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कोरोनाः दाम, देरी और दमन...वो कदम जिसके चलते विपक्ष के निशाने पर आई केंद्र सरकार

कोरोना की पहली लहर में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा उठाए गए कदमों की देश के अंदर और बाहर जमकर सराहना हुई लेकिन दूसरी लहर के विस्फोट पर केंद्र की शुरुआती प्रतिक्रिया ने विपक्ष को उसे घेरने का मौका दे दिया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ऑक्सीन की कमी से देश में मचा हाहाकार
  • केंद्र और राज्य के लिए वैक्सीन के दाम अलग-अलग
  • कोरोना काल में सोशल मीडिया लोगों का सहारा बना

कोरोना की नई लहर ने देश को अपनी गिरफ्त में लिया तो अलग-अलग राज्यों से हजारों की संख्या में नए केस और मौतों के आंकड़े सामने लगे. इस त्रासदी ने देश के राजनीतिक परिदृश्य को भी बदलकर रख दिया. एक महीने पहले जहां केंद्र की मोदी सरकार कोरोना पर ‘विश्व विजय’ की उद्घोषणा करते हुए गदगद हुए जा रही थी, वो नए संकट से निपटने में विश्व की मदद की आस लगाते दिखी. कोरोना की पहली लहर में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा उठाए गए कदमों की देश के अंदर और बाहर जमकर सराहना हुई लेकिन दूसरी लहर के विस्फोट पर केंद्र की शुरुआती प्रतिक्रिया ने विपक्ष को उसे घेरने का मौका दे दिया है.

खासकर ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर उसका देर से हरकत में आना, राज्यों के लिए केंद्र की तुलना में वैक्सीन के दाम तीन से चार गुना तक ज्यादा होना और सोशल मीडिया पर सरकारी अव्यवस्थाओं को उजागर कर रहे ट्वीट्स के खिलाफ सख्ती का रास्ता अपनाना ऐसे कदम हैं जो विपक्ष के लिए जनता में केंद्र सरकार की लोकप्रियता को नुकसान पहुंचाने वाले हथियार बन सकते हैं.

ऑक्सीजन सप्लाई में देरी

कोरोना की दूसरी लहर के संकट ने देश को ऑक्सीजन के लिए हाहाकार का अभूतपूर्व दृश्य दिखाया. कई अस्पतालों से मरीजों की मौत की खबरें आईं क्योंकि ऑक्सीजन खत्म हो गई और सप्लाई में देरी हुई. राजधानी दिल्ली इसका सबसे ज्यादा शिकार है. खुद दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मसले को लेकर केंद्र के रवैये पर सवाल खड़े हुए और उसे फटकार लगाई. इस मसले पर राजनीति भी चरम पर है.

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विपक्ष शासित राज्य खासतौर पर उन्हें पर्याप्त ऑक्सीजन न देने का आरोप लगा रहे हैं. हालांकि, यूपी-एमपी जैसे बीजेपी शासित राज्यों से भी ऑक्सीजन की अभूतपूर्व किल्लत और मारामारी की तस्वीरें आ रही हैं. गौरतलब है कि ऑक्सीजन की खरीद केंद्र सरकार करती है और उसे राज्यों को उनकी जरूरत के हिसाब से मुहैया कराती है. ऐसे में अगर राज्यों में इस प्राणवायु की किल्लत है तो केंद्र पर लापरवाही के आरोप मजबूत होते हैं.

ऑक्सीजन की किल्लत

राहत की बात रही कि शुरुआती कुछ हफ्तों की मारामारी के बाद अब युद्ध स्तर पर ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था की जा रही है और राज्यों में सड़क, वायुमार्ग और रेल नेटवर्क के सहारे टैंकर पहुंच रहे हैं.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केअर्स फंड से देश के हर जिले में ऑक्सीजन संयत्र स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिसके बाद माना जा रहा है कि इसकी किल्लत का संकट दूर होगा. हालांकि, इतना तो कहा ही जा सकता है कि सरकार संकट को भांपने में नाकाम रही और उसके उठाए कदमों में देरी हुई. विपक्ष को इससे मौका मिला.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र से कहा, 'पीआर और अनावश्यक प्रोजेक्ट पर खर्च करने की बजाए वैक्सीन, ऑक्सीजन व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान दें. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह कितना दुखद है कि देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता होते हुए भी लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है. आपके पास 7 से 8 महीने का वक्त था, जानकारों ने दूसरी लहर के बारे में सचेत भी किया था, लेकिन आपने इस पर ध्यान देना उचित नहीं समझा. मैं सकारात्मक तरीके से कह रही हूं कि भगवान के लिए सरकार कुछ करे. उनके पास जितने संसाधन हैं उन्हें वो कोरोना की लड़ाई में लगाएं. अगर केंद्र सरकार अपना मन बनाए तो अभी भी ऑक्सीजन की सुविधा बनाई जा सकती है.

