूजन, तैयारियां जोरों पर
  • अयोध्या नगरी की संस्कृति में सतरंगी छटा समाहित है

5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन का कार्यक्रम है और इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. ऐसा नहीं है कि अयोध्या का महत्व सिर्फ हिंदू धर्म में ही है, अन्य धर्मों में भी इसका खास महत्व है. जैन, बौद्ध, इस्लाम और सिख धर्म में भी अयोध्या का खास महत्व है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अयोध्या का जुड़ाव कई धर्मों से रहा है. सनातन संस्कृति के साथ- साथ यहां जैन, बौद्ध, सिख और सूफी परम्परा तक की जड़ें व्याप्त हैं. अयोध्या कला, पुराण, जैन, गीत-संगीत सभी का केंद्र रहा है. इतिहास के पन्नों में अयोध्या की कई कहानियां दर्ज हैं.

भगवान बुद्ध ने अयोध्या में रुक कर की थी तपस्या

इतिहास में अयोध्या का जिक्र लगभग बुद्ध के साथ शुरू होता है. 600 ईसा पूर्व में राजा प्रसेनजीत के समय ये श्रावस्ती की राजधानी साकेत थी. गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से यहां लेकर आए और इसका नाम अयोध्या रखा. गुप्त काल में अयोध्या बड़ा व्यापारिक केंद्र बना.

Advertisement

अयोध्या: ...तो 12 बजकर 15 मिनट और 15 सेकेंड पर रखी जाएगी राम मंदिर की नींव

बताया जाता है कि थाईलैंड से भी सवा सौ बौद्ध भिक्षुओं का दल भगवान बुद्ध की तपोस्थली को तलाशता हुआ अयोध्या पहुंचा था. ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने यहां रुककर तपस्या की थी. गौतम बुद्ध का रामनगरी अयोध्या से सरोकार था. वे जिस शाक्य कुल के राजकुमार थे, उसकी दो राजधानियों में कपिलवस्तु के साथ अयोध्या भी शुमार थी. बौद्ध ग्रंथों में अयोध्या को साकेत नाम से पुकारा गया है.

गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड एवं गुरुद्वारा गोविंद धाम

अयोध्या में सिख धर्म से जुड़ी कई मान्यताएं और कहानियां है. माना जाता है कि प्रथम, नवम व दशम सिख गुरु समय-समय पर अयोध्या आए और नगरी के प्रति आस्था निवेदित की. गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड एवं गुरुद्वारा गोविंद धाम के रूप में सिख परम्परा की विरासत अभी भी जीवन्त है.

ई-भूमिपूजन के बयान पर फडणवीस का वार- AIMIM की भाषा बोल रहे उद्धव

शीश पैगंबर की मजार

इस्लाम की परंपरा में अयोध्या को मदीनतुल अजोधिया के रूप में भी संबोधित किए जाने का जिक्र मिलता है. यहां शीश पैगंबर की मजार, स्वर्गद्वार स्थित सैय्यद इब्राहिम शाह की मजार, शास्त्री नगर स्थित नौगजी पीर की मजार इसकी संस्कृति का अहम हिस्सा है.

Advertisement

पांच जैन तीर्थंकर अयोध्या में जन्मे थे

जैन धर्म के 16 तीर्थंकरों में से पांच जैन तीर्थंकर यहां जन्मे थे. इनके यहां मंदिर भी हैं. जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान ऋषभदेव अयोध्या राजपरिवार के थे. हजारों साल बाद अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर की विरासत जीवन्त है.

Advertisement
Advertisement