कई उनके नाम पर कसमें खाते हैं तो कइयों को आती है हंसी. जैसे जैसे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन जोर पकड़ रहा है मीडिया और विज्ञापन विशेषज्ञों कहना है कि ब्रांड अन्ना ने भारत में सबको पीछे छोड़ दिया है.
फोटो: अन्ना के लिए सड़कों पर उतरे समर्थक
अन्ना हजारे की भूख हड़ताल 10वें दिन भी जारी है ऐसे में ब्रांडिंग विशेषज्ञों का मानना है कि ‘अन्नागिरी’ एक मुहावरा और अवधारणा बनता जा रहा है जिसका अन्य ब्रांड जल्दी ही फायदा उठाना चाहेंगे.
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सेंटर फार मीडिया स्टडीज (सीएमएस) की निदेशक पी एन वासंती ने कहा, ‘ब्रांड अन्ना ने फिलहाल देश के सभी अन्य ब्रांड को पीछे छोड़ दिया है चाहे राजनीति हो या सिनेमा या फिर खेल. अन्ना इस देश की जनता को राष्ट्रवाद बेच रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि मीडिया ने ब्रांड अन्ना बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. अन्ना को आम आदमी और मध्य वर्ग की सहानुभूति प्राप्त है जिनमें भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत गुस्सा है.
अन्ना के आंदोलन पर विशेष कवरेज
मेडिसन वर्ल्ड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सैम बलसारा ने कहा कि ब्रांड अन्ना ईमानदारी, पारदर्शिता, अपनी बात कहने और मौन प्रदर्शन का प्रतीक है.
बलसारा ने कहा, ‘हां इसमें कोई शक नहीं कि अन्ना ब्रांड बन गए हैं और अन्नावाद मुहावरा और अवधारणा बन चुका है जिसका फायदा अन्य ब्रांड जल्दी ही उठाना चाहेंगे.’ अन्य विशेषज्ञों ने हालांकि कहा कि भारतीय कंपनियां अभी ब्रांड अन्ना की भीड़ में शामिल नहीं होंगी.
फ्यूचर ब्रांड्स के मुख्य कार्याधिकारी संतोष देसाई ने कहा, ‘भारतीय कंपनियां इस मामले में सतर्क रवैया अपना रही हैं क्योंकि यह बिल्कुल नए किस्म का विरोध है इसलिए वे अभी यह तय नहीं कर पा रहे कि किस दिशा में बढ़ना है.’
इसी तरह का विचार वासंती ने व्यक्त करते हुए कहा, ‘कंपनियां अभी भी इस चर्चा का विषय नहीं हैं क्योंकि यह सरकार और समात के बीच का झगड़ा है और वे सरकार के खिलाफ नहीं जाना चाहते.’