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वैक्सीन के दाम
केंद्र की मोदी सरकार ने 18 साल की उम्र के ऊपर के सभी लोगों को एक मई से कोरोना वैक्सीन लगाने की अनुमित दे दी है. इसके साथ केंद्र सरकार ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों के लिए वैक्सीन के दाम अपनी मर्जी से तय करने की छूट दे दी. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अपनी कोविशील्ड वैक्सीन का दाम राज्य सरकारों के लिए 400 रुपये और निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपये प्रति डोज तय किए हैं, वहीं भारत बायोटेक स्वदेशी वैक्सीन के दाम राज्यों से 600 रुपये प्रति डोज लेना चाहती है. ये कंपनियां यही वैक्सीन केंद्र सरकार को डेढ़ सौ रुपये प्रति डोज की दर से दे रही हैं. वैक्सीन के अलग-अलग दाम को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल सहित तमाम गैर-बीजेपी राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. 

कोरोना वैक्सीन लगवाते पीएम नरेंद्र मोदी

सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा कि एक ही वैक्सीन निर्माता कंपनी तीन तरह के रेट कैसे तय कर सकती है. महाराष्ट्र सरकार के मंत्री व एनसीपी नेता नवाब मलिक ने सवाल उठाया कि कोविशील्ड वैक्सीन केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लिए अलग-अलग दाम क्यों हैं ? बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी कोरोना वैक्सीन के दामों को लेकर मोदी सरकार को घेरा और कहा कि एक देश में वैक्सीन के रेट अलग-अलग कैसे हो सकते हैं. साथ ही कहा कि वैक्सीन का ऐसे समय में कोरोबार नहीं होना चाहिए जब लोगों की जान जा रही हो. छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से लेकर सचिन पायलट तक ने वन नेशन, वन वैक्सीन, वन रेट की मांग उठाई. केंद्र सरकार भी इस मुद्दे की गंभीरता को समझ रही है और जल्द ही इसे लेकर उसके द्वारा कोई कदम उठाया जा सकता है.

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ट्विटर पर दमन
कोरोना वायरस की दूसरी लहर से देशभर के अस्पताल संक्रमित लोगों के बोझ से दब गए हैं. मरीजों को अस्पतालों में बेड के लिए दर-बदर भटकना पड़ रहा है. ऐसे में सोशल मीडिया लोगों की मदद का एक जरिया बन कर उभरा है. ट्विटर पर लोग एक दूसरी की मदद और जानकारी शेयर करने के साथ-साथ मोदी सरकार को भी निशाने पर ले रहे हैं. ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार ने कुछ ट्विटर अकांउट्स के खिलाफ कार्रवाई की है. सरकार का कहना है कि ये कोरोना महामारी के बारे में फर्जी खबरें फैला रहे हैं. केंद्र के एक्शन के बाद बीजेपी शासित अन्य राज्य भी सोशल मीडिया हैंडल पर सख्ती की राह पकड़ रहे हैं. 

एक्टर विनीत कुमार का 16 अप्रैल को किया गया ट्वीट भारत में नहीं दिख रहा है. विनीत ने लिखा था, 'मैं बनारस में हूं. बाजार में दवाई फैबीफ्लू नहीं मिल रही है. निजी लैब कोविड-19 जांच करने में पांच दिन से असमर्थ है. बीमार आदमी को क्या दूं? आपके वादे या आपकी भीड़ वाली रैली के वीडियोज? जो आप लोग लगातार पोस्ट कर रहे हैं? धिक्कार है, स्वार्थ अंधा बना देता है, जागें, आम आदमी दम तोड़ रहा है.' अब इसकी जगह पर ट्विटर नोटिस नजर आ रहा है जिसमें लिखा है कि भारत सरकार की शिकायत पर यह ट्वीट ब्लॉक कर दिया गया है. इसी तरह से कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के ट्वीट भी बैन किए गए हैं. 

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कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और ट्विटर को घेरा है. उन्होंने ट्वीट डिलीट होने के बाद ट्विटर पर जानकारी दी है कि उन्होंने ने कुंभ मेला और तबलीगी जमात पर दोहरे मापदंड पर किए उनके ट्वीट हटाने को चुनौती देते हुए रविशंकर प्रसाद और ट्विटर को कानूनी नोटिस जारी किया है. कुछ लोग सरकार के इन कदमों को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला करार देते हुए इसकी तुलना इमरजेंसी से करने लगे हैं. जाहिर है केंद्र सरकार के लिए ये कदम लोकप्रियता के पैमाने पर उल्टे साबित हुए हैं और विपक्ष इसी को लेकर हमलावर है.

 

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