यह बिल किन्नर समुदाय के लिए एक राष्ट्रीय आयोग और एक राज्य स्तरीय आयोग बनाने की परिकल्पना करता है. उभयलिंगी व्यक्तियों के अधिकार बिल 2014 पेश करते हुए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सदस्य तिरूची शिवा ने कहा, 'हमने सुना है कि मानवाधिकार सबके लिए है, फिर कुछ लोग नजरंदाज क्यों किए जाते हैं.'
शिवा ने कहा, 'हम सबके पास मानवाधिकार है, चाहे हमारा लिंग या पहचान कुछ भी हो. जिस बिल को मैंने पेश किया है, वह कानून एकसमान समाज का निर्माण करेगा, क्योंकि यह उभयलिंगी लोगों को पहचान देता है और उनकी सुरक्षा करता है.'
उन्होंने सवाल किया, 'विभिन्न देशों ने कदम उठाए हैं, फिर भारत क्यों नहीं?' बिल को बाद में ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया गया.
-इनपुट IANS