सूरज की गर्मी से उबाल पर है पारा और तापमान हर दिन नए रिकॉर्ड बनाने को जोर मार रहा है. जून की शुरुआत से ही दिल्ली समेत उत्तर भारत के तमाम इलाकों में जबर्दस्त गर्मी का सिलसिला शुरू हुआ जो अभी तक थमा नहीं है और न ही इस पर जल्द लगाम लगने की उम्मीद है.
मई का महीना आमतौर पर साल का सबसे गर्म महीना होता है. मई के महीने में गर्मी की वजह से भारतीय उपमहाद्वीप पर कम दबाव का क्षेत्र बनता है. मौसम विज्ञान की भाषा में इसको हीट लो कहते हैं. इस हीट लो यानी मई की गर्मी से मॉनसून की हवाओं को ताकत मिलती है जो तेजी से भारत की तरफ बढ़ती हैं. मई खत्म होते-होते केरल में झमाझम बारिश होना शुरू हो जाती है. लेकिन न इस बार मई में उतनी गर्मी नहीं पड़ी जिससे मॉनसून तेजी पकड़ सके लिहाजा मॉनसून को आने में देरी हुई. केरल में मॉनसून 1 जून के बजाए 6 जून को पहुंचा और वहीं पर थम गया.
कमजोर मॉनसून की आहट से पाकिस्तान की तरफ से आने वाली गर्म पछुआ हवाओं ने तेजी पकड़ी और राजस्थान समेत पूरे उत्तर पश्चिम भारत को अपनी चपेट में ले लिया. ऐसे में जून की शुरुआत में ही पारा तेजी से ऊपर चढ़ना शुरू हो गया. ये स्थिति अभी भी बनी हुई है और इस वजह से भीषण गर्मी से लोगों को दो चार होना पड़ रहा है.
मौसम के जानकारों का कहना है कि पछुआ हवाओं की रफ्तार में लगाम तभी लग सकती है जब मॉनसून दोबारा तेजी पकड़े और उत्तर भारत में नम हवाएं पहुंच कर झमाझम बारिश करें. लेकिन फिलहाल ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है. लिहाजा उत्तर भारत में गर्मी से निजात मिलने का सिर्फ और सिर्फ फिलहाल एक ही उपाय है कि धूल भरी आंधियां.