मैसूर में एक कार्यक्रम के दौरान उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब कर्नाटक मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंच पर नेताओं का स्वागत करते हुए उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार का नाम नहीं लिया. इस पर एक व्यक्ति ने सीएम को याद दिलाया कि उन्होंने DK का नाम नहीं लिया है. जवाब में सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि जब डीके शिवकुमार मंच पर ही नहीं हैं, तो उनका नाम लेने का कोई मतलब नहीं है.
मुख्यमंत्री ने कहा, “डीके यहां मंच पर नहीं हैं. वह बेंगलुरु लौट गए हैं. मैंने खुद उनसे बात की थी, उन्होंने बताया था कि उन्हें जरूरी काम के चलते जाना पड़ा. ऐसे में मंच पर मौजूद नहीं रहने वाले नेताओं का नाम कैसे लिया जा सकता है? स्वागत भाषण सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए होता है जो मंच पर मौजूद हों.”
उन्होंने आगे कहा, “जो लोग घर पर बैठे हैं या कार्यक्रम में नहीं हैं, उन्हें मंच से वेलकम करना प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं है. स्वागत सिर्फ उन लोगों का होता है जो उपस्थित हैं और जनता के बीच हैं.”
मुख्यमंत्री के इस बयान पर कार्यक्रम स्थल पर कुछ पल के लिए खामोशी छा गई, लेकिन फिर उन्होंने बाकी नेताओं का नाम लेकर स्वागत किया और भाषण जारी रखा. हालांकि, राजनीतिक हलकों में इस पूरे घटनाक्रम को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं. कुछ लोगों ने इसे एक सामान्य औपचारिक टिप्पणी माना, तो कुछ ने इसे सीएम और डीके शिवकुमार के बीच चल रही खींचतान का संकेत बताया.
गौरतलब है कि कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच नेतृत्व को लेकर पहले से ही मतभेद की खबरें समय-समय पर आती रही हैं. ऐसे में मंच से DK का नाम न लेना और उस पर इस तरह की टिप्पणी करना इन अटकलों को और हवा दे सकता है.