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आपराधिक मामलों में 2 साल से ज्यादा की सजा होने पर नहीं रहेंगे सांसद और विधायकः सुप्रीम कोर्ट

भ्रष्‍टाचार से त्रस्‍त आम जनता के लिए एक राहत भरी खबर आई है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा है कि अगर सांसदों और विधायकों को 2 साल या ज्‍यादा की सजा होती है, तो उनकी सदस्‍यता रद्द होगी.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

भारतीय राजनीति में गहरी जड़ें जमा चुकी आपराधिक प्रवृत्ति पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने हथौड़ा चलाया है. सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाया है जिसके बाद दाग़ी नेताओं के लिए चुनाव लड़ना मुश्किल हो जाएगा. अदालत ने फ़ैसला दिया है कि जिन नेताओं को 2 साल या उससे अधिक की सज़ा सुनाई जाएगी, उसकी सदस्यता तत्काल रद्द हो जाएगी. हां, अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इनके पक्ष में आएगा तो इनका सदस्यता स्वत: वापस हो जाएगी.

इतना ही नहीं, क़ैद में रहते हुए किसी नेता को वोट देने का अधिकार भी नहीं होगा और ना ही वे चुनाव लड़ सकेंगे. क्योंकि जेल जाने के बाद उन्हें नामांकन करने का हक़ नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट का ये फ़ैसला तत्‍काल प्रभाव से ही लागू माना जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधियों को सुरक्षा कवच प्रदान करने वाला जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को खत्म कर दिया है. इसके तहत सज़ा के बाद अपील लंबित होने तक पद पर बने रहने का प्रावधान था. हालांकि कोर्ट ने ये राहत जरूर दी है कि ये फैसला पहले ही दोषी ठहराए जा चुके उन जन प्रतिनिधियों पर लागू नहीं होगी जो फैसले के खिलाफ अपील दायर कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिली थॉमस और एक एनजीओ की अर्जी पर सुनाई है.

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जनप्रतिनिधियों के लिए सुप्रीम कोर्ट का फरमान बड़ा झटका माना जा रहा है. केंद्र सरकार ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को सही ठहराते हुए इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था.

अर्से से संसद को स्वच्छ बनाने की मांग होती रही है. नेशनल इलेक्शन वॉच की मई 2009 की रिपोर्ट के मुताबिक पंद्रहवीं लोकसभा में 150 दागी सांसद हैं. इनमें 73 के खिलाफ गंभीर आरोप हैं. हालांकि ये सज़ायाफ्ता नहीं हैं. लेकिन इतना तो तय है कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला संसद और विधानसभा को साफ करने की दिशा में ऐतिहासिक है.

सुप्रीम कोर्ट ने लिली थॉमस केस की सुनवाई के दौरान यह फैसला दिया. गौरतलब है‍ कि आपराधिक रिकॉर्ड वाले 'दागी' नेताओं को शासन-तंत्र से बाहर किए जाने की मांग लंबे समय से होती रही है.

सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के तत्‍काल बाद बीजेपी प्रवक्‍ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वे इसका स्‍वागत करते हैं. उन्‍होंने कहा कि कोर्ट के फैसले से विधायिका में सुधार होगा.

देश के पॉलिटिकल सिस्‍टम में फैली 'गंदगी' को दूर करने के लिए लोकपाल या जनलोकपाल लाए जाने की मांग लंबे समय से की जाती रही है, जिसका अभी भी जनता को इंतजार है. ऐसे संवेदनशील और अहम मसलों पर देश हाल ही में आंदोलनों का भी गवाह बन चुका है.

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