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सेना और अर्धसैनिक बलों को बस्तर क्षेत्र से वापस बुलाएं: माओवादी

राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल के नक्सलियों से हथियार छोड़ने के आह्वान के बाद माओवादियो ने बस्तर क्षेत्र में सेना का प्रशिक्षण बंद करने तथा माओवाद प्रभावित इलाकों से अर्धसैनिक बलों को वापस लेने की मांग की है.

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माओवादी
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राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल के नक्सलियों से हथियार छोड़ने के आह्वान के बाद माओवादियो ने बस्तर क्षेत्र में सेना का प्रशिक्षण बंद करने तथा माओवाद प्रभावित इलाकों से अर्धसैनिक बलों को वापस लेने की मांग की है.

कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने मीडिया को जारी विज्ञप्ति में कहा, ‘राष्ट्रपति का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब भारतीय सेना के करीब एक हजार जवान बस्तर क्षेत्र के तीन जिलों में अपना पड़ाव डाल चुके हैं तथा राज्य के प्राकृतिक संसाधनों (के दोहन) के लिए लाखों करोड़ों रुपए के समझौता ज्ञापन हो चुके हैं.’

माओवादियों ने राज्य में सशस्त्र बलों पर आदिवासियों के साथ अत्याचार करने का आरोप लगाया और देश में बढ़ती मंहगाई को भी हिंसा का एक रूप बताया है. उन्होंने सरकार पर उनकी पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य आजाद की हत्या कराने का भी आरोप लगाया.

विज्ञप्ति में माओवादियों ने जेल में बंद माओवादी नेताओं को यातनाएं देने का आरोप लगाया तथा जनता से कहा कि वे राष्ट्रपति से मांग करें कि बस्तर में सेना का प्रशिक्षण बंद करे तथा माओवाद प्रभावित इलाकों से सेना व अर्धसैनिक बलों को वापस ले.

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उन्होंने कहा है कि यदि सरकार इसके लिए तैयार होती है तो दूसरे ही दिन से ‘जनता’ की ओर से आत्मरक्षा में की जा रही जवाबी हिंसा थम जाएगी.

माओवादियों ने सरकार और व्यवसायिक घरानों के बीच समझौता ज्ञापन रद्द करने तथा भ्रष्ट्राचारियों को सरेआम सजा देने की भी मांग की. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इस महीने की 24 तारीख को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने नक्सलियों से आह्वान किया था कि वे हिंसा छोड़ बातचीत का रास्ता अपनायें और विकास की मुख्यधारा में शामिल होकर आदिवासी जनता की प्रगति के लिए कार्य करें.

पाटिल ने कहा था कि छत्तीसगढ़ कुछ अन्य राज्यों के समान ही नक्सलवाद की समस्या का सामना कर रहा है. पिछले कुछ समय के दौरान नक्सलवादी हिंसा की कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं सामने आई जिनमें बहुत सी अमूल्य जाने गई हैं.

उन्होंने कहा था कि समस्या कितनी भी बड़ी हो उसे वार्तालाप और संवाद द्वारा सुलझाया जा सकता है. हिंसा और हत्या निंदनीय अपराध है और इन्हें किसी भी स5य समाज में स्वीकार नहीं किया जा सकता.

राष्ट्रपति ने इस दौरान कहा था, ‘‘मैं नक्सलवादियों और हिंसा में लगे हुए अन्य सभी लोगों का आह्वान करूंगी कि वे हिंसा छोड़ दें, वार्तालाप करें, उचित और व्यवहार्य रूप से सोचें और विकास की मुख्य धारा में शामिल होकर अपनी आदिवासी जनता की प्रगति का रास्ता सुगम बनाए.’’

